मीडिया चुप क्यों ?

-मूलचंद सूथर-

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एक वर्ष पहले तक शंकराचार्य व संत समुदाय हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म का राग अलापते थे। अटल बिहारी जी को प्रधानमंत्री बनाने की शक्ति भी हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म का राग अलापते, दिलाई थी।
यह तो धन्यवाद  दो अधिष्ठाता, प्रकृति शक्ति पीठ के भगवान प्रजापति को जिन्होंने खेजड़ा एक्सप्रेस से धुंआधार सत्य का धर्म युद्ध शुरू किया -सनातन धर्म -संस्कृति ,आर्य संस्कृति ,भारत वर्ष ,आर्यावर्त आदि के अस्तित्व व गूढ़ तात्विक योग का सत्य बताया तो  ये  लोग बौखलाए और कहने लगे ये प्रजापति हैं। छोटे लोग हैं -यह हमें उपदेश नहीं दे सकता। हे संतों आप प्रजापति ब्रह्मा के  ही वंशज हो -अत:आप भी प्रजापति ही हो।
आदि जगद्गुरु शंकराचार्य भी प्रजापति ही थे -जन्होंने शंकराचार्य व संत प्रथा शुरू की थी और आपको -सनातन धर्म -संस्कृति ,आर्य संस्कृति ,भारत वर्ष ,आर्यावर्त की अक्षुणता का दायित्व सौंपा था।
जबकि आप तो एक वर्ष पहले तक हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म का राग अलापते थे तब तो आप नकली थे। अब आज असली  बन गए हो तो अधिष्ठाता, प्रकृति शक्ति पीठ के भगवान प्रजापति को कम से कम   धन्यवाद तो दो ।
 जिन्होंने ‘सत्य से सत्य की खोज “६ अरब लोगों में :’  खेजड़ा एक्सप्रेस दिनाक -९-८-२०११,९-८-२०१३,
२४ -३ -२०१४ व ९ -८-२०१४  को पढ़ो -इंटरनेट पर भी है।
ब्रह्माण्ड गुरु भगवान प्रजापति ने भारत के उज्जवल भविष्य तथा विश्व शांति के लिए कहा है कि मैं तो इस  से सहमत हूँ 
अब कोई भी  हिन्दू धर्म,हिदुस्तान ,हिन्दू ,हिंदी ,व हिन्द को बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल नहीं करें  —
 हिन्दू धर्म,की  जगह — सनातन धर्म – हिदुस्तान–,की  जगह भारत वर्ष ,आर्यावर्त
हिन्दू -,की  जगह आर्य ,भारतीय ,सनातनी ,प्रजापति।
हिंदी-की  जगह -देवनागरी
हिन्द-की  जगह–भारत।
दिल्ली की  जगह -इंद्रप्रस्थ  बोलना शुरू करें। व अन्य आर्य संस्कृति ,भारत वर्ष ,आर्यावर्त शब्दों की विदेशी व नकारात्मक ऊर्जा के शब्दों की भी पहिचान करें। जैसे =इंडिया भी घ्रणित नाम है -जिसका अर्थ भी घ्रणित है जैसे आदिवासी, पिछड़ा, लूटेरे आदि हैं।

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