शाहजहांपुर की शेरनी के जज्बे को सलाम

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अनिल अनूप

एक पंक्ति गुनगुना कर लिखना पड़ रहा है ये पंक्तियां शाहजहांपुर की बहादुर बिटिया पर बिल्कुल सटीक बैठती है “अंबे है मेरी मां जगदंबे हैं मेरी मां ,तू है मेरी मां—-। नारी और बेटी घर की देवी होती है ।नारी की सहनशीलता का कोई भी मूल्यांकन नहीं कर पाया है। एक स्त्री की महिमा को भगवान नहीं समझ पाए तो मनुष्य की क्या हिम्मत ?लोग कहते हैं कि नारी में दुर्गा दिखती है ,नारी ही चंडी है और मां अन्नपूर्णा, मां भवानी ,मां काली माता इन सभी ने अस्त्र कब और क्यों उठाया। यह सभी लोग जानते हो नारी ने कभी भी किसी दूसरे वेबजह अहित नहीं सोचा परंतु उसको आप लगातार कष्ट देंगे ।लगातार उसकी सहनशीलता पर कुठाराघात करेंगे तब ऐसी बेटी यह महिला चंडी का रूप धारण करेगी ।उसको काली, दुर्गा,चंडी बनना ही पड़ेगा ।ऐसा ही शाहजहांपुर की बेटी के साथ एक ढोंगी बाबा ने दुष्कर्म किया जबकि यह बेटी उनको अपना गुरु मानती थी परंतु इस गुरु ने गुरु की महिमा को कलंकित कर दिया। ऐसे समाज के ढोंगी बाबाओं ने असली सन्तों पर भी प्रश्नचिन्ह बना दिया है। संत समाज क्या होता है संत समाज ने हमेशा अपने तपोबल के दम पर समाज को कुछ दिया है संत समाज की महिमा क्या है ,यह शास्त्रों व पुराणों में मिलता है ।कैसे तप करते थे और उस तपस्या के दम पर समाज के लिए कितना त्याग किया ,यह सर्व विदित है।महर्षि दधीचि ने असुर के नाश के लिए अपने शरीर की हड्डियां दान की थी। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने पूरे भारत के विकास के लिए उद्धार के लिए मां गंगा को भेज दिया, इसे कहते हैं संत समाज। एक बार दुष्कर्म करने के बाद इस ढोंगी बाबा ने पीड़िता के घरवालों पर बहुत दबाव बनाया था इसका बेटा नारायण साईं शाहजहांपुर, कभी लखनऊ व अन्य जनपदों में रहकर षड्यंत्र रचता रहा और यहां तक कि 70 करोड रुपए इस बहादुर बेटी की अस्मिता लूटने की लगायी है ।एक बार बिटिया के घरवाले सोचने पर मजबूर हो गए थे कि जब परिवार ही नहीं बचेगा ,कोई इंसान ही नहीं बचेगा, तब आखिर लड़ाई किसके लिए लड़ी जाये ।ऐसा सोच समझकर एक बार पीड़िता के पिता के मन में एक विचार आया है परंतु मीडिया ने अपना दायित्व बहुत बखूबी से निभाया एवं उस बहादुर बिटिया ने अपने पिता से सीधे कह दिया अगर आप भी मेरा साथ नहीं दोगे तो वह अकेले इस लड़ाई को लड़ेंगी।ऐसी बेटी पर समाज को नाज है इसे कहते हैं दुर्गा, चंडी,काली का रूप। ऐसी बेटी पर शाहजहांपुर जनपद  को गर्व है जबकि सभी लोग जानते हैं कि जिसकी इज्जत लुट जाती है उसे समाज मे मुंह छुपाना पड़ता है वह समाज के बीच आने में शर्म महसूस होता है आसाराम जिसके चरणों में अटल बिहारी बाजपेई, मोदी ,आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता सिर झुकाते हो ,कल्पना कीजिए यह ढोंगी बाबा केवल राष्ट्रीय स्तर का व्यक्ति नहीं बल्कि इसकी पकड़ अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी रही। कल्पना करिए एक सामान्य व्यक्ति इतने बड़े जिसका इतना साम्राज्य हो ,उसके सामने टिक सकता है ।लड़ाई की सोच भी सकता है लेकिन वास्तव में मानना पड़ेगा कि शाहजहांपुर की इस बहादुर बिटिया ने ढोंगी बाबा की पोल खोल दी है जिसके कारण बेटियों में साहस बढ़ेगा और आज इस पर पूरे समाज को नाज है शहीदों की नगरी पर। शाहजहांपुर को ऐसे ही नहीं कहा जाता है यहां से क्रांतिकारियों ने जन्म लिया है और ऐसी ही एक क्रांतिकारी देवी का रूप चंडिका रूप शाहजहांपुर  की यह बिटिया है।भारतवर्ष में संत और महात्मा को लोगों ने भगवान का दर्जा दिया परंतु इंसान की यही सबसे बड़ी भूल है ।इंसान को इंसान ही रहने दिया जाए उसको भगवान न माना जाए क्योंकि जिनको लोग भगवान मान लेते हैं, वही समाज का शोषण करने लगता है ।ऐसा ही मामला शाहजहांपुर जनपद का है। एक बेटी के साथ उसने जबरन दुष्कर्म किया था ,उसको बंधक बनाया था और उसको धमकी दी थी कि किसी को बताओगीे नहीं अगर किसी को बताया तो उसके पिता को मरवा दिया जाएगा ।सबसे बड़ी की बात है देखो शाहजहांपुर का यह व्यक्ति इस पाखंडी की भगवान की तरह से पूजा करता था तथा यहां तक कि उसने शाहजहांपुर में आसाराम के लिए आश्रम तक अपने पैसों से बनवाया था ।गलती इतनी सी रही कि उन्होंने आसाराम को भगवान मान लिया और यह कब भगवान से इंसान बन गया इसका अंदाजा न समाज ने लगाया और पीड़िता के पिता को चल पाया। दस करोड़ से ज्यादा फ़ॉलोअर्स  किसी के ऐसे नहीं बन जाते हैं अर्थात पहले संत समाज के मापदंडों को मानता रहा होगा परंतु इंसान है इंसान कब भक्षक बन जाए? कब उसकी नियत बदल जाए ?इसका अंदाजा कोई नहीं जानता है। आसाराम ने जेल से निकलने की बहुत सारी कोशिशें की ।उसने गवाहों पर हमले करवाएं, गवाहों को मरवा दिया। प्रतिदिन कोई न  कोई षड्यंत्र जेल से रचता  रहा। जेल में बैठा यह शख्स किसी आतंकवादी से कम नहीं था जैसे आतंकवादी रहते तो जेल में हैं परंतु अपने गुर्गों के द्वारा ऐसी रणनीति बनाते हैं जिससे सरकार घुटनों पर आ जाए और उनकी मांग मान ली जाए वैसे ही यह शख्स आसाराम जेल में षड्यंत्र रचता रहा ,लगातार धमकाना, पत्रिकाएं बटवाना और पत्रिकाओं में आसाराम को भगवान दिखाया गया था ।पीड़िता के वकील राजेंद्र सिंह ने भी बहुत निर्भीकता के साथ केस को लड़ा और हार नहीं मानी ।सबसे बड़ी बात यहां पर बहादुरी की बात पीड़िता के घर वालों व पीड़िता के पिता की है जिसको खरीदने की लाख कोशिश की गई परंतु वह झुका नहीं और लगातार अपनी बेटी के इंसाफ के लिए लड़ता रहा जिसका नतीजा आप लोगों के बीच आ चुका है जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा दी एवं दो और अभियुक्तों को बीस-बीस वर्षों की सजा दी। कहावत है कि भगवान के यहां न्याय में देर तो लगती है परंतु अंधेर नहीं ।यह बात जोधपुर कोर्ट में पूरी तरीके से सिद्ध कर दिए और लगातार कोर्ट सिद्ध करता रहता है इसीलिये कारण समाज में लोगों का  न्याय पर भरोसा बना रहता है।आसाराम को सज़ा सुनाए जाने के बाद तेज़ ख़बर से बातचीत में शाहजहांपुर के पत्रकार नरेंद्र यादव ने इस पूरी प्रक्रिया में उनके सामने आने वाली तमाम बाधाओं और चुनौतियों पर विस्तार से बात की।
उनका कहना था, “20 अगस्त 2013 को पहली बार ये मामला संज्ञान में आया था चूंकि पीड़ित लड़की शाहजहांपुर की रहने वाली थी और मैं यहां धर्म-कर्म बीट कवर करता था इसलिए इसकी जानकारी के लिए मुझे ज़िम्मेदारी दी गई।

*पैकेट में भिजवाए गए पांच लाख*

नरेंद्र यादव बताते हैं कि पहले सामान्य तौर पर इसे एक क्राइम की ख़बर की तरह हमने किया लेकिन जब मामले की गहराई तक पहुंचा और आध्यात्मिक चोले में लिपटे इतने ‘ख़तरनाक’ व्यक्ति का पता चला तो हमने इसे मिशन बना लिया।वह बताते हैं, “फिर तो जैसे जुनून सवार हो गया कि शाहजहांपुर की बेटी को न्याय दिलाकर रहूंगा, चाहे जो हो।नरेंद्र यादव बताते हैं कि ऐसी तमाम कोशिशें हुईं जिससे मैं इस ख़बर से दूर हो जाऊं लेकिन वे लोग सफल नहीं हो पाए।
नरेंद्र यादव एक घटना का ज़िक्र करते हैं, “मुझे कुछ गुंडों ने पहले धमकाने का काम किया, फिर मेरे ऊपर तंत्र-मंत्र करके डराने की कोशिश की गई।उसके बाद एक दिन मेरे पास नारायण पांडे नाम का एक व्यक्ति आया
।उसने एक पैकेट देते हुए कहा कि बापू ने आप के लिए ‘सद्बुद्धि का प्रसाद’ भेजा है।आप इसे रखिए और बापू के पक्ष में ख़बर लिखिए यदि ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।
नरेंद्र यादव बताते हैं कि पैकेट खोलकर देखा तो उसमें एक ऋषि प्रसाद पत्रिका थी, कुछ अख़बार थे जिसमें अशोक सिंघल और तमाम बड़े नेताओं के बयान आसाराम के पक्ष में छपे थे।
नरेंद्र यादव ने इस बात को बहुत गंभीरता से नहीं लिया लेकिन अगले कुछ दिन में उन पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला हो गया।वह बताते हैं, “फिर कुछ दिन बाद ही एक व्यक्ति मेरे पास पांच लाख रुपये लेकर आया और बोला कि ये टोकन मनी है, आगे और मिलेगा।
वह कहते हैं, “मैंने उससे कहा कि आसाराम ने एक अपराध नहीं किया है बल्कि कई अपराध किए हैं। मेरी क़लम न तो झुकेगी, न रुकेगी और न ही बिकेगी और मैंने उसे गाली देकर भगा दिया।

*’मुझ पर और ख़तरा बढ़ गया है’नरेंद्र यादव* शाहजहांपुर में दैनिक जागरण अख़बार में काम करते हैं और उस वक़्त भी वहीं काम कर रहे थे वो बताते हैं कि अख़बार ने उन्हें बहुत समर्थन दिया और पूरी छूट दी सही ख़बर छापने की।
उनके मुताबिक़ कई अख़बारों के रिपोर्टर इस बात से हैरान भी रहते थे कि उन्हें ही सारी ख़बरें क्यों मिल रही हैं, “लेकिन सच्चाई ये है कि मैंने उस मामले से जुड़ी हर सही बात छापने की कोशिश की, भले ही मुझे उसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा हो.”नरेंद्र यादव बताते हैं कि उन्होंने क़रीब 287 ख़बरें इस मामले में लिखीं और सबका बहुत प्रभाव पड़ा. हालांकि इस दौरान उन पर न सिर्फ़ जानलेवा हमला हुआ बल्कि आसाराम के तमाम समर्थकों ने उनका बहिष्कार किया और बापू को निर्दोष बताते हुए मुझ पर ग़लत ख़बरें लिखने का आरोप लगाया.नरेंद्र यादव पर 2014 में हुए जानलेवा हमले के बाद प्रशासन ने उन्हें सुरक्षा दे रखी है, बावजूद इसके वो कहते हैं, “आसाराम के शिष्यों का इतना ज़्यादा ब्रेन वॉश किया गया है कि वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. जहां तक मेरा प्रश्न है, तो मुझ पर ख़तरा और बढ़ गया है।शाहजहांपुर के निर्भीक पत्रकार नरेंद्र यादव के जज्बे को सलाम है जिन्होंने आसाराम व पीड़िता से जुड़ी हर खबर को दैनिक जागरण में प्रमुखता के साथ लिखा। उनको धमकियां मिली परंतु वह डरे नहीं ।एक सच्चे कलमकार ने एक पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी परंतु जेल में बैठा षड्यंत्रकारी ढोंगी बाबा आसाराम ने अपने गुर्गों के द्वारा उनके ऊपर हमला करा दिया जब वह अपने ऑफिस से निकल रहे थे कि मोटरसाइकिल सवार लोगों ने हंसिए से उनके गले पर प्रहार किया ।यह शाहजहांपुर से लेकर तमाम राज्यों में सनसनी फैली थी। ऐसे ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकार नहीं है। इसके बावजूद भी विडंबना देखिए अभी भी इस ढोंगी बाबा के बहुत सारे भक्त हैं जो बार-बार कह रहे हैं कि आसाराम बेकसूर है क्योंकि भगवान राम को भी जंगल मे रहना पड़ा ।कहने का मतलब अभी भी उस ढोंगी बाबा के अंदर उन्हें भगवान नजर आ रहे हैं जिसके कारण पीड़िता के घरवालों एवं उनके उनके पक्ष में गवाही देने वाले लोगों पर और कलमकारों पर खतरा टला नहीं है।

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