धर्म-अध्यात्म वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं November 21, 2017 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी निर्मित नहीं कर सकते। दूसरी रचनायें मनुष्यों द्वारा अपनी बुद्धि में निहित ज्ञान व शारीरिक बल व सामर्थ्य का प्रयोग करके की जाती हैं। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी एवं पृथिवीस्थ सभी पदार्थ तथा यह […] Read more » वेद
धर्म-अध्यात्म वेद ईश्वरीय ज्ञान है November 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, वेद ईश्वरीय ज्ञान है। इसका तात्पर्य है कि वेदों का ज्ञान ईश्वर प्रदत्त है। ज्ञान दो ही चेतन सत्ताओं के द्वारा दिया जाता है और मनुष्य आदि द्वारा ग्रहण किया जाता है। वेदों के सभी मन्त्र व उनके शब्द, अर्थ और सम्बन्ध ईश्वर द्वारा सृष्टि के आरम्भ में चार आदि ऋषियों अग्नि, […] Read more » वेद
धर्म-अध्यात्म वेद, ईश्वर और धर्म का परस्पर सम्बन्ध October 15, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी मनुष्यों के जीवन में वेद, ईश्वर एवं धर्म का गहरा सम्बन्ध है। यदि कोई मनुष्य इनकी उपेक्षा करता है तो वह अपना कुछ यह जन्म और पूरा परजन्म विनष्ट करता है। परस्पर विरोधी बातें सत्य नहीं हुआ करतीं। या तो पूर्वजन्म-जन्म-पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य है या फिर एक जन्म […] Read more » ईश्वर धर्म का परस्पर सम्बन्ध वेद
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार October 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि के मन्तव्यों में सु कुछ विषयों पर हम ऋषि के शब्दों को ही प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर— जिस के ब्रह्म परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिस के गुण, कर्म, […] Read more » ईश्वर जीवात्मा धर्म वेद सृष्टि
धर्म-अध्यात्म आधुनिक काल में वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता September 29, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद संसार में अनेक ज्ञानी व अल्पज्ञानी पुरुष हुए जिन्होंने देश, काल व परिस्थिति के अनुसार, साथ ही अपनी योग्यतानुसार, कुछ मतों का प्रचलन भी किया है। समय के साथ यह पल्लवित व पोषित होते रहे और आज कुछ मतों का संसार पर अत्यधिक प्रभाव व प्राधान्य है। महाभारतकाल […] Read more » आधुनिक काल में वेद आधुनिक काल में वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता इतर मत-पन्थ ग्रन्थों की प्रासंगिकता वेद वेद एवं इतर मत-पन्थ ग्रन्थ
धर्म-अध्यात्म वेद ईश्वरीय ज्ञान और सृष्टि के आरम्भ और बाद में उसकी आवश्यकता September 12, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वरीय ज्ञान की चर्चा से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि ईश्वर क्या है वा ईश्वर किसे कहते हैं। ईश्वर एक सत्य-चित्त-आनन्द युक्त सत्ता का नाम है। यह सत्ता निराकार एवं सर्वव्यापक है। यह सर्वज्ञ है एवं इसी ने सत्व, रजस व तम गुणों वाली त्रिगुणात्मक सूक्ष्म प्रकृति से इस संसार की […] Read more » वेद
समाज संसार में अधिकांश झगड़े, वाद-विवाद और कलह क्लेश हमारी जिह्वा पर हमारा नियंत्रण न होने के कारण होते हैं। August 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment रसना और वासना व्यक्ति की सबसे बड़ी शत्रु हैं। जिह्वा का नियंत्रण समाप्त हुआ नहीं कि कुछ भी घटना घटित हो सकती है। जिह्वा के विषय में यह भी सत्य है कि- रहिमन जिह्वा बावरी कह गयी आल पताल। आप कह भीतर घुसी जूते खाय कपाल।। वेद का आदेश है :- सक्तुमिव तितउना पुनन्तोयत्र धीरा […] Read more » मधु वाणी वाद-विवाद वेद
धर्म-अध्यात्म वेद और ऋषि दयानन्द के सिद्धान्तों को अपनाकर ही देश अखण्डित, स्वतन्त्र और सुरक्षित रह सकता है July 18, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आजकल हमारा देश इतिहास के बहुत ही खराब दौर से गुजर रहा है। कश्मीर में आतंकवाद अपनी तीव्रतम स्थिति में है जहां पाकिस्तानी और राज्य के कुछ गुमराह लोग देश की रक्षा करने वाली सेना का विरोध करते हैं और न केवल उनकी जान लेने के लिए तत्पर रहते हैं अपितु […] Read more » ऋषि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म वेद ही मनुष्य मात्र के परम आदरणीय व माननीय धर्म ग्रन्थ क्यों? May 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों की उत्पत्ति और उनके विषय में कुछ तथ्यों पर भी दृष्टिपात कर लेते हैं। सृष्टि के आरम्भ काल में ईश्वर ने मनुष्य आदि प्राणियों को अमैथुनी सृष्टि अर्थात् बिना माता-पिता के संसर्ग हुए उत्पन्न किया था। यह सभी स्त्री व पुरुष युवावस्था में उत्पन्न किये गये थे। यदि ईश्वर इन्हें शैशवास्था में उत्पन्न करता तो इनके पालन करने के लिए माता-पिता की आवश्यकता होती और यदि इन्हें वृद्ध बनाता तो इनसे मैथुनी सृष्टि न चल पाती और वहीं समाप्त हो जाती। अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न इन युवा स्त्री पुरुषों को बोलने के लिए भाषा और पदार्थों के नाम व क्रिया पद आदि का ज्ञान चाहिये था। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म वेद स्वतः प्रमाण धर्म ग्रन्थ और अन्य सभी ग्रन्थ वेदानुकूल होने पर ही परतः प्रमाण April 20, 2017 / April 28, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जन्म वाद-विवाद के लिए नहीं अपितु सत्य व असत्य का निर्णय कर सत्य का ग्रहण व उसका पालन करने क लिए हुआ है। सत्य का निर्णय करने का साधन व कसौटी क्या है? इसका उत्तर धर्म व सत्य की जिज्ञासा होने पर ईश्वरीय ज्ञान चार वेद की मन्त्र संहिताओं के […] Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
विज्ञान विविधा अनन्त अंतरिक्ष की संभावनाएं और वेद February 28, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य अंतरिक्ष अनंत है, और जितना अंतरिक्ष अनंत है-उतना ही वेद ज्ञान अनंत है। अनंत ही अनंत का मित्र हो सकता है। जो सीमाओं से युक्त है, सीमाओं में बंधा है, ससीम है, वही सांत है, उसके ज्ञान की अपनी सीमाएं हैं, परंतु ईश्वर ने हमें ‘मन’ नाम का एक ऐसा कंप्यूटर […] Read more » Featured अनन्त अंतरिक्ष की संभावनाएं वेद
चिंतन धर्म-अध्यात्म ईश्वर से विज्ञान एवं राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना होने से वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ January 30, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने संसार को ईश्वर, जीव व प्रकृति, इन तीन सत्ताओं का सिद्धान्त दिया जिसे त्रैतवाद के नाम से जाना जाता है। यह सिद्धान्त युक्ति, तर्क तथा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से भी सिद्ध होता है। इस कारण इसके विपरीत अन्य सभी सिद्धान्त अपूर्ण व दोषपूर्ण होने […] Read more » ईश्वर राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना विज्ञान वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ