मुझे समझ नहीं आता

-आजाद दीपक-
poem

तुझसे क्या बातें करूं मुझे समझ नहीं आता,
इश्क करूं या सवाल! मुझे समझ नहीं आता;

मेरी कहानी जब लिखेगा वो ऊपर वाला,
मिलन लिखेगा या जुदाई, मुझे समझ नहीं आता;

सभी आशिकों के दिल पर इक नाम लिखा होता है,
मेरे दिल पर क्या लिखा है, मुझे समझ नहीं आता;

परिंदा होता तो उड़कर, तेरे शहर में तुझसे मिलने आ जाता,
यादें बेबस कर देती है क्या करूं, मुझे समझ नहीं आता;

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