Tag: महर्षि दयानन्द

धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये”

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–मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […]

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धर्म-अध्यात्म

“जन्मना जातिवाद का प्रचलन कब से आरम्भ हुआ?”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  हिन्दू समाज जिसे आर्यसमाज आर्यों का समाज कहता व मानता है, इसमें जन्मना जातिवाद विद्यमान है। यह जन्मना जातिवाद वैदिक वर्णव्यवस्था का बिगड़ा हुआ रूप है। वैदिक वर्ण व्यवस्था मनुष्यों के गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित थी। यह गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित वर्णव्यवस्था कब जन्मना जातिवाद में परिवर्तित […]

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धर्म-अध्यात्म

‘ईश्वर का अवतार क्यों नहीं होता?’

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मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है? ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वशक्तिमान, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, अजर, अमर, अनन्त, नित्य एवं सृष्टिकर्ता आदि असंख्य गुण, कर्म व स्वभाव से युक्त दयालु व धर्म में स्थित सत्ता है। हमारे देश में पाषाण व धातुओं की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने की परम्परा विगत दो या ढ़ाई हजार […]

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धर्म-अध्यात्म

“समस्त पृथिवी पर एक दयानन्द ही पूर्ण ब्रह्मचारी, पूर्ण योगी और पूर्ण ऋषि थाः आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  श्रीमद्दयानन्द ज्यातिर्मठ आर्ष गुरुकुल, पौन्धा-देहरादून के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन 2 जून, 2018 के सायंकालीन  सत्र में आर्यसमाज के प्रसिद्ध विद्वान पं. वेदप्रकाश श्रोत्रिय का प्रभावशाली सम्बोधन हुआ। हम यहां उनका सम्बोधन प्रस्तुत कर रहे हैं।अपने सम्बोधन के आरम्भ आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय ने कहा कि विद्या ऐसी चीज है […]

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शख्सियत समाज

महर्षि दयानन्द ! तुझे प्रणाम, कोटिश: नमन

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राकेश कुमार आर्य   महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज की 194वीं जयन्ती  महर्षि दयानन्द के व्यक्तित्व को किसी एक आलेख में आबद्घ किया जाना सर्वथा असम्भव है। जो व्यक्ति सम्पूर्ण क्रान्ति का अग्रदूत बनकर अपने देश में आया और सम्पूर्ण मानवता के उद्घार व कल्याण का मार्ग अज्ञानान्धकार में भटकते विश्व समुदाय को देकर […]

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