बस किराए में वृद्धि, निजी बस परिचालकों की चांदी

bus-fareनई दिल्ली, पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों के किराए में की गई वृद्धि आज से प्रभावि हो गई है। इसकी आड़ में निजी बस परिचाल मनमाना किराया वसूल रहे हैं। दूसरी तरफ रोजाना बस में यात्रा करने वाले दिल्लीवासी बेहद खफा हैं। वे सरकार पर आम आदमी की उपेक्षा करने का आरोप लगा रहे हैं।

दिल्ली सरकार ने महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव के तत्काल बाद डीटीसी के किराए में वृद्धि की घोषणा की थी। नई किराया सूची के मुताबिक बस का न्यूनतम किराया पांच रुपए होगा। सात रुपए में मिलने वाला टिकट यात्री अब 10 रुपए में ले पाएंगे। जबकि अधिकतम किराया 10 रुपए की जगह 15 रुपए होगा।

वातानुकूलित बसों में तीन किलोमीटर तक की यात्रा के लिए यात्रियों को 10 रुपयए का टिकट लेना होगा। जबकि तीन से 10 किलोमीटर दूरी की यात्रा के लिए 15 रुपए अदा करने होंगे और 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करने के लिए 25 रुपए का टिकट तय किया गया है।

यह किराया एक नवंबर से लागू होना था लेकिन इसे प्रभावि होने में तीन अतिरिक्त दिन का समय लिया गया। लोगों का कहना है कि सरकार जनता की प्रतिक्रिया जानना चाहती थी।

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  1. वर्तमान परिस्थितयों में किराया-वृद्धि लाजमी था लेकिन वृद्धि-दर को देखते हुए में सरकार के फैसले और कारण को बिलकुल अव्यवहारिक समझता हूँ . सर्वविदित है की डीटीसी एक बड़ी नुकसान के गर्त में जा चूका है अतः यह जरुरी था की कुछ
    कदम उठाये जाय पर प्रश्न यह है की सरकार के नुकसान का कारण प्रबंधन खामियां हैं या किराया दर. जहाँ ब्लू लाइन बसें भारी मुनाफा कम रही हैं वहीँ दूसरी ओर सरकारी घाटा कैसे हो रहा है. जबकि ब्लू लाइन बसों में २०% सवारी staff चलाती हैं यानि टिकेट नहीं लेती हैं और साथ में दो नंबर का पेमेंट भी करती हैं. इसके बाबजूद वो मुनाफा में हैं. मजे की बात यह है की इन बसों के मालिक सरकारी उच्चाधिकारी और मुख्य राजनितिक पार्टियों से जुड़े लोग ही हैं अर्थात इन्हें पता है की मुनाफा कैसे होता है. अतः नुकसान के नाम पर किराये-वृद्धि का हम विरोध करते हैं.

    आगामी साल राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में परिवहन व्यवस्था में सुधार भी अहम् एजेंडा है अतः इसलिए इस आधार पर किराया वृद्धि की जा सकती है मगर सशर्त यही है की पहेले वे अपनी प्रबंधन खामियां दूर करें. साथ ही में सरकार के किलोमीटर रेंज से सहमत नहीं हूँ और सरकार के लिए में सुझाव देना चाहूँगा की किराया कुछ इस तरह से हो – दो किलोमीटर तक किराया दो रूपये, दो से छे किलोमीटर तक पांच रूपये, छे से बारह किलोमीटर तक दस रूपये और बारह के बाद पंद्रह रूपये हो.

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