आदर्शो की बात करते है सब,
एक आईना
लगा है
हर घर के आँगन मे
दूसरो के दोष उसमें दिखते हैं
अपनी आकॄति सुन्दर॥
क्यो होता है ऐसा?
खेल क्यो समझते है वो
खिल्ली उडाना,
मजे लेना,
दिल्लगी करना।
समय काटना/दूसरो को हँसाना
हो सकती है उनकी आदत
पर किसी दु:खी दिल को
कर सकती है आहत
आपकी हँसाने कि आदत।
आप दूसरों के लिये
अपने आँगन में
लगाते है आईना।
कोई और भी लगा सकता है
आपके लिये अपने घर में
ऐसा आईना-
जिसमें अपका कद बौना दिखता है।
बहुत खूबसूरती से आपने आइना दिखाया है पुनीता जी। वाह। किसी की पंक्तियाँ हैं कि
खुद खक्स ही उलट जाये तो क्या दोष है मेरा
मैं वक्त का आइना हूँ सच बोल रहा हूँ