प्रवीण दुबे
एक पुरानी कहावत है ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोचेÓ हमारे पड़ोसी देश चीन पर यह कहावत पूरी तरह सही साबित होती है। भारत में बिकने वाले चीनी सामान के खिलाफ चल रहे अभियान ने दुनिया के इस सर्वाधिक आबादी वाले देश की हालत खिसियानी बिल्ली जैसी कर दी है। अभी इस अभियान को केवल एक माह का समय ही गुजरा है, चीन की खिसियाहट पूरी दुनिया के सामने आ गई है। प्रथम चरण में ही चीनी सामान की बिक्री में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी क्या आई चीन के सरकारी तंत्र में हलचल मच गई है। विरोध में चीन के सरकारी मीडिया ने भारत के खिलाफ जिस अशिष्ट भाषा का इस्तेमाल किया है उसने यह सिद्ध कर दिया है कि चीनी सामान के भारतीय विरोध का अभियान सही दिशा में जा रहा है। अक्टूबर के श्ुारुआत में जब सोशल मीडिया पर चीनी सामान के बहिष्कार की अपीलें आना शुरु हुई थीं उस समय चीन के इसी सरकारी मीडिया ने दावा किया था कि चीनी सामान के बहिष्कार का भारतीय अभियान सफल नहीं रहा है। अब जबकि चीनी सामान के विरोध में पूरा भारत उठ खड़ा हुआ है और चीनी सामान की बिक्री में निरंतर कमी के आंकड़े सामने आ रहे हैं, चीन का वही सरकारी मीडिया पूरी तरह बौखला कर भड़क गया है। उसने भारत के लिए जो कहा है उसके कुछ आरोप पाठकों को जानना बेहद आवश्यक है। चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है भारत सिर्फ भौंक सकता है, भारतीय मेहनती नहीं हैं वे सिर्फ हो-हल्ला कर सकते हैं, सामान तो हमसे ही खरीदेंगे आदि-आदि–। चीन की भारतीयों के प्रति जो मानसिकता सामने आई है उसने निश्चित ही अब प्रत्येक उस भारतवासी के स्वाभिमान को चोट पहुंचाई है जिसे इस देश से प्यार है, जिसके भीतर स्वदेशी का भाव है और जो भारत को एक सबल राष्ट्र मानता है। यह सीधे-सीधे उस भारतवासी को चुनौती है जिसने चीनी सामान के बहिष्कार का संकल्प लिया है। ऐसे प्रत्येक भारतवासी को चीन की अभद्र टिप्पणियों के बाद यह सोचने का समय आ गया है कि इस दिशा में और अधिक क्या किया जा सकता है? विशुद्ध देहाती भाषा का उपयोग किया जाए तो अब चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान भारतवासियों की ‘ मंूछ के बाल का सवाल बन गया है।
अब तो चीन की उपहास भरी टिप्पणियों का जवाब यही होना चाहिए कि चीनी सामान की बिक्री जो 20 से 25 प्रतिशत घटी है वह 100 प्रतिशत तक नीचे कैसे जाए? जिस दिन भी यह चमत्कार हमने कर दिखाया उस दिन चीन को भारत के आगे नतमस्तक होने को मजबूर होना होगा। निश्चित ही यह काम कठिन है और चीन आज जो हमारा उपहास उड़ा रहा है, हमारे खिलाफ भद्दी टिप्पणियां कर रहा है, इसके पीछे का सच भी बड़ा कड़वा है। यह सच हमारी अपनी आंतरिक कमजोरियों का है। चीन भली प्रकार भारत में छुपे बैठे उन वामपंथी आस्तीन के सांपों को भली प्रकार जानता है जो सदैव से चीन के साथ गलबहियां करते आए हैं। उन वामपंथियों के लिए न राष्ट्र कुछ है न राष्ट्र का स्वाभिमान कुछ है। उनका एक मात्र उद्देश्य चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों का साथ देना है। यह लोग प्रत्येक उस अभियान का विरोध करते हैं जिसमें चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाने का स्वाभिमानी रास्ता चुना जाता है। चीनी सामान की बिक्री के बहिष्कार का अभियान हो या फिर भारत में घुसे बैठे चीन परस्त वामपंथी तथा पाक परस्त अस्तीन के सांप सर्वाधिक परेशान दिखाई देते हैं। तमाम वामपंथी चीनी सामान के बहिष्कार के इस राष्ट्रवादी स्वाभिमानी आंदोलन के खिलाफ जहर उगल रहे हैं, देशवासियों को यह कहकर भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है कि केन्द्र सरकार देश में चीनी सामान की बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगा रही है? ऐसे वामपंथी विषधरों को शायद यह नहीं मालूम कि वैश्वीकरण के इस युग में विश्वव्यापी आर्थिक समझौतों के अंतर्गत किसी भी देश के सामान की बिक्री पर रोक लगाना कठिन ही नहीं असम्भव बात है। ऐसी स्थिति में चीन जैसे दुश्मन राष्ट्रों को सबक सिखाने का एक मात्र रास्ता देशवासियों की प्रबल राष्ट्रभक्ति ही है और इसी के सहारे चीनी सामान का बहिष्कार कर भारत के सवा सौ करोड़ हिन्दुस्थानियों के पैसों पर फल-फूल रहे चीन को आर्थिक कमर तोड़ी जा सकती है। देशवासियों को वामपंथी विचारधारा के अनर्गल प्रचार से भ्रमित होने की जरुरत नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि यह वही वामपंथी हैं जिन्होंने 1962 में चीन युद्ध के समय भी भारत की पीठ में छुरा घौंपकर चीनी बिगुल बजाने का काम किया था। भारत अब जाग चुका है, देश उठ खड़ा हुआ है, अभी कुछ दिन पहले ही हमारे सौनिकों ने अपनी बहादुरी और पराक्रम से आतंकी पाकिस्तान को सबक सिखाया था, अब समय आ गया है कि पूरा देश चीन द्वारा भारत के खिलाफ की गई उपहास भरी टिप्पणियों का जवाब दे और इस दीपावली से पूर्व यह संकल्प लें कि हम कोई भी चीनी सामान नहीं खरीदेंगे यदि हम ऐसा करने में कामयाब रहे तो चीन ही नहीं पूरी दुनिया भारतवासियों के आगे नतमस्तक होगी।