विज्ञान में आगे होते हम

डॉ. निवेदिता शर्मा

 

विज्ञान हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज ऐसा कोई कार्य नहीं, जिसमें वैज्ञानिक गुणवत्‍ता की आवश्‍यकता महसूस न की गई हो। इसीलिए कहा गया है कि मानव जीवन विज्ञान के बिना आधा-अधूरा है। वैसे विज्ञान स्वयं में शक्ति नहीं है, अपितु यह मानव को विशिष्ट शक्ति प्रदान करता है। वर्तमान में हमारे आस-पास जो भी सुविधाएं मौजूद हैं, वे विज्ञान की खोज का ही परिणाम हैं। फिर चाहे संचार के साधन, आवागमन, सेटेलाइट सुविधा हो या फिर अन्‍य उपकरण, ये सभी विज्ञान की देन हैं।

भारत में विज्ञान और मानव का नाता बहुत पुराना है। सृष्‍ट‍ि के आरंभ में और विश्‍व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्‍वेद में विज्ञान के कई सूत्र उद्घाटित हुए हैं। कालांतर में इसे लेकर यहां काम भी बहुत हुआ है। आधुनिक समय में भारतीय परिप्रेक्ष्‍य में हमारे प्रसिद्ध भौतिकविद् सर सीवी रमन द्वारा 28 फरवरी, 1928 को रमन इफेक्ट की खोज की गई थी । प्रकाश के विवर्तन का पता लगाने की इस खोज के लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

रमन इफेक्ट वास्‍तव में रसायनों की आणविक संरचना के अध्ययन में एक प्रभावी साधन है। इसका वैज्ञानिक अनुसंधान की अन्य शाखाओं, जैसे औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्व है। सीवी रमन को 1954 में भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया। यही कारण है कि इस स्‍वर्णिम दिवस को याद करते हुए हम भारतवासी हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर 28 फरवरी को मनाते आ रहे हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना और विज्ञान के क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना है।

वास्‍तव में भारतीय वैज्ञानिकों ने साधन के अभावों के बीच जैसे विज्ञान के कई चमत्‍कार प्रकट किए हैं वे विलक्षण हैं । उनके यह प्रयास अपने राष्‍ट्र के प्रति समर्पण, कार्य का दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इसीलिए ही आज हमारे वैज्ञानिक देश की शान हैं। हमारे वैज्ञानिकों ने विविध क्षेत्रों में विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए कैसे कठिन समय बिताया है इसका एक उदाहरण इसरो की स्‍थापना एवं उसके आरंभिक दिनों के साथ यादों के रूप में हमारे सामने हैं। डॉ. विक्रम साराभाई ने 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना की थी। उस वक्‍त देश में कितने संसाधन थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुविधा के तौर पर भारतीय वैज्ञानिकों ने पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों से लांचिंग पैड बनाया था। हमारे वैज्ञानिकों के पास अपना दफ्तर नहीं था, वे कैथोलिक चर्च सेंट मैरी मुख्य कार्यालय में बैठकर सारी प्लानिंग करते थे। तत्‍कालीन वैज्ञानिक पहले रॉकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। इस मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था, इसी तरह की परिस्‍थ‍ितियों का अनुमान आप अन्‍य विज्ञान के क्षेत्रों में भारत के शुरूआती दिनों की लगा सकते हैं।

वर्तमान में हम जो हैं और भविष्‍य में हम जो होना चा‍हते हैं कहना होगा कि वह हमारे अपने वैज्ञानिकों ने नवीनतम प्रयोगों की अधिकतम सफलता पर निर्भर है। दुनिया में आज जो शक्‍तिशाली देश हैं वे भी अपने वैज्ञानिकों के कारण ही शक्‍ति-सम्‍पन्‍न बने हैं और इन दिनों भारत जो विश्‍व के 7 प्रमुख देशों में अपना स्‍थान बना पाने में सफल हुआ है वह भी हमारे अपने वैज्ञानकों के अथक परिश्रम के कारण ही है।

आज हम राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस इसलिए भी मनाते हैं जिससे कि दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के संदेश को व्यापक तौर पर फैलाया जा सके। इसके लिए प्रतिवर्ष भारत सरकार एक थीम का निर्धारण करती रही है, जैसे कि हमारी बदलती धरती, मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना, विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक, पश्चिम से धन, जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ, समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना, हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें, प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल, पृथ्वी ग्रह को समझना, दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता,विज्ञान और तकनीक। इसी तरह से वर्ष 2011 और इसके आगे के विषय थे दैनिक जीवन में रसायन, स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा, अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा, वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना, राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान इत्‍यादि।

केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा देश में अनेक ‘साइंस सिटी’ बनाई गई हैं। यहां आकर लोग विज्ञान में हो रहे नये प्रयोगों को देखकर जागरूक हो रहे हैं। वास्‍तव में इन साइंस सिटी के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि यह विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे प्रगति और क्रियाकलापों की प्रदर्शनी का केंद्र है। यहां विज्ञान से जुड़ी 3डी फिल्में भी दिखायी जाती हैं। इसके अतिरिकत राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर देश के सभी स्कूल-कॉलेजों में वैज्ञानिकों के लेक्चर, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी आयोजित की जाती रही हैं। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। वास्‍तव में यह विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है। इसके विकास के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर खुशहाल बना सकते हैं।

इस बार के विज्ञान दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है कि भारत के महान वैज्ञानिकों में एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट की परंपरा रही है तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं। आधुनिक भारत के सर सी वी रमन, सर जगदीश चन्द्र बोस, हरगोविंद खुराना, सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक भारत के गौरव हैं। सरकार खासकर युवाओं में शोध-अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। विज्ञान और तकनीक ही देश का भविष्य तय करेगा। आज के दिन प्रधानमंत्री की कही बातें हमें निश्‍चित ही देश में विज्ञान के उज्‍जवल भविष्‍य के प्रति आशान्‍वित करती हैं, साथ में यह बताती हैं कि भारत जिस तेजी के साथ वै‍ज्ञानिक प्रगति कर रहा है, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब भारत आनेवाले समय में विश्‍व के तीन शीर्ष देशों में से एक होगा।

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