राजनीति ये लोकतंत्र के राजाओं के इकतरफा भव्य शो हैं इन्हें खारिज कीजिए August 20, 2018 / August 20, 2018 by विवेक कुमार पाठक | Leave a Comment विवेक कुमार पाठक आजकल भारतीय राजनीति में रोड शो चर्चा का विषय बने हुए हैं। चुनाव के एक दो साल पहले तो रोड शो और उनकी महिमा तो देखते ही बनती है। सड़कों पर गाड़ियों के लंबे काफिले और सबसे आगे हाथ हिलाते हुए राजनेता पब्लिक के सामने ऐसे अवतारी रुप में आते दिख रहे […] Read more » Featured घोड़ों नरेश और सुल्तान बग्घी भारतीय राजनीति महाराजा ये पुकार राजा वो मन की पीड़ा हाथी
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” May 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ संसार में सुविख्यात ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने संसार में विद्यमान पदार्थों के सत्य स्वरूप का प्रकाश किया है। यह ग्रन्थ चौदह समुल्लासों में है। प्रथम दस समुल्लास ग्रन्थ पूर्वाद्ध कहलाते हैं और बाद के चार समुल्लास […] Read more » Featured अर्थ-अनर्थ आचार्य आर्य-दस्यु आर्यावर्त्त व आर्य उपाध्याय काम गुरु तीर्थ देव-असुर-राक्षस-पिशाच देवपूजा न्यायकारी पुराण पुरुषार्थ प्रारब्ध से बड़ा पुरोहित प्रजा बन्ध मनुष्य मुक्ति मुक्ति के साधन यज्ञ राजा वर्णाश्रम शिक्षा शिष्टाचार शिष्य सकर्तृक संस्कार
दोहे धेनु चरन न तृणउ पात ! April 26, 2018 / April 27, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment धेनु चरन न तृणउ पात, त्रास अति रहत; राजा न राज करउ पात, दुष्ट द्रुत फिरत ! बहु कष्ट पात लोक, त्रिलोकी कूँ हैं वे तकत; शोषण औ अनाचारी प्रवृति, ना है जग थमत ! ना कर्म करनौ वे हैं चहत, धर्म ना चलत; वे लूटनों लपकनों मात्र, गुप्त मन चहत ! झकझोरि डारौ सृष्टि, द्रष्टि बदलौ प्रभु अब; भरि परा-द्रष्टि जग में, परा-भक्ति भरौ तव ! विचरहिं यथायथ सबहि विश्व, तथागत सुभग; मधु क्षरा पाएँ सुहृद ‘मधु’, करि देउ प्रणिपात ! रचयिता: गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » Featured डारौ सृष्टि त्रिलोकी द्रष्टि मधु क्षरा राजा
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-46 October 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  जो जन अज्ञानवश हमसे वैर करता है या किसी प्रकार का द्वेष भाव रखता है, और जिससे हम स्वयं किसी प्रकार का वैर या द्वेषभाव रखते हैं-उस वैर भाव को हम आपके न्याय रूपी जबड़े में रखते हैं। जबड़े की यह विशेषता होती है कि जो कुछ उसके नीचे आ जाता […] Read more » कमीशन की राजनीति India India as world leader ईश्वर की न्याय-व्यवस्था भारत भारतीय राज्य व्यवस्था राजा राजा और राजनीति विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-45 October 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   इस मंत्र के पश्चात ‘अघमर्षण मंत्र’ आते हैं। इनमें ईश्वर की सृष्टि रचना का चिंतन किया जाता है, अर्थात हम और भी गहराई में उतर जाते हैं। जिस आनंद की अभी तक झलकियां मिल रही थीं, हम उन्हें पकड़ते हैं और कुछ अबूझ पहेलियों के उत्तर खोजने लगते हैं। पहला […] Read more » कमीशन की राजनीति India India as world leader ईश्वर की न्याय-व्यवस्था भारत भारतीय राज्य व्यवस्था राजा राजा और राजनीति विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-33 September 26, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  राजा और राजनीति को भारत में ईश्वर की न्याय-व्यवस्था को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए स्थापित किया गया। अत: राजा और राजनीति का धर्म यह बताया गया कि तुम ऐसी राज्य व्यवस्था बनाओ जिससे लोगों में ‘पाप’ के प्रति घृणा और पुण्य के प्रति लगाव या आकर्षण उत्पन्न हो […] Read more » कमीशन की राजनीति Featured ईश्वर की न्याय-व्यवस्था भारतीय राज्य व्यवस्था राजा राजा और राजनीति
व्यंग्य दूर संचार …………….के लम्बे के तार,सुख राम पहुंचे राजा के पास …तिहार. November 21, 2011 / November 28, 2011 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल. आर. गाँधी. इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि १५ साल बाद ‘दो बिल्लिया’ एक साथ ‘थैले ‘ से बाहर आई हैं. १९९६ में एक ने क्रिकेट में देश को शर्मसार किया तो दूसरे ने राजनीति में लूट का नया मील पत्थर स्थापित किया . खेल के मैदान पर जब सारा देश शर्मसार हो रहा था […] Read more » Telecommunication and Sukhram तिहार. दूर संचार राजा सुख राम