बिखरा पड़ा है हर इक पर्चा मेरी वफ़ा का

परमजीत सिंह

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क्या खूब कर रही है चर्चा मेरी वफ़ा का !

 

वो आये गर हमारे पहलु में पूछ लेंगे ?

क्या तुमने बना रक्खा है चेहरा मेरी वफ़ा का !

 

इक तुम ही मिले हो जो मुझे जानते नहीं ?

हर शक्स जानता है किस्सा मेरी वफ़ा का !

 

सच बात है के उसमें ये खासियत है देखी ?

कितने बरस है रक्खा पर्दा मेरी वफ़ा का !

 

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