आर यू रैड्डी ?

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callबीनू भटनगर

श्री माथुर और श्री राचनद्रन पड़ौसी थे। एक ही समय एक ही दफ़्तर मे जाना होता था। काफ़ी दिनो से दोनों एक ही कार मे जाने लगे थे।रास्ता अच्छा कट जाता था ,पैट्रोल की बचत के साथ पर्यावरण सुरक्षा की ओर बढ़ाया एक क़दम भी था। श्री राचनद्रन का रोज़ का नियम था कि वो निश्चित समय पर माथुर साहब को फोन करते और कहते ‘’आर यू रैड्डी (ready) ? माथुर साहब कहते ‘’यस आइ ऐम।‘’ये दो मिनट का वार्तालाप रोज़ की बात थी फिर दोनो औफिस जाने के लियें निकल पड़ते।

एक बार माथुर साहब के भाई उनके घर आये हुए थे जो डाक्टर हैं।रोज़ की तरह श्री राचनद्रन ने फोन किया ‘’आर यू रैड्डी (ready) ?‘’फोन उनके भाई ने उठाया और जवाब दिया ‘’नो आई ऐम नौट रैड़्डी (Reddy), आइ ऐम डाक्टर माथुर।‘’

श्री रामचंद्रन के उच्चारण मे Reddy  और ready मे भेद कर पाना किसी के लियें भी मुश्किल था।

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मनोविज्ञान में एमए की डिग्री हासिल करनेवाली व हिन्दी में रुचि रखने वाली बीनू जी ने रचनात्मक लेखन जीवन में बहुत देर से आरंभ किया, 52 वर्ष की उम्र के बाद कुछ पत्रिकाओं मे जैसे सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी और माधुरी सहित कुछ ग़ैर व्यवसायी पत्रिकाओं मे कई कवितायें और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। लेखों के विषय सामाजिक, सांसकृतिक, मनोवैज्ञानिक, सामयिक, साहित्यिक धार्मिक, अंधविश्वास और आध्यात्मिकता से जुडे हैं।

3 COMMENTS

  1. आज सोचता हूँ कि इस चुटकुले वाले श्री माथुर और श्री रेड्डी अगर हकीकत में बदल जाएँ और सचमुच साथ साथ ऑफिस जाने लगें ,तो न जाने कितनी समस्याएं सुलझ जाएँ.

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