यदि निकाह के बाद अग्रि के फेरे लिए तो फिर धर्मान्तर हो गया ,अब क्या करे सातो वचन निभाने के संकल्प के साथ जब भरवा ली गई मांग
बैतूल, (रामकिशोर पंवार) जबसे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत एक मुस्लीम युवक एवं युवती के हिन्दू रीति – रिवाज से विवाह करवा लेने का मामला तूल पकडऩे लगा हैं तबसे चौतरफा विवादो एवं आरोपो से घिरे सरकारी मोहकमे द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा हैं कि उसका तो पहले ही निकाह हो चुका हैं। यदि निकाह हो जाने के बाद पुन: दोनो का अग्रि के समक्ष फेरे लगाना , सातो वचन निभाने का संकल्प लेना , सिंदुर से मांग भरना , मंगलसूत्र का पहनना तथा पूरा विवाह ही हिन्दु रीति – रिवाजो से करना या करवाना धर्मान्तरण की श्रेणी में आता हैं। भाजपा सरकार के खिलाफ अब गैर हिन्दू संगठनो का खुल कर मोर्चा खोलना सरकार को किसी बड़ी मुसीबत में डाल सकता हैं। इधर उस मुस्लीम परिवार के खिलाफ भी चंद रूपयो एवं लालच के चलते निकाह के बाद करवाये गए विवाह को लेकर फतवा तक जारी किए जाने की अटकले लगाई जा रही हैं। बैतूल जिले में बीते दो- तीन जिलो से पड़ौसी अमरावति जिले से कटट्रपंथी मुस्लीम संगठन और उससे जुड़े लोग चिचोली एवं भैसदेही में डेरा डाले हुए हैं। बैतूल के ही एक मुस्लीम टीवी चैनल के रिर्पोटर से पूरे वैवाहिक कार्यक्रम की वीडियो फूटेज पाने के बाद संगठन के लोग भाजपा सरकार के खिलाफ लोगो की धार्मिक भावना के साथ छेड़छाड़ को लेकर जन आन्दोलन को भी मूर्त रूप देने की तैयारी में लगे हुए हैं। बैतूल जिला मुख्यालय पर कांग्रेस संगठन से जुड़े कुछ अल्पसंख्यक नेताओं से भीदो दौर की चर्चा होने के बाद अब पूरे मामले को लेकर मौलवी एवं काजियों की सलाह ली जा रही हैं। बताया जाता हैं कि चिचोली के हरदू ग्राम में सम्पन्न हुए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सम्पन्न हुए सामुहिक विवाह कार्यक्रम में अजाक मंत्री कुंवर विजय शाह को निपटाने के लिए पूर्व राजस्व मंत्री कमल पटेल के समर्थक बैतूल में अपनी घुसपैठ बनाए हुए हैं। मंत्री पद से वचिंत हुए बैतूल जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री कमल पटेल को अपनी बैतूल जिले के प्रभारी मंत्री पद से छुटट्ी एवं राज्य मंत्रीमंडल से बाहर किये जाने के पीछे रची गई साजिश में अजाक मंत्री विजय शाह की बिछाई चाल का जवाब देने का मौका मिल गया हैं।
पूरा मामला कुछ इस प्रकार का हैं कि बैतूल जिले में सरकारी मंशा और जल्दबाजी कई बार घातक परिणाम लेकर आ धमकी हैं। ऐसे मामलो में तब ज्यादा बवाल पैदा हो जाता है जब लोगो की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ हो जाता हैं। प्रदेश की भगवा भाजपाई सरकार ने राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के दो परिवारो को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। बताया जाता हैं कि धार्मिक रीति – रिवाजो एवं अपनी कटट्र पंथी छबि के कारण जाना पहचाना जाने वाला मुस्लीम सम्प्रदाय इस बात से बेहद खफा हैं कि सरकारी मंशा के ठीक विपरीत बैतूल जिले के मुख्यमंत्री कन्यदान योजना के सूत्रधार अधिकारियों ने जबरिया चिचोली ब्लॉक के ग्राम हरदू में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में एक मुस्लिम जोड़े का विवाह गायत्री रीति रिवाज से हिंदू पद्धति से विवाह करवा दिया। इस विवाह को निकाह में बदलने का कोई तरीका न देख कर अब युवक और युवती के माता – पिता पर प्रशानिक दबाव और लालच देकर उन्हे मनाया जा रहा हैं कि वे इस मामले को तूल न दे। मध्यप्रदेश शासन के केबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह की मौजूदगी में सम्पन्न करवाये गए जबरिया हिन्दु रीति रिवाज के उक्त विवाह के बाद मुस्लीम संगठनो एवं संस्थाओं के द्वारा उक्त विवाह को अस्वीकार करने के बाद अब मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। बताया गया कि भैंसदेही निवासी रूबीना परवीन का विवाह परतवाड़ा धूतरखेड़ा निवासी कदीर खान से तय हुआ। जिसमें दोनों पक्षों ने 19 मई को सामूहिक विवाह में विवाह कराने के लिए चिचोली जनपद में पंजीयन कराया। दोनों पक्ष विवाह के लिए कार्यक्रम स्थल हरदू पहुंचे तो वहां पर मुस्लिम पद्धति से विवाह कराने के लिए कोई मौलवी मौजूद नहीं था। ऐसी परिस्थिति में गायत्री मंत्रोच्चार के साथ उक्त दोनो मुस्लीम युवक – युवती का हिंदू रीति रिवाज से विवाह संपन्न कराया गया। जिसमें दूल्हे ने बकायदा दुल्हन को वरमाला पहनाई, मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाकर अग्नि के सात फेरे भी लिए। इस बारे में इस्लाम के जानकारो का कहना हैं कि इस्लाम ऐसे किसी भी प्रकार के विवाह को मान्यता नहीं देता हैं। ऐसा करके एक प्रकार से दोनो ने धर्म परिवर्तन कर लिया हैं। मुस्लीम सम्प्रदाय की युवती के पालक मामा हबीब खान का कहना था कि हमने 19 मई को पंजीयन करा लिया था तो इन्हें समय पर निकाह के लिए मौलवी की व्यवस्था करना चाहिए थी, जो नहीं की गई। ऐसी स्थिति में आयोजकों ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की इसी पद्धति से विवाह करा लो तो हमारे पास कोई दुसरा विकल्प नहीं था और अधिकारी कर्मचारी लगातार दबाव बना रहे थे इसलिए हमे उक्त विधि से विवश होकर विवाह करना पड़ा। हमारी मजबुरी का एक प्रकार से प्रशासन ने फायदा उठा लिया। हालाकि हमने उन्हें कुछ देर प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया था, जिससे कि मौलवी की व्यवस्था की जा सके। लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी और विवाह हो गया। कुछ समय बाद में जब मौलवी आया तो भी इन्होंने हिन्दु रीति से हो चुके विवाह को निकाह में बदलने से साफ इंकार कर निकाह करने से मना कर दिया। मध्यप्रदेश मुस्लीम त्यौहार कमेटी के प्रांतीय सचिव एवं अंजुमन कमेटी सारनी के महासचिव अब्दुल रहमान खान के अनुसार शरीयत यह कहती है कि दो गवाह और एक वकील की मौजदूगी में तय किया मेहर और उसके कबुलनामे के बिना कोई भी विवाह हराम हैं। निकाह में मौलवी का मौजूद होना और खुदबा पढऩा भी जरूरी हैं। कोई भी निकाह शरीयत के अनुसार बिना काजी या मौलवी की मौजूदगी के करना या करवाना भी इस्लाम विरोधी कृत्य है जिसके लिए दोनो को सजा तक देने का प्रावधान हैं। बैतूल जिले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहुचर्चित कन्यादान योजना के ऊपर लगे सवाल ने दोनो सम्प्रदायो के बीच वैमनस्ता की भले ही लकीर न खीची हो लेकिन महज सरकारी लक्ष्यपूर्ति या सरकारी फायदे की मंशा से हुए इस विवाह को इस्लाम मान्यता नहीं देता है। इधर मामले को जोर पकड़ता देख कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार पर लोगो की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगा डाला हैं। बैतूल जिले के इस बहुचर्चित विवाह कार्यक्रम का आयोजन चिचोली जनपद के द्वारा करवाया गया था। चिचोली ब्लॉक के ग्राम हरदू में आयोजित सामूहिक विवाह में प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह ने पूरे मामले में अपनी पार्टी एवं सरकार का बचाव करते हुए सारा ठिकरा उन लोगो पर छोड़ दिया जो विवाद को जन्म दे रहे थे। श्री शाह का कहना हैं कि हिन्दू धर्म न होकर एक जीवन शैली हैं इसलिए अलग – अलग जाति के रिवाजो के अनुसार विवाह कराना संभव नहीं हैं। हरदू में जो कुछ भी हुआ है वह सोलह आने सही हैं। मंत्री की मौजूदगी में गैर अल्पसंख्यक 249 जोड़े विवाह सूत्र में बंधे। इन जोड़ो में के अलावा एक मात्र ही ऐसा जोड़ा था जो अल्पसंख्यक समुदाय से था। भाजपा सरकार के भगवा रंग में रंगीन इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक गीता उइके, पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल, पूर्व संसदीय सचिव रामजीलाल उइके और राजा ठाकुर उपस्थित थे।
मकड़ाई के राजकुमारो द्वारा खेड़ला किले को जीतने के लिए राजनैतिक घेराबंदी
बैतूल, (रामकिशोर पंवार) इतिहास इस बात का गवाह हैं कि पारसमणी के चक्कर में जिस खेड़ला किले को जीतने के लिए मुगल सेनापति रहमान शाह दुल्हा को अपनी जान गंवानी पड़ी थी अब उस खेड़ला किले को जीतने के लिए पड़ौसी मकड़ाई रियासत के राजकुमारो की राजनैतिक घेराबंदी शुरू हो गई हैं। बैतूल जिले में राजा ईल का खेड़ला ही एक मात्र ऐसा राज्य था जो कि पड़ौसी महाराष्ट्र तक फैला हुआ था। आज का अचलपुर दरअसल में उस समय का एलिजपुर था जो राजा ईल की राजधानी थी। वैसे तो बैतूल जिले में चार पहाड़ी तथा एक मैदानी किला हैं। राजा ईल का खेड़ला किला पूरे किलो का मुख्य केन्द्र था। पड़ौस की मकड़ाई रियासत की कुलदेवी बैतूल जिले के ग्राम हरदू में होने के कारण मकड़ाई के राजकुमारो एवं उनकी रानियों का बैतूल जिले की सीमा क्षेत्र में आना – जाना बना हुआ था। अब टिमरनी , हरसुद की विधानसभा सीट जीतने के बाद कुंवर विजय शाह एवं संजय शाह के बाद रियासत के सबसे बड़े राजकुमार अजय शाह की ताजपोशी की रणनीति बनाई जा रही हैं। बैतूल में शाह बंधुओ का सामुहिक स्नेह भोज को लेकर भाजपा का एक धड़ा सबसे ज्यादा नाराज हैं। सरकारी परिसर में अपने बड़े भाई अजय शाह के लिए भूमि तलाशने आए अजाक मंत्री कुंवर विजय शाह का वन विद्यालय परिसर में कांग्रेस एवं भाजपा के नेताओं के साथ जिले के प्रमुख धन्नासेठो को दिया गया उक्त स्नेह भोज बैतूल जिले की एक मात्र आदिवासी सासंद श्रीमति ज्योति बेवा प्रेम धुर्वे की राजनैतिक नींव को धराशही करने की सोझी समझाी रणनीति का एक हिस्सा थी। इस मिलन समारोह में प्रमुख विपक्षी दलो के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के साथ – साथ बहुचर्चित – विवादास्पद लोगो से मंत्री जी एवं उसके बड़े भाई का मेल मिलाप लोगो को हजम नहीं हो रहा हैं। बैतूल जिले में कुंवर विजय शाह एवं अजय शाह के बाद संजय शाह एवं भावना शाह की राजनैतिक महत्वाकांक्षा ने बैतूल जिले में राजनैतिक हलवल पैदा कर दी हैं। मकड़ाई के राजकुमारो की बैतूल जिले में घुसपैठ जिले के काग्रेंसी एवं गैर कांग्रेसी नेताओं की भी नींव हिलने लगी हैं। जिले की सासंद ने अपने क्षेत्र में इस तरह की राजनैतिक दंखलदाजी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। श्रीमति ज्योति धुर्वे के लोकसभा चुनाव को लेकर दायर जनहित याचिका के तथाकथित फैसले की पूर्व संभावना को लेकर शाह परिवार हरदा , खंडवा के बाद अब बैतूल जिले में भी अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कांग्रेस एवं भाजपा के असंतुष्ठ नेताओं को अपने पक्ष में करके एक नई राजनैतिक चाल खेलने जा रहे हैं। इस राजनैतिक शतरंज की चाल में राजा बनाया है भाजपा के ही असंतुष्ठ नेता राजा ठाकुर को जिसके कंधे पर अपनी तोप रख कर अब किसी बड़े धमाके की योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा हैं। खेड़ला का किला जिला मुख्यालय से लगा हुआ है और किला बिना किलेदार के जीत पाना शायद मकड़ाई के राजकुमारो के लिए आसान नहीं हैं इसलिए पूरे किलेदार परिवार को अपने स्नेह भोज में अगली पंक्ति में रख कर कुंवर विजय शाह ने एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास तो किया लेकिन भाजपा संगठन की ओर से इसका भी मुंह तोड़ जवाब दिया गया हैं जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती हैं। मध्यप्रदेश से भाजपा की एक मात्र आदिवासी महिला सासंद श्रीमति ज्योति बेवा प्रेम धुर्वे को आगे करके ज्योति को ज्वाला बना कर पूरा संगठन मकड़ाई के राजकुमार एवं संगठन विरोधियों की महत्वाकांक्षा को ही जला कर राख कर देने के लिए अपनी ओर से निशाना साध चुके हैं। बैतूल जिले से कांग्रेस संगठन की आपसी फूटवैल का फायदा उठाने की शाह बंधुओ की महत्वाकांक्षा पर उस समय भी कुठाराघात लग गया जब भाजपा और कांग्रेस की ओर से जानबुझ कर अल्पसंख्यक युवक – युवती के हिन्दू पद्धति से सामुहिक विवाह करवा देने के मामले को जबदस्त तूल देकर मंत्री के खिलाफ जबदस्त माहौल तैयार किया गया हैं। बैतूल के पूर्व सासंद भले ही शाह बंधुओं के कार्यक्रम में उपस्थित रहे लेकिन सासंद ने स्नेह भोज का बहिष्कार करके नहले पर दहला दे मारा हैं। बैतूल जिले में कुंवर विजय शाह की सेंघ लगाने की सोची समझी साजिश का उस समय खुलासा हो गया जब पूर्व वनमंत्री कुंवर विजय शाह ने जिले के प्रभारी मंत्री को हटा कर स्वंय की ताजपोशी करवाने का शिगुफा छोड़ दिया। विजय शाह यह तक कह गए कि वे बैतूल जिले के प्रभारी मंत्री बन गए तो संभव हैं कि शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी सकेगें। बरहाल जो भी आने वाला भविष्य ही बता पाएगा कि खेड़ला के किले का रहमान शाह के बाद क्या विजय शाह भी अपनी गर्दन कटवा कर शहीद बन जाएगें या फिर अभिशप्त उस किले को जीत पाएगें जिसकी किसी वस्तु को छुने या लाने के बाद तबाही और बर्बादी का ऐसा सैलाब आ जाता हैं कि सब कुछ चला जाता हैं।