लेख ‘अभिव्यक्ति’ को सलाखें नहीं ‘आजादी’ चाहिए ? February 24, 2021 / February 24, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जलवायु एक्टिविस्ट दिशा रवि को एक लाख के निजी मुचलके पर चर्चित ‘टूलकिट’ मामले में तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस खुद कटघरे में खड़ी हो गई है। सवाल उठता है कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना, लिखना देशद्रोह […] Read more » अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जलवायु एक्टिविस्ट दिशा रवि टूलकिट
कविता मग रहे कितने सुगम जगती में ! November 15, 2018 / November 15, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment रचयिता: गोपाल बघेल ‘मधु’ मग रहे कितने सुगम जगती में, पंचभूतों की प्रत्येक व्याप्ति में; सुषुप्ति जागृति विरक्ति में, मुक्ति अभिव्यक्ति और भुक्ति में ! काया हर क्या न क्या है कर चहती, माया में कहाँ कहाँ है भ्रमती; करती मृगया तो कभी मृग होती, कभी सब छोड़ कहीं चल देती ! सोचते ही है […] Read more » अभिव्यक्ति गहराइयाँ त्रिलोक मग रहे कितने सुगम जगती में !
विविधा आजादी की अभिव्यक्ति या अभिव्यक्ति की आजादी? January 30, 2018 by अखिलेश आर्येन्दु | Leave a Comment अखिलेश आर्येन्दु आए दिन जिस भाषा का इस्तेमाल नेताओं, मज़हब और जाति के ठेकेदारों और मीडिया के जरिए होता है वह वाकई में लोकतंत्र के लिए बहुत चिंता की बात है। चिंता की बात इस लिए भी है कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी केे नाम पर कुछ भी कहने-सुनने की छूट मिलने की वजह […] Read more » Featured freedom of expression अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति की आजादी आजादी की अभिव्यक्ति
जन-जागरण मीडिया अभिव्यक्ति पर आतंकी हमला January 8, 2015 / January 8, 2015 by गिरीश पंकज | 1 Comment on अभिव्यक्ति पर आतंकी हमला गिरीश पंकज पेरिस से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक ”चार्ली हेब्दो” पर हुआ आतंकी हमला एक बार फिर सोचने पर विवश कर गया कि आखिर कब तक पूरी दुनिया दहशत के साये में जीती रहेगी. इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस के हौसले बुलंद है. इसको तोड़ना बहुत ज़रूरी है। ये आतंकी लोग ही सिडनी में लोगो को […] Read more » अभिव्यक्ति
आलोचना अभिव्यक्ति का मतलब अश्लीलता तो नहीं… June 3, 2010 / December 23, 2011 by गिरीश पंकज | 7 Comments on अभिव्यक्ति का मतलब अश्लीलता तो नहीं… -गिरीश पंकज अपने देश में इन दिनों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जिस तरह की लंपटताई का खेल चल रहा है, उसे देख कर खीझ होती है। कुछ तथाकथित प्रगतिशील लोगों के कारण समाज का एक नया बौद्धिक वर्ग अश्लील अभिव्यक्तियों को ही आधुनिक होने की गारंटी समझ रहा है। आप अपनी तमाम काली […] Read more » Obscenity अभिव्यक्ति अश्लीलता