विविधा प्रेम क्या है तथा जीवों में प्रेम की उत्पत्ति किस तरह होती है? June 16, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- दिल्ली के एक पाठक ने हमें लिखा कि ‘हमें आपका लेख ‘विवाह और इसकी कुछ विकृतियां’ हमें बहुत अच्छा लगा। हम अपने आर्य समाज मन्दिर में विवाह सम्पन्न कराते हैं और हमारी अपनी मन्दिर की वेबसाइट है। हमें इस तरह के लेख बहुत पसन्द आते हैं क्योंकि हमें विवाह से सम्बन्धत ही […] Read more » जीव प्रेम जीवन प्रेम प्रेम प्रेम की उत्पत्ति प्रेम क्या है
कविता प्रेम April 3, 2014 / April 3, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on प्रेम -विजय कुमार- हमें सांझा करना था धरती, आकाश, नदी और बांटना था प्यार मन और देह के साथ आत्मा भी हो जिसमें ! और करना था प्रेम एक दूजे से ! और हमने ठीक वही किया ! धरती के साथ तन बांटा नदी के साथ मन बांटा और आकाश के साथ आत्मा को सांझा […] Read more » poem on affection प्रेम
विविधा नेताजी से की मोहब्बत, गई जान… February 17, 2011 / December 15, 2011 by चंडीदत्त शुक्ल | 3 Comments on नेताजी से की मोहब्बत, गई जान… – चण्डीदत्त शुक्ल रामजी की अयोध्या के एकदम बगल बसे फैजाबाद को लोग बहुतेरी वज़हों से जानते-पहचानते हैं, लेकिन यहीं के साकेत पीजी कॉलेज का ज़िक्र एकेडेमिक एक्सिलेंस और स्टूडेंट इलेक्शंस को लेकर होता है। साकेत ने देश को कई नामी-बदनाम-छोटे-बड़े नेता दिए हैं। यहीं पर लॉ की स्टूडेंट थी शशि। कमसिन, कमउम्र, खूबसूरत शशि […] Read more » Love प्रेम मोहब्बत
कविता अरुणा की चार प्रेम कविताएं July 15, 2010 / December 23, 2011 by अरुणा राय | 4 Comments on अरुणा की चार प्रेम कविताएं (1) हर मुलाकात के बाद जो चीज हममें कामन थी वो था हमारा भोलापन और बढता गया वह हर मुलाकात के बाद पर दुनिया हमेशा की तरह केवल सख्तजां लोगों के लिए सहज थी सो हमारा सांस लेना भी कठिन होता गया और अब हम हैं मिलते हैं तो गले लग रोते हैं अपना आपा […] Read more » Love प्रेम
कविता राकेश उपाध्याय की दो कविताएं February 25, 2010 / December 24, 2011 by राकेश उपाध्याय | 3 Comments on राकेश उपाध्याय की दो कविताएं 1.ईश्वरत्व के नाते मैंने नाता तुमसे जोड़ा… कल मैंने देखा था तुम्हारी आंखों में प्यार का लहराता समंदर उफ् कि मैं इन लहरों को छू नहीं सकता, पास जा नहीं सकता।। कभी-कभी लगता हैं कि इंसान कितना बेबस और लाचार है सोचता है मन कि आखिर क्यों बढ़ना है आगे, लेकिन कुछ तो है, जो […] Read more » Love प्रेम
विविधा देने के भाव से बढ़ता है प्रेम February 16, 2010 / December 25, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment प्रेम से लड़ने के लिए अलगाव से लड़ना बेहद जरूरी है। हमें इस प्रेम से उबरने का प्रयास करना चाहिए। एरिक ने लिखा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्ण असफलता को पागलपन कहा जाता है क्योंकि इसमें पूर्ण अलगाव के कारण भय बना रहता है। इससे बचने का एक ही रास्ता है विश्व के […] Read more » Love प्रेम
विविधा प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया… February 15, 2010 / December 25, 2011 by हिमांशु डबराल | Leave a Comment किस मोड़ पे तो नहीं, हां लेकिन एक ऐसे मोड़ पर लाकर जरूर खड़ा कर दिया है, जहां मोहब्बत बाज़ारी नज़र आ रही है। वेलनटाइन वीक चल रहा है, बाज़ार प्यार के तोहफों से लदा हुआ है, हर आदमी की जेब के हिसाब से तोहफे बिक रहे है। ऐसे में एक नया ट्रेण्ड शुरू हो […] Read more » Valentine Day प्यार प्रेम वैलेनटाइन डे
विविधा प्रेम का तर्क बदलें February 14, 2010 / December 25, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on प्रेम का तर्क बदलें प्रेम आज भी सबसे बड़ा जनप्रिय विषय है, इसकी रेटिंग आज भी अन्य विषयों से ज्यादा है। तमाम तबाही के बावजूद प्रेम महान है तो कोई न कोई कारण जरूर रहा होगा। प्रेम खास लोगों के साथ खास संबंध का नाम नहीं है। यह एटीट्यूट है। व्यक्ति के चरित्र की प्रकृति निर्धारित करती है कि […] Read more » Love प्रेम