दुनिया से कोविड 19 अभी रूखसत नहीं हुआ है, सावधानी बरतना जरूरी है!

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लिमटी खरे

दिसंबर 2019 में चीन के वुहान प्रांत से निकले कोरोना कोविड 19 के वायरस ने दो सालों तक जमकर तबाही मचाई है। भारत में भले ही संक्रमण की दर कम होने के बाद सारी पाबंदियां 01 अप्रैल से समाप्त होने के बाद देशवासी निश्चिंत हो रहे हों, पर दुनिया भर के हालातों पर अगर नजर डाली जाए तो कोरोना कोविड 19 अभी पीछा छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहा है। यह सही है कि दुनिया भर के ज्यादातर देशों में संक्रमण में कमी महसूस हो रही हो पर कोवड ने अभी पीछा शायद नहीं छोड़ा है, या यूं कहा जाए कि अभी पूरी तरह राहत की ओर हम बढ़ तो रहे हैं, पर पूरी तरह राहत नहीं मिल पाइ्र है।

भारत में अभी कुल संक्रमित लोगों की तादाद 12 हजार के आसपास है तब चीन में रह रोज 13 हजार से ज्यादा मामले सामने आते दिख रहे हैं। चीन में कोविड के मामले जिस तरह एकाएक विस्फोटक तरीके से बढ़ रहे हैं, वह चिंता की बात ही माने जा सकते हैं। चीन में हालात तब बिगड़ते दिख रहे हैं जब चीन में संक्रमण को रोकने के लिए न केवल नियम कड़े हैं, वरन नियमों का पालन भी बहुत ही कड़ाई से कराया जा रहा है।

चीन से कोविड 19 निकला और चीन ने इस बात को लंबे समय तक छिपा कर भी रखा। यही कारण है कि दुनिया के अधिकांश देश चीन के दावों पर शक की निगाहों से ही देखने पर मजबूर हैं। कहा जा रहा है कि चीन में जो वायरस कोहराम मचा रहा है वह कोविड का अमीक्रोन घराने का नया वायरस ही है। भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का यह दावा कि देश में संक्रमित मरीजों की तादाद अब काफी हम हो चुकी है। देश में बीमार होकर स्वस्थ्य हुए मरीजों की तादाद सवा चार करोड़ के आसपास है। चीन में सब कुछ नियम कायदों के हिसाब से होता है पर भारत में नियम कायदे कागजों की शोभा बढ़ाने के लिए ही होने के बाद भी दो सालों में भारत की स्थित चीन से कहीं बेहतर नजर आ रही है।

वर्तमान समय में दुनिया भर के अनेक देशों में पाबंदियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं, तब चीन के अनेक शहरों में या तो आंशिक तालाबंदी है या पूर्ण लाकडाऊन की स्थिति बनी हुई है। चीन में इन परिस्थितियों में लोग घरों पर ही कैद हैं, उन्हें सिर्फ टेस्ट के लिए बाहर निकलने की अनुमति दी जा रह है। जाहिर है चीन की अर्थव्यवस्था को भी भारी झटका लगा ही होगा। चीन में इसके चलते मृत्यु दर नियंत्रित बताई जा रही है पर बार बार झूठ बोलने के आदी चीन के इन दावों पर कितना यकीन किया जाए!

चीन में वे ही खबरें बाहर निकलती हैं जो वहां का प्रशासन चाहता है। चीन से निकलने वाली खबरों के अनुसार संक्रमण की जद में सबसे ज्यादा शंघाई है। शंघाई शहर में चीन के कुल मामलों में से सत्तर फीसदी मामले हैं, शंघाई में आठ हजार से ज्यादा लोग संक्रमण की जद में हैं, और वहां के ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच भी की जा चुकी है। चीन में इस तरह तालाबंदी के कारण लोगों को अब खाने के लाले भी पड़ने लगे हैं।

कोविड के चलते अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी चीन को जमकर घेरा था। चीन का वैश्विक स्तर पर भी जमकर माखौल उड़ चुका है, इसलिए चीन अब हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। चीन शून्य संक्रमण की रणनीति को अपनाए हुए था और जैसी सूचनाएं बाहर आईं उसके अनुसार चीन लंबे समय तक इस रणनीति को बरकरार भी रखे रहा। चीन का प्रयास जरूर रहा कि वहां कोविड फैल न पाए पर जिस तरह से तेरह हजार प्रकरण प्रतिदिन आने लगे उसे देखकर चीन के हर दावे को दुनिया भर में शक की निगाह से ही देखा जाने लगा।

वर्ष 2019 में अक्टूबर से दिसंबर के बाद अब तक दुनिया भर में यह बात दावे के साथ नहीं कही जा पा रही है कि कोविड 19 का जनक चीन ही है। इसका कारण यह है कि दुनिया भर के हर दावों को चीन ने सिरे से ही झुठलाया है और तो और विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को भी चीन के द्वारा पूरा सहयोग नहीं प्रदान किया गया। कितने आश्चर्य की बात है कि ढाई साल में भी डब्लूएचओ यह बताने में सक्षम नहीं हो पाया है कि आखिर कोविड 19 की घातक बीमारी उपजी कहां से है।

भारत में कोविड की दूसरी लहर पिछले साल मार्च से ही आरंभ हो गई थी। मई तक चली इस लहर में अनगिनत लोग कालकवित हुए। कमोबेश हर परिवार ने अपने अज़ीजों को खोया है, चाहे वे सगे रिश्तेदार रहे हों, दूर के रिश्तेदार या बहुत करीबी जान पहचान वाले, हर जगह इस बीमारी ने कोहराम ही मचाया था। अब कोविड की चौथी लहर आने की चेतावनी भी जारी की जा रही है, पर जिस तरह से वेक्सीनेशन के बाद तीसरी लहर भारत में अपना प्रभाव नहीं दिखा पाई उसी तरह आने वाले समय में चौथी लहर भी बहुत ज्यादा असरकारी कम से कम भारत में तो नहीं ही हो पाएगी ऐसा माना जा सकता है। वहीं चीन से उपजे कोविड 19 के नए वेरीएंट के कारण चीन के शंघाई शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा है उसे देखते हुए भारत सरकार को चीन जैसे नियम कायदों में बंधे देश की हालत देखकर चीन के अनुभवों के हिसाब से सावधान रहना चाहिए और कोविड के संबंध में वैश्विक स्तर की पल पल की खबरों पर बारीक नजर रखते हुए आने वाले खतरे को भांपकर उसके हिसाब से अपने आप को तैयार रखना चाहिए।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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