धर्म-अध्यात्म “ईश्वर का वेद वर्णित सत्य स्वरूप और उसके गुण-कर्म-स्वभाव” December 15, 2018 / December 15, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी आस्तिक मत ईश्वर की सत्ता को मानते हैं परन्तु सब ईश्वर के स्वरूप और उसके गुण, कर्म व स्वभाव को लेकर एक मत नहीं हैं। यदि एक मत होते तो फिर संसार में भिन्न-2 मत-मतान्तर न होते। आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती ने ईश्वर के सत्यस्वरूप का अनुसंधान […] Read more » अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर दयालु नित्य निर्विकार न्यायकारी सर्वव्यापक सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
धर्म-अध्यात्म “वेदों का स्वाध्याय सभी मनुष्यों का मुख्य कर्तव्य” December 14, 2018 / December 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्यों के अनेक कर्तव्यों में से एक कर्तव्य वेदों के सत्यस्वरूप को जानना व उनका नियमित स्वाध्याय करना है। वेदों का स्वाध्याय मनुष्य का कर्तव्य इसलिये है कि वेद संसार का सबसे पुराना व प्रथम ज्ञान है। यह वेदज्ञान मनुष्यों द्वारा अपने पुरुषार्थ से अर्जित ज्ञान नहीं है अपितु सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि […] Read more » ईश्वर का ज्ञान उसकी उपासना देश व समाज\ नित्य परोपकार सद्कर्म सर्वज्ञ एवं सर्वान्तर्यामी सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य का कर्तव्य सृष्टि के अनादि पदार्थों के सत्यस्वरूप एवं अपने कर्तव्यों को जानना है” November 29, 2018 / November 29, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जन्म लेकर माता-पिता व आचार्यों से विद्या ग्रहण करता है। विद्या का अर्थ है कि सृष्टि में विद्यमान अभौतिक व भौतिक पदार्थों के सत्यस्वरूप को यथार्थरूप में जानना और साथ ही अपने कर्तव्य कर्मों को जानकर उनका आचरण करना। संसार में मनुष्यों की जनसंख्या 7 अरब से अधिक बताई जाती है। […] Read more » अग्निहोत्र यज्ञ अजन्मा अनन्त उपासना दयालु धर्त्ता निराकार न्यायकारी माता पिता सब सृष्टि का कर्त्ता सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान् हर्त्ता
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि रचना का उद्देश्य जीवों को भोग व अपवर्ग प्रदान कराना” November 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य चेतन प्राणी है। मनुष्य का शरीर पंच भौतिक तत्वों से बना है। पृथिवी (सूर्य, चन्द्र, सभी ग्रह व उपग्रह), अग्नि, वायु, जल, आकाश पंच भौतिक पदार्थ हैं। यह सभी पदार्थ जड़ हैं। इनका उपादान कारण त्रिगुणात्मक प्रकृति है जो कि जड़ है। यह प्रकृति अनादि? नित्य व अविनाशी तत्व है।सृष्टि में […] Read more » अजर अमर अल्पज्ञ आनन्द रहित आनन्द व सुखाभिलाषी ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप एकदेशी चेतन निराकार न्यायकारी परिमाण पवित्र सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” November 12, 2018 / November 12, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र आदि लोक लोकान्तर विद्यमान है, इसकी रचना वा उत्पत्ति किस सत्ता ने क्यों की, यह ज्ञान हमें होना चाहिये। महर्षि दयानन्द ने जहां अनेक प्रकार का ज्ञान अपने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में दिया […] Read more » “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” अखण्डनीय अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न अमर अविनाशी नित्य निराकार सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म “सही विधि से ईश्वरोपासना न करने पर उसका लाभ नहीं होता” October 26, 2018 / October 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आस्तिक लोग ईश्वर की पूजा व उपासना करते हैं। पूजा व उपासना को भक्ति का नाम भी दिया जाता है। हम जानते हैं कि हमें हर काम को सीखना पड़ता है। हम यह प्रयास करते हैं कि हमें सीखाने वाला व्यक्ति उस विषय का पूर्ण जानकार हो। अपूर्ण जानकार से कोई भी […] Read more » अजन्मा अनन्त दयालु धर्त्ता निराकार न्यायकारी सब सृष्टि का कर्त्ता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान हर्त्ता
धर्म-अध्यात्म “क्या व्यवहार में हम ईश्वर को अपने सभी कर्मों का साक्षी मानते व बुरे कर्मों से डरते हैं?” October 20, 2018 / October 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम यह लेख लिख रहे हैं इसलिये कि हमारे मन में यह विचार आया है। हमने अपने जीवन में इस विषय का लेख नहीं पढ़ा हां वैदिक साहित्य में इससे सम्बन्धित प्रचुर सामग्री अवश्य मिलती है। आर्यसमाज व हम ईश्वर, जीव तथा प्रकृति के नित्यत्व व अनादित्व के सिद्धान्त को मानते हैं। […] Read more » अनादि अविनाशी आधिदैविक आधिभौतिक ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप नित्य निराकार सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” October 18, 2018 / October 18, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” मनमोहन कुमार आर्य, हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों की मृत्यृ का समाचार सुनते रहते हैं। हम जब जन्में थे तो हमारे माता-पिता, चाचा, चाची, मौसी, मौसा, मामा-मामी व बुआ-फूफा आदि लोग संसार में थे। हमने उनके साथ समय बिताया है। आज […] Read more » अनन्त अनादि धार्मिक गुरुओं नित्य निराकार महात्माओं सच्चिदानन्दस्वरुप सन्त सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर-मनुष्य संबंध व्याप्य-व्यापक, स्वामी-सेवक और पिता-पुत्र का है” October 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ईश्वर इस संसार की रचना करने वाले, पालन करने वाले तथा सृष्टि की अवधि पूरी होने पर इसकी प्रलय करने वाली सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, अजन्मा, नित्य व अविनाशी सत्ता को कहते हैं। मनुष्य का आत्मा एक अल्प परिमाण, चेतन, अल्पज्ञ, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी, कर्म-फल के बन्धनों में आबद्ध, कर्मानुसार […] Read more » अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न वा अजन्मा अनुपम अभय दयालु निराकार निर्विकार पवित्र व सृष्टिकर्ता अविनाशी सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
धर्म-अध्यात्म “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” September 28, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी है। मनुष्य अन्नादि से बना भौतिक शरीर मात्र नहीं है अपितु इसमें एक अनादि, नित्य, अविनाशी, अमर, अल्पज्ञ, जन्म-मरण धर्मा, शुभाशुभ कर्मों का कर्ता व भोक्ता जीवात्मा भी है जो इस शरीर का स्वामी है। आश्चर्य है कि अधिकांश शिक्षित व भौतिक विज्ञानी भी अपनी आत्मा के स्वरूप व […] Read more » ईश्वर धार्मिक राजधर्म सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सामाजिक
प्रवक्ता न्यूज़ “मन को वश में करना कठिन है परन्तु इसकी साधना आवश्यक है” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य का मन ही बन्धन व मोक्ष का कारण है। यह दर्शन शास्त्र का वचन है और यह सत्य सिद्धान्त है। मनुष्य जो भी कर्म करता है वह शुभ व अशुभ होने से दो प्रकार के कहे जाते हैं। शुभ कर्म करने का परिणाम शुभ व सुख होता है और अशुभ कर्म […] Read more » घूम्रपान चाय निराकार न्यायकारी मदिरापान मांसाहार सच्चिदानन्दस्वरूप सद्कर्मों सर्वज्ञ सर्वव्यापक
धर्म-अध्यात्म “भौतिकवाद से हमारी मानवीय संवेदनायें घटती हैं जिन्हें आध्यात्मिकता से सन्तुलित कर जीवन को सुखी बना सकते हैं” September 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, भौतिकवाद आध्यात्मवाद का विलोम शब्द है। पृथिवी, अग्नि, जल, वायु और आकाश को भौतिक पदार्थ कहते हैं। इसमें ईश्वर व जीवात्मा सम्मिलित नहीं हैं। यह दोनों पदार्थ भौतिक न होकर चेतन वा आत्मतत्व हैं जो ज्ञान व कर्म गुणों वाले होते हैं। भौतिक पदार्थ ज्ञान व सम्वेदनाशून्य होते हैं। इनकी अधिक संगति […] Read more » “भौतिकवाद अनादि अविनाशी से सन्तुलित आध्यात्मिकता आनन्द-स्वरूप मानवीय संवेदनायें सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान