
प्रिय पाठकों/मित्रों, शुभ मुहूर्त में जब आप कोई भी कार्य करते है तो वह बिना बाधा के संपन्न होता है ऐसा शास्त्र कथन है तथा अनुभव जन्य भी है।
कहा जाता है कि यदि आपने काल को पहचान लिया तो आपका कार्य निश्चित ही सफल होगा इसमें संदेह नहीं है । कहा गया है —
काल की गति जो पहचानै । प्रभु पाद पद पावै।।
सामान्यतः हम सब लोगों के मुख से यह शब्द हमेशा निकलता है कि आज का दिन बहुत शुभ था आज सारा काम समय से हो गया। किन्तु अगले क्षण यह प्रश्न उठता है आखिर ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि आज हम सही समय पर घर से निकले थे और एकदम सही समय पर कार्यस्थल पर पहुंच गए थे। वस्तुतः किसी कार्य का अल्प प्रयास में ही हो जाना या तुरंत हो जाना या यह सब जाने अनजाने में शुभ मुहूर्त वा शुभ समय का ही परिणाम है ऐसा समझना चाहिए।
ध्यान रखें,मंगल ही शल्य चिकित्सा के लिए जिम्मेदार होता है। शल्य चिकित्सा के लिए अग्नि राशियां और अग्नि तत्व की सबसे बड़ी भूमिका होती है. वृश्चिक राशि को भी शल्य चिकित्सा से जोड़ा जाता है। कुंडली में रक्त और सुरक्षा का कारक मंगल होता है। स्वास्थ्य की हर तरह की मजबूती मंगल ही प्रदान करता है । मंगल खून खराबे का स्वामी भी होता है और हिंसा भी करवाता है परन्तु जब यही हिंसा व्यक्ति के कल्याण के लिए हो तो इसे शल्य चिकित्सा कहा जाता है ।जब कुंडली में ग्रह खराब स्थिति में बैठे हों और उस समय ऑपरेशन करवाया जाए तो इससे ऑपरेशन के समय कई खतरनाक स्थितियां पैदा हो सकती हैं और विषम परिस्थितियों में मृत्यु भी हो सकती है । इसलिए इस विषय पर जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की ऑपरेशन के समय ग्रहों का अच्छी स्थिति में होना बेहद आवश्यक है । जब तक आपातकालीन स्थिति न हो और जहाँ तक संभव हो तब तक किसी जानकार ज्योतिषी को कुंडली दिखाकर और एक अच्छा मुहूर्त निकलवाकर ही ऑपरेशन करवाना चाहिए।
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?जानिए क्यों जरुरी है सर्जरी/ऑपरेशन के शुभ मुहूर्त–
शुभ मुहूर्त इसलिए जरुरी है की जिस प्रकार हम व्यवहार में अच्छा-खराब, सुख-दुःख, सफलता-असफलता का स्वाद दिन प्रतिदिन लेते रहते है उसी प्रकार व्यवहार में शुभ-अशुभ भी अनुभूत है। अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यदि अशुभ समय है तो शुभ समय वा शुभ मुहूर्त भी अवश्य ही होगा । यह स्वाभाविक है कि अशुभ समय में किया गया कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता है।
परन्तु इस विचार को अंधविश्वास मानने वाले यह कह सकते है कि क्या गारंटी है की शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमे कोई व्यवधान न हो तो मेरा केवल यह कहना है की अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा क्योकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना ही सकता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि शुभ मुहूर्त आपके भविष्य को बदले या न बदले परंतु यदि आप जीवन के प्रमुख कार्य यदि शुभ मुहूर्त में करते है तो आपका मन सकारात्मक रहेगा और कार्य निश्चित ही होगा। यह जानकर हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए।
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?जानिए कैसे बनता है सर्जरी का शुभ मुहूर्त —
मुहूर्त शास्त्र के मूल शास्वत ग्रंथों में यदि तलाशें तो रोगों के उपचार के लिए शुभ समय, दिन, माह आदि का सुन्दर वर्णन मिल जाएगा। इनका यदि बौद्धिकता से अनुसरण किया जाए तो अच्छे परिणामों की सम्भावना निश्चित रूप से बढ़ जाएगी। किस समय चिकित्सक से मिलें? किस दिन से अथवा किस समय से उपचार प्रारम्भ करें? शल्य चिकित्सा हेतु जा रहें हैं तो किस समय उसके लिए चिकित्सक तैयारी प्रारम्भ करें?? ऐसे अनेक प्रश्न है जो जिज्ञासु मन में उठ रहें होंगे। मात्र थोड़े से ज्ञान और अल्प समय में इन प्रश्नों का समाधान मिल सकता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सर्जरी का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए अनेक बातो का ध्यान रखा जाता है जैसे – वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग, नव ग्रहों की स्थिति, मल मास, अधिक मास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहू काल इन्ही के योग से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है।
जैसे सर्वार्थसिद्धि योग :- यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है। अब आप ही बताइये इतना सब कुछ करने के बाद शुभ मुहूर्त निकाला जाता है तो अवश्य ही यह समय आपके जीवन में ज्योति का काम करेगा।
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?रोगी के शल्य /ऑपरेशन कराने का शुभ मुहूर्त —यदि आप बीमार है और उस बिमारी का इलाज शल्य चिकित्सा है तथा डॉक्टर ने आपको यह बताया है कि आप ऑपरेशन कराना होगा। इस स्थिति में आप अपने डॉक्टर से पूछ सकते है कि कब तक कराना है यदि तुरंत ऑपरेशन कराना है तब तो बिना सोचे समझे आपको ऑपरेशन करा लेना चाहिए परन्तु यदि डॉक्टर यह कहता है कि आप अपने सुविधानुसार ऑपरेशन करा सकते है तो आपको ऑपरेशन के लिए निर्धारित शुभ मुहूर्त का अवश्य ही चयन करना चाहिए यदि ऐसा करते है तो ऑपरेशन के सफलता का चांस बढ़ जाता है ।शल्य चिकित्सा में जा रहे हैं तो इसी प्रकार प्रयास करें कि दोनों पक्षों की 4, 9, 14 तिथियाँ, सोमवार, मंगलवार अथवा गुरूवार और अश्विनी, मृगशिरा, पुष्प, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, श्रवण अथवा शतमिषा नक्षत्रों के संयोग एक साथ मिल जाएं। यदि पूर्णतया विशुद्ध गणनाओं में जाना है तो ज्योतिष ज्ञान, ग्रहगोचर आदि का ज्ञान परम आवश्यक है। औषधि सेवन के लिए प्रारम्भ करने के लिए समय के अभाव में यदि विशुद्ध गणना करना सम्भव न हो तब पंचाग से मात्र तिथि, वार और नक्षत्र देखकर उपचार प्रारम्भ कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष की 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 और 15 तिथियाँ इसके लिए शुभ सिद्ध होती हैं। संयोग से यह तिथियाँ रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरूवार अथवा शुक्रवार की पड़ती हैं तो यह और भी अच्छा योग है। इनमें यदि अश्विनी, मृगाशिरा, पुनर्वस, पुष्प, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, श्रवण, घनिष्ठा और रेवती नक्षत्र भी मिल जाए अर्थात् तिथि, दिन और नक्षत्र तीनों के संयोग एक साथ बन जाएं तब तो बहुत ही संतोष जनक परिणाम औषधि और चिकित्सा के सिद्ध हो सकते हैं।
इनका भी रखें विशेष ध्यान–1) जहाँ तक संभव हो ऑपरेशन शुक्ल पक्ष में ही करवाना चाहिए । 2) ऑपरेशन के लिए जहाँ तक संभव हो पूर्णिमा का दिन नहीं चुनना चाहिए क्योंकि इस दिन शारीरिक द्रव्यों का संचार अपने चरम पर होता है ।3) ऑपरेशन के समय गोचर का चन्द्रमा जन्म राशि में संचार नहीं कर रहा होना चाहिए। 4) शनिवार और मंगलवार ऑपरेशन के लिए अच्छे हैं । 5) मंगल का मज़बूत होना ज़रूरी है । 6) जन्म कुंडली के आठवें घर में कोई ग्रह नहीं होना चाहिए । 7) आर्द्रा, ज्येष्ठ, मूल और अश्लेषा नक्षत्र और चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथियां ऑपरेशन के लिए अच्छी हैं ।8) शरीर के जिस भी हिस्से पर ऑपरेशन किया जाना है, उस हिस्से पर कुंडली के जिस घर का अधिकार होता है वह घर अच्छी स्थिति में होना चाहिए और उसपर अच्छे ग्रहों की दृष्टि होनी चाहिए ।
अगर इन सब चीज़ों का ध्यान रखा जाए तो ऑपरेशन से सम्बंधित खतरे को काफी काम किया जा सकता है ।
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?शल्य चिकित्सा हेतु शुभ मुहूर्त का विचार निम्न प्रकार से करना चाहिए….
शुभ तिथियां :- 2, 3, 5, 6, 7, 10, 12, 13 ( शुक्ल पक्ष की ) हैं।
शुभ वार :- रविवार, मंगलवार, गुरूवार और शनिवार हैं।
शुभ नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, श्रवण तथा विशाखा हैं।
उपर्युक्त शुभ मुहूर्त के निर्धारण में यदि शुभ तिथियां, वार तथा नक्षत्र का एक साथ निर्धारण नहीं हो पा रहा है तो इनमे से कम से कम दो का चयन कर ऑपरेशन करवा लेना चाहिए।
जैसे — जून 2019 में 4 जून को तिथि, वार तथा नक्षत्र नियम के अनुरूप है। परन्तु इसके अतिरिक्त अन्य तिथि उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में हमें तिथि, वार तथा नक्षत्र में किसी दो का चयन कर ऑपरेशन करवा लेना चाहिए।
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?जानिए उन ज्योतिषीय योग को जिनके कारण शल्य चिकित्सा होती ही है ?
– कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा होने पर- कुंडली में मंगल के पापक्रान्त होने पर- शनि का सम्बन्ध अग्नि राशियों से होने पर- छठवें भाव में ज्यादा ग्रहों के होने पर- हाथ में तारा या द्वीप होने पर- हथेलियों का रंग लाल होने पर- नाखूनों के टेढ़े मेढ़े होने पर
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?जानिए कब व्यक्ति शल्य चिकित्सा से बच जाता है ?- कुंडली में बृहस्पति या शुक्र के मजबूत होने पर- केंद्र में केवल शुभ ग्रहों के होने पर- शुभ दशा आ जाने पर- छोटी मोटी दुर्घटना या चोट चपेट लग जाने से- अगर व्यक्ति का जन्म एकदम सुबह का हो या संध्याकाळ का हो
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?क्या करें जब जन्म कुंडली में हो शल्य चिकित्सा के योग ?
– लाल पुष्प से नृसिंह भगवान की उपासना करें- उनके मंत्रों का नियमित जप करें- यथाशक्ति रक्तदान करें- दक्षिण दिशा की तरफ सर करके सोएं।(निवेदन – ध्यान रखें, जो डॉक्टर मरीज़ को देख रहा है अगर उसे लगता है की मुहूर्त का इंतज़ार करने में खतरा है तो अच्छा रहेगा की मुहूर्त का इंतज़ार न किया जाए । बस भगवान् को याद करें और ऑपरेशन करवा लें ।)जुलाई 2019 के लिए सर्जरी के शुभ मुहूर्त–
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