राजनीति ओम थानवी के नाम खुला पत्र / प्रेम जनमेजय June 4, 2012 / June 28, 2012 by प्रेम जनमेजय | 1 Comment on ओम थानवी के नाम खुला पत्र / प्रेम जनमेजय प्रिय भाई यह पत्र ‘ताकि कुछ गर्द हट’ के संदर्भ में लिख रहा हूं। आप तो जानते ही हो कि साहित्य में धूल भरी आंधियों का मौसम सदा से रहा है, आप कितना भी बुहार लें गर्द हटकर फिर अपने अस्तित्व के साथ उपस्थित हो जाती है। कह सकते हैं कि गर्द का स्थानांतरण होता […] Read more » ओम थानवी भारत नीति प्रतिष्ठान वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति ओम थानवी और माध्यम निरक्षरता May 31, 2012 / June 28, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 5 Comments on ओम थानवी और माध्यम निरक्षरता जगदीश्वर चतुर्वेदी ओम थानवी साहब बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। मैं कभी उनसे नहीं मिला हूँ। लेकिन उनके लिखे को इज्जत के साथ पढ़ता रहा हूँ। “आवाजाही” शीर्षक से उन्होंने 29 अप्रैल 2012 को जनसत्ता में एक लेख लिखा है, वह एक संपादक के ज्ञान का आभास कम और माध्यम निरक्षरता का एहसास ज्यादा कराता है। […] Read more » इंटरनेट ओम थानवी जनसत्ता वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति हर कोई गोलबंद है / चंचल चौहान May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on हर कोई गोलबंद है / चंचल चौहान चंचल चौहान ओम थानवी की टिप्पणी ‘आवाजाही के हक में’ (‘अनन्तर’, 29 अप्रैल) अगर हिंदी लेखक समुदाय में व्याप्त संकीर्ण रुझानों को लेकर पीड़ा व्यक्त करती, तो उसके मूल संवेदनात्मक उद्देश्य से असहमत होने की गुंजाइश नहीं होती। यह एक पवित्र उद्देश्य ही होता कि लेखक विचारधारा के आधार पर छुआछूत न बरतें, सौ तरह […] Read more » ओम थानवी चंचल चौहान भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद / के विक्रम राव May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद / के विक्रम राव के विक्रम राव वैचारिक आवाजाही निर्मल-प्रवाह जैसी हो तो बौद्धिक विकास ही कहलाएगी। वरना सोच में कोई भी बदलाव अमूमन मौकापरस्ती का पर्याय बन जाता है। आज के कथित प्रगतिवादी इसी दोयम दर्जे में आते हैं। वे सब आत्ममुग्ध होकर भूल जाते हैं कि हर परिवर्तन प्रगति नहीं होता, हालांकि हर प्रगति परिवर्तन होती है। […] Read more » ओम थानवी के. विक्रम राव जनसत्ता भारत नीति प्रतिष्ठान वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति यह छुआछूत उनकी ही देन है / अवनिजेश अवस्थी May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment अवनिजेश अवस्थी ओम थानवी के ‘अनन्तर’ पर पता नहीं चंचल चौहान इतना क्यों भड़क गए। थानवी जी की टिप्पणी के केंद्रीय मंतव्य- ‘‘क्या हम ऐसा समाज बनाना चाहते हैं जिसमें उन्हीं के बीच संवाद हो जो हमारे मत के हों? विरोधी लोगों के बीच जाना और अपनी बात कहना क्यों आपत्तिजनक होना चाहिए? क्या अलग […] Read more » ओम थानवी चंचल चौहान भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता
साहित्य जनकवि नागार्जुन को भूले ओम थानवी May 17, 2011 / December 13, 2011 by राजीव रंजन प्रसाद (बीएचयू) | Leave a Comment राजीव रंजन प्रसाद प्रतिष्ठित समाचारपत्र जनसत्ता के सम्पादक ओम थानवी का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 16 मई को आना कई अर्थों मंे महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है. हिन्दी पट्टी जिसमें इन दिनों हिन्दी-जगत के कई ख़्यातनाम साहित्यकारों की जन्मशती मनायी जा रही है; वहाँ ओम थानवी का महामना के परिसर में स्वयं उपस्थित होकर ‘अज्ञेय […] Read more » Om Thanvi ओम थानवी