विविधा साहब! ये बुद्धिजीवी नहीं, ‘कुपढ़’ हैं… August 8, 2016 by विश्व गौरव | Leave a Comment बहुत जगह पढ़ता था, बहुत जगह सुनता था और बहुत जगह उस सुने हुए को बोलता भी था कि भारत के इतिहास को वामपंथी और अंग्रेजी लेखकों ने ध्वस्त कर दिया है। आज इस बात को मीडिया में काम करते हुए प्रत्यक्ष देख रहा हूं। कल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम पर डॉ सामबे जी का […] Read more » reason for rape कुपढ़ बुद्धिजीवी
आलोचना महत्वपूर्ण लेख हिन्दी के मार्क्सवादी आलोचक औैर बुद्धिजीवी January 13, 2013 / January 13, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on हिन्दी के मार्क्सवादी आलोचक औैर बुद्धिजीवी पाण्डेय शशिभूषण ‘शीतांशु’ हिन्दी में मार्क्सवादी आलोचकों ने पिछले पचास वर्षों में साहित्य की भावनक्षमता और पाठकीय संवेदनशीलता को कुंठित-अवरोधित ही किया है। इन सब ने साहित्य को वाद-विवाद और संवाद के नाम पर बहस का विषय तो बना दिया है, पर साहित्य में डूबकर, गहरे पैठकर प्राप्त की जाने वाली पाठकीय सर्जनात्मकता और उसके […] Read more » आलोचक बुद्धिजीवी मार्क्सवादी आलोचना
विविधा डिंपल से सीख लें फेसबुकिया बुद्धिजीवी December 3, 2012 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | 1 Comment on डिंपल से सीख लें फेसबुकिया बुद्धिजीवी सिद्धार्थ शंकर गौतम अभिव्यक्ति का सशक्त हस्ताक्षर बन चुकी फेसबुक इन दिनों जहां सरकार के लिए सिरदर्द बन चुकी है वहीं भदोही की डिंपल मिश्रा के लिए जीवन के अंधकार को दूर करने का काम भी कर रही है। दरअसल महाराष्ट्र में रहने वाली डिंपल मिश्रा का प्रेम विवाह डेढ़ वर्ष पूर्व भदोही के ही […] Read more » फेसबुक बुद्धिजीवी
विविधा कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से January 6, 2011 / December 16, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से जगदीश्वर चतुर्वेदी कूपमंडूक विचारकों को वैश्वीकरण अभी तक समझ में नहीं आया है। वे यह देखने में असफल हैं कि भारत का बुनियादी आर्थिक नक्शा बदल चुका है। कूपमंडूक विचारकों में कठमुल्लापन इस कदर हावी है कि उनकी कूपमंडूकता के समाने विनलादेन भी शर्मिंदा महसूस करता है। भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारीकरण को औचक और कूपमंडूक […] Read more » Capitalism बुद्धिजीवी वैश्वीकरण
विविधा क्या इन्हें बुद्धिजीवी कहलाने का हक है? August 13, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 8 Comments on क्या इन्हें बुद्धिजीवी कहलाने का हक है? -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ इस देश में जाति के आधार पर जनगणना करने और नहीं करने पर काफी समय से बहस चल रही है। अनेक विद्वान लेखकों ने जाति के आधार पर जनगणना करवाने के अनेक फायदे गिनाये हैं। उनकी ओर से और भी फायदे गिनाये जा सकते हैं। दूसरी और ढेर सारे नुकसान भी […] Read more » Intellectual बुद्धिजीवी
राजनीति मनमोहन-चिदम्बरम को गुलाम बुद्धिजीवियों की तलाश May 11, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on मनमोहन-चिदम्बरम को गुलाम बुद्धिजीवियों की तलाश -जगदीश्वर चतुर्वेदी कांग्रेस पार्टी को गुलाम बुद्धिजीवी अच्छे लगते हैं। बुद्धिजीवियों को पालतू बनाने में कांग्रेस माहिर है। भारत में बौद्धिक उत्थान की संभावनाओं को पंक्चर करने के लिए वह तरह-तरह के हथकंडे़ अपनाती रही है। इसके बावजूद बुद्धिजीवियों का एक समूह ऐसा भी पैदा हुआ है जो कांग्रेस के हाथों बिकने को तैयार नहीं […] Read more » Maoist कांग्रेस बुद्धिजीवी माओवाद