अविनाश ब्यौहार

चाँदनी रात हमको बोना।
अंधकार घिस घिस कर धोना।।
पुलकित सभी दिशाएं दिखतीं,
जगमग करता कोना कोना।
कविता का मख्खन निकलेगा,
भावों को तुम खूब बिलोना।
मावस की काली रातें हैं,
ठगी गई किस्मत का रोना।
जीवन को संबल देता है,
उनका मात्र ख्वाब में होना।
अविनाश ब्यौहार
जबलपुर