पी.ओ.के. में घुसकर सात आतंकवादी कैम्पों को तबाह कर भारतीय सेना ने पाकिस्तान को ये संदेश दे दिया है कि अब छद्म युद्ध का जवाब बेहद आक्रामक होगा। भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को पूरी दुनिया ने जहां सराहा है वहीं पाकिस्तान ने इसे मानने से ही इंकार कर दिया है । तो क्या यह माना जाए कि पाकिस्तान अपनी नाक बचाने के लिए भारत पर हमला कर सकता है, इतिहास गवाह है कि आमने-सामने की लडाई में पाकिस्तान ने सदैव मुंह की खाई है । भारत एवं पाकिस्तान में सीमा पर तनाव बढ गया है तथा दोनों देशों के जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है । पाकिस्तानी जिहाद से उपजे आतंकवाद ने भारत को अनेक घाव दिए है और ऐसा लगता है कि इस बार भारतीय राजनीतिक नेतृत्व कुटनीतिक, राजनीतिक के साथ सैन्य विकल्पों के प्रति समाधान तलाशने को तैयार है ।
1947 में पाकिस्तान बनने पर उसके संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था-‘यह अधूरा पाकिस्तान है, सारे उपमहाद्वीप पर पाकिस्तान बनाकर हम दम लेंगे’ । जिस दिन से पाकिस्तान बना है उसी दिन से उसके शासकों ने भारत को अपना पहले नंबर का शत्रु कहा है तथा लगातार इस बात पर जोर दिया है भारत को नष्ट करके ही पाकिस्तान सम्पन्न हो सकता है । दो राष्ट्रों की जिस नीति ने पाकिस्तान बनाया उस नीति के संचालक मोहम्मद अली जिन्ना यह कहते-कहते मर गए कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर मुस्लिम शासन होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे मुगल काल में था । इस झूठे नारे से उन्होंने भोले-भाले मुसलमानों को सदा बहलाया आगे चलकर पाकिस्तान ने अपनी भारतीय नीति में युद्ध के साथ आतंकवाद को जोड दिया, वही भारत ने आजाद होते ही शांति की नीति अपनाई । 1947 में अपनी स्थापना के सात सप्ताह बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर पहला हमला किया तब हमारे प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 22 दिसम्बर 1947 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री लियाकत अली को लिखा-‘पाकिस्तान को तुरंत कदम उठाकर कश्मीर पर हमला करने वालों को सहायता देना बंद कर देना चाहिए जिससे लडाई बंद हो सके’ । लेकिन पाकिस्तान ने तो शुरू से ही झूठ बोलने की कसम खा रखी थी । लियाकत अली ने 30 दिसम्बर को जवाब में लिखा-‘ये आरोप झूठा है कि पाकिस्तानी सरकार कबाइली हमलावरों को कोई सहायता दे रही है’ । जबकि कबाइलियों के पास ऐसे नक्शे मिले थे जो पाकिस्तान के प्रधान सैनिक कार्यालय में बनाए गए थे । इस सब तथ्यों के बावजूद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा नहीं की । आइए भारत पाकिस्तान के बीच हुए अभी तक के युद्ध और उनके परिणामों पर नजर डाले ।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से लेकर अब तक 4 बार युद्ध हुए है । स्वतंत्रता प्राप्त करने के कुछ दिनों बाद ही कश्मीर में दोनों देशों की सेनाऐं आमने-सामने थी । कश्मीर पर लगभग पूरी तरीके से काबिज हो चुके सैनिक तंत्र को खदेड कर भारतीय सेना ने असीम दुस्साहस का परिचय दिया और यह पाकिस्तान की पहली करारी पराजय थी । पाकिस्तान ने ऑपरेशन गुलबर्ग के जरिए कबाइलियों के वेश में हमला बोला था । 22 अक्टूबर 1947 से शुरू हुआ युद्ध 1 जनवरी 1949 तक चला । इस युद्ध में हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान और कबाइलियों द्वारा कब्जाए गए 8,42,583 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर दुबारा कब्जा कर लिया । इस युद्ध में हमारे 1,500 सैनिक शहीद हुए, 3,300 घायल हुए और 1,000 हजार लापता हुए । 1965 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्रालटर के तहत भारत पर हमला किया । पाकिस्तान के तकरीबन 40,000 सैनिक कश्मीर को हथियाने के लिए भारतीय सीमा में घुस आऐं । वास्तव में 1962 में चीन से करारी शिकस्त खाने के बाद भारतीय पस्त थे और पाकिस्तान इसी का फायदा उठाना चाहता था । 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए इस युद्ध के जवाब में भारतीय सेना ने 15 अगस्त 1965 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर हाजीपीठ दर्रे पर तिरंगा फहराया, बौखलाए पाकिस्तान ने श्रीनगर और पंजाब राज्य पर हमले शुरू कर दिए । तेजी से आक्रमण करती भारतीय थल सेना लाहौर हवाई अड्डे के नजदीक तक पहुँच गई । आश्चर्यजनक रूप से अमेरीका ने भारत से यह गुजारिश की कि हवाई अड्डे से निकलने के लिए लोगों को मौका दिया जाए और इसका फायदा पाकिस्तानी सेना को मिल गया नहीं तो भारत लाहौर हवाई अड्डे पर कब्जा जमाकर पूरे पाकिस्तान को नेस्तनाबूत कर देता । इस युद्ध में भारतीय सेना ने करीब तीन हजार जाबाजों को गवाया वही पाकिस्तान के 4,000 सैनिक मारे गए । इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान का लगभग 710 वर्ग किलोमीटर का इलाका अपने कब्जे में ले लिया । जबकि पाकिस्तान के पास 210 किलोमीटर का भारतीय क्षेत्र कब्जे में था हालांकि यह एक रेतीला क्षेत्र था संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर दोनों देश युद्ध विराम को राजी हुए । रूस के ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अय्युब खान के बीच एक समझौता हुआ और इस प्रकार समझौते के तहत भारत ने जीती हुई जमीन पाकिस्तान को लौटा दी ।
3 दिसम्बर 1971 का तीसरा पहर था । प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी कलकत्ता के विशाल मैदान में भाषण दे रही थी । रक्षा मंत्री श्री जगजीवन राम पटना में गंगा किनारे लोगों से मुखातिब थे, अचानक पाकिस्तानी विमानों ने उत्तर में श्रीनगर से लेकर दक्षिण में उत्तरलाई के सीमा के आधे दर्जन हवाई अड्डों पर एक साथ हमला करके देश के विभाजन के बाद से तीसरा आक्रमण शुरू कर दिया कुछ ही मिनिटों में पाकिस्तानी हमले का समाचार सारे देश में आग की तरह फैल गया । हवाई हमलों की चेतावनी समस्त उत्तर भारत के नगरों कस्बों में गूंज उठी । प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री कुछ ही घंटों में दिल्ली लौट आए । तीनों रक्षा सेनाओं के सेनाध्यक्षों से परामर्श कर आधी रात के कुछ मिनट बाद ही भारतीय वायु सेना ने पश्चिमी पाकिस्तान पर पहला जवाबी हमला किया ।
चांदनी रात थी । एक-एक करके सभी पश्चिमी अड्डों से भारतीय विमान भारी बम तथा राकेट लादकर नीचे उड़कर पाकिस्तानी सीमा में जा रहे थे । उत्तर में रावलपिंडी से दक्षिण में कराची तक एक दर्जन से अधिक शत्रु के हवाई अड्डों पर हजारों टन बम गिराए जा रहे थे । पूर्व में 25 साल की अवधि में बंगाल के सभी हवाई अड्डों पर ऐसी घनघोर बमवर्षा की गई कि कुछ ही घंटों में पूर्व बंगाल में पाकिस्तानी वायुसेना सदा के लिए सुला दी गई । केवल चार सेवर विमान ढाका में बच गए, लेकिन ढाका की हवाई पट्टी नष्ट हो जाने से उनका उपयोग अंत तक नही किया जा सका ।
इस प्रकार 3 दिसम्बर की चांदनी रात पाकिस्तान के इतिहास की सबसे अंधेरी रात बनी । 14 दिन के युद्ध ने पाकिस्तानी शासकों के सभी मंसूबे समाप्त कर दिए और स्वतंत्र बांगला देश की स्थापना से पाकिस्तान केवल पश्चिम में एक छोटा-सा देश रह गया-वह भी हमालो की मार से काफी बर्बाद हो गया तथा पश्चिम में लगभग दो हजार वर्गमील क्षेत्र हमारे कब्जे में आ गया । हमारे देश पर हमला करने वाले पाकिस्तानी शासकों की ऐसी पराजय हुई कि वे दुनिया को तथा अपनी जनता को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे और युद्ध विराम होते ही गद्दियां छोड गए । एक हजार वर्ष तक भारत से लडते रहने का दम भरने वाले 14 दिन में ही भाग खडे हुए । 93,000 सैनिकों को भारत ने बंदी बना लिया । भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टों के बीच शिमला समझौते के तहत भारत में असीम मानवता का परिचय देते हुए युद्ध बंदियों को उनके राष्ट्र को वापस कर दिया, दुनिया में इतनी संख्या में दुश्मन राष्ट्र के सैनिकों को बंदी बनाने का यह पहला मामला था । हमारी इस विजय की कहानी भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी । अपमान से परेशान पाकिस्तान में फौजी सत्ता काबिज हुई और जनरल जियाउल हक ने जुल्फीकार अली भुट्टों को फांसी पर लटका दिया ।
मई 1999 में जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में घुसपैठिए भेजकर पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया, इन घुसपैठियों ने पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार 21 मई 1999 को हमला करते हुए भारतीय सेना के आयुध भण्डार को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर अपना अधिकार जमा लिया । भारतीय सेना ने 434 किलोमीटर लम्बे श्रीनगर लेह राष्ट्रीय राजमार्ग का सम्पर्क तोडने के इन घुसपैठियों के प्रयास को विफल कर दिया । भारतीय क्षेत्र से सेना समर्पित घुसपैठिए हटाने एवं नियंत्रण रेखा का सम्मान करने के लिए पाकिस्तान पर जबर्दस्त अंतराष्ट्रीय दबाव पडने लगा । अंतत: प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 5 जुलाई 1999 को अमेरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को आश्वासन दिया कि वे भारतीय भूमि से पाकिस्तानी सैनिकों और मुजाहिदीनों को वापस बुला लेंगे तथा नियंत्रण रेखा का पूरी तरह से सम्मान करेंगे, लेकिन एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत 12 अक्टूबर 1999 को पाकिस्तान के थल सेना अध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर स्वयं को देश का मुख्य अधिशासी घोषित कर दिया । मुशर्रफ यह वक्तव्य गौर करने लायक था कि दक्षिण एशिया में कश्मीर मसले पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल संभव है ।
इस प्रकार भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हुए है जिसमें पाकिस्तान को सदैव मुंह की खानी पडी है । इन युद्धों के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक उथल पुथल हुई है और अंतत: निर्णायक तौर पर सेना को तंत्र पर हावी होने का मौका मिला है ।
उरी हमले में आतंकवादियों द्वारा भारत के 18 जवानों की निर्मम हत्या में पाकिस्तान की संलिप्तता से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है । भारत ने अपनी पूर्ववर्ती नीतियों को छोडकर इस बार सैन्य कार्रवाई में सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सात आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया है । भारतीय सेना की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया है और पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ ने भारत पर परमाणु हमले की धमकी दी है । हालांकि दोनों देश परमाणु सम्पन्न है लेकिन पाकिस्तानी शासन तंत्र परमाणु हमले की धमकी के जरिए अपने डर को छुपा रहा है जबकि वह यह जानता है कि भारत के मुकाबले वह सैन्य क्षमता में बहुत पीछे है और युद्ध के मैदान में भारत के सामने उसका टिकना मुश्किल है ।
भारत और पाकिस्तान की सामरिक शक्ति की तुलना
दुनिया भर में जब भारत और पाकिस्तान का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है तो पता चलता है कि भारत पाकिस्तान से बहुत आगे है । यह बात सिर्फ अर्थव्यवस्था के मामले में ही लागू नहीं होती बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी लागू होती है । आंकडों पर नजर डाले तो पता चलता है कि भारत की सैन्य व्यवस्था पाकिस्तान से बहुत बेहतर स्थिति में है । सेना की क्षमता के हिसाब से भारत विश्व में चौथे स्थान पर है जबकि पाकिस्तान 15वें स्थान पर है, लेकिन दोनों ही देश परमाणु शक्ति सम्पन्न है ।
आइए भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य सुदृढता की क्या स्थिति है और यदि पांचवा युद्ध होता है तो क्या परिणाम हो सकता है इस पर एक नजर डालते है।
भारत पाकिस्तान
13,25,000 तैनात सुरक्षा बल 6,20,000
12,43,000 रिजर्व बल 5,15,000
6,464 टेंक 2,924
6,704 जंगी वाहन 2,828
7,414 ऑटोमेटिक घातक हथियार 3,278
292 मल्टीपल रॉकेट लांचर 134
2,086 एयर क्राफ्ट 923
346 आपातकालीन एयरपोर्ट 146
6,500 एंटी एयर क्राफ्ट वेपन 1,900
सैन्य तुलना में भारत के सामने पाकिस्तान कही नहीं ठहरता लेकिन वह हमेशा अपनी परमाणविक धौंस से ब्लेकमेल पर उतर आया है । अभी तक के चार युद्धों में उसे कही ना कही अमेरिकन समर्थन प्राप्त था लेकिन वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शानदार कूटनीति ने पाकिस्तान से वह निर्णायक बढत भी छीन ली है । अमेरीकी संसद में आतंक पर संसदीय उपसमिति के चेयरमेन टेड को ने पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने का प्रस्ताव दिया है तथा पाक के खिलाफ आतंकवाद समर्थक एक्ट एच.आर. 6069 पेश किया गया है । संसदीय नियमों के अनुसार अमेरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को 90 दिनों के भीतर जवाब देना है । स्पष्ट है अमेरिका पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता में भारी कटौती कर चुका है और अब उसका युद्ध के हालात में पाकिस्तान के साथ खडा होना बिलकुल भी संभव नहीं है । दूसरी ओर चीन आतंकवाद के विरूद्ध इस लडाई में पाकिस्तान का समर्थन कर पूरी दुनिया से बैर लेने की गलती करें ऐसा भी मुश्किल है क्योंकि चीन के लिए पाकिस्तान से सैन्य रिश्तों से ज्यादा उसके आर्थिक हित अहम है । बहरहाल भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान सदमें में है और इसका प्रभाव उसके सत्ता तंत्र पर देखने को मिल सकता है, कारगिल युद्ध के बाद जिस प्रकार नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर परवेज मुशर्रफ सत्ता पर काबिज हो गए थे । उसकी पुनरावृत्ति हो जाए और आश्चर्य नहीं राहिल शरीफ पाकिस्तान की अगुवाई करने लगे । भारत से आमने-सामने का युद्ध करें यह पाकिस्तान के बूते में नहीं है ।