—विनय कुमार विनायक
जातिवाद क्या है?
जो अपनी जाति को श्रेष्ठ
और दूसरी जाति को नीच समझता हो!
ब्राह्मणवाद क्या है?
जो अपनी जाति के सिवा
तमाम जातियों को वर्णसंकर समझता हो!
तो क्या सभी ब्राह्मण एक जाति है?
नहीं ब्राह्मण अनेक जातियों का एक वर्ण है
कुछ देशी कुछ विदेशी आक्रांताओं के पुरोहित वर्ग के!
तो क्या सभी ब्राह्मण जाति समान है
नहीं हर ब्राह्मण जाति अपनी जाति को श्रेष्ठ
और दूसरी ब्राह्मण जातियों को निम्न समझती!
तो क्या सभी ब्राह्मण श्रेष्ठ है?
नहीं प्रत्येक ब्राह्मण जाति की मंशा में
दूसरी ब्राह्मण जाति नीच और निम्नतर होती!
हर ब्राह्मण जाति दूसरी ब्राह्मण जाति को
नीच कमतर हेय साबित करने के लिए
एक दूसरे को सप्रमाण वर्णसंकर बता देती
यह भी ब्राह्मण के बीच का ब्राह्मणवाद है!
तो क्या ब्राह्मणवाद सिर्फ ब्राह्मण में होता?
नहीं ब्राह्मणवाद सभी वर्ण सभी जातियों में होता
ब्राह्मणवाद की खासियत है कि अनेक ब्राह्मणों ने
अलग अलग समय में अनेक स्मृतियाँ और शास्त्र लिखे
जिसके अनुसार ब्राह्मण सहित सभी जन्मना शूद्र होते!
हर ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र
अपने वर्ण की दूसरी जाति को नीच समझता
यही गैरब्राह्मण जातियों के बीच का ब्राह्मणवाद है
हर ब्राह्मण अपने से नीच ब्राह्मण को खोज लेता!
हर क्षत्रिय अपने से नीच क्षत्रिय तलाश लेता
हर वैश्य अपने से नीच स्तर का वैश्य तलाश लेता
हर शूद्र अपने से नीच शूद्र अंत्यज को तलाश लेता!
और सारे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र को
सारे तथाकथित नीच ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र
अपने से नीच अति शूद्र प्रमाणित कर देता!
इसे कहते हैं जातियों के बीच का ब्राह्मणवाद
कोई अंत्यज हरिजन आपस में बराबर नहीं है
भंगी भी अपने से नीच भंगी को तलाश कर लेता
ब्राह्मण से शूद्र तक सभी एक दूसरे को नीच समझता!
यही है जातिवाद की विशेषता
कि तमाम जातियाँ एक दूसरे की नजर में नीच होती
अपने से नीचे जाति की तलाश में हिन्दू खल्लास हो गया
हिन्दू को बचाओ जातिवाद को मिटाओ तभी उल्लास होगा!
—विनय कुमार विनायक