लेख ग्रंथ और पंथ से मुक्त थे कबीर June 5, 2020 / June 6, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment संत कबीर जन्म जयन्ती- 5 जून, 2020 के उपलक्ष्य में– ललित गर्ग –भारतीय संत परम्परा और संत-साहित्य में संत कबीर एक महान् हस्ताक्षर, समाज-सुधारक हंै। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ, जब भारतीय समाज और धर्म का स्वरूप रूढ़ियों एवं आडम्बरों में जकड़ा एवं अधंकारमय था। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांधता से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी और दूसरी […] Read more » कबीर ग्रंथ और पंथ से मुक्त कबीर संत कबीर जन्म जयन्ती
समाज गुरुनानक देव ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थेे November 22, 2018 / November 22, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – भारत भूमि विभिन्न धर्म-संप्रदायों की भूमि रही है। इस उदारभूमि ने सभी धर्म के लोगों को अपनी उपासना-पद्धति और स्वतंत्र रूप से अनुष्ठान करने का अधिकार दिया है। शायद ही विश्व का कोई देश हो, जहां भारत जैसी धार्मिक विभिन्नताएं और उनका पालन करने की पूर्ण स्वतंत्रता हो। इसी भारतभूमि ने मानव […] Read more » ‘गुरुग्रंथ साहब’ अन्याय अलगाव कबीर कवि गुरुनानक देव ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थेे गृहस्थ दार्शनिक देशभक्त एवं विश्वबंधु धर्म-सुधारक योगी रैदास शोषण समाज सुधारक साधु-संतों
शख्सियत समाज घट घट अंतर अनहद गरजै : कबीर June 23, 2016 by डॉ. मधुसूदन | 10 Comments on घट घट अंतर अनहद गरजै : कबीर डॉ. मधुसूदन (एक) कबीर-वाणी की विशेषता: कबीर जी की विशेषता है संक्षेप, एक लुहार के घाव जैसी शक्तिशाली चोट मारते हैं, और, सारा ज्ञान-सागर गागर में? जी नहीं, एक सीप में ले आते हैं! और चंद शब्दों की सीप पाठक को चकाचौंध कर रख देती है। विद्वान कहते हैं, “शब्द पेड के, पत्तों जैसे होते […] Read more » Featured Kabir Kabir Jayanti कबीर घट घट अंतर अनहद गरजै
विविधा एक फंड़ामेंटलिस्ट से कबीर की मुलाकात November 6, 2010 / December 20, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on एक फंड़ामेंटलिस्ट से कबीर की मुलाकात ‘‘ एक ऊँची इमारत पर लक्ष्मी का खूबसूरत बुत नस्ब (स्थापित) था।चंद लोगों ने जब उस इमारत को अपना दफ़्तर बनाया तो उस बुत को टाट के टुकड़ों से ढ़ाँप दिया। कबीर ने यह देखा तो उसकी आंखों में आँसू उमड़ आए। दफ़्तर के आदमियों ने ढारस दी और कहाः ‘‘ हमारे मज़हब में यह […] Read more » Kabir कबीर फंड़ामेंटलिस्ट
साहित्य मियाँ कबीर, तुम क्यों रोने लगे? November 3, 2010 / December 20, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी मेरे एक दोस्त हैं सीताराम सिंह वे हमारे साथ जेएनयू में पढ़ते थे,वे रूसी भाषा में थे और मैं हिन्दी में था। वे स्वभाव से बागी और बेहद क्रिएटिव हैं। अभी फेसबुक पर मिले और बोले कि पुरूषोत्तम अग्रवाल की किताब पढ़ रहा हूँ कबीर पर। मुझे उनकी बात पढ़कर एक बात याद […] Read more » Kabir कबीर पुरुषोत्तम अग्रवाल
पुस्तक समीक्षा कबीर की आंखें और आलोचना की रपटन October 5, 2010 / December 21, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on कबीर की आंखें और आलोचना की रपटन -जगदीश्वर चतुर्वेदी कबीर पर पुरूषोत्तम अग्रवाल की किताब ‘अकथ कहानी प्रेम कीः कबीर की कविता और उनका समय’ (2009)निस्संदेह सुंदर किताब है। इस किताब में कबीर की कविता की तरह ही आधुनिक विषयों का रहस्यात्मक वर्णन है। कबीर बड़े लेखक हैं और कबीर पर लिखना मुश्किल काम है। पुरूषोत्तम अग्रवाल ने यह काम बहुत ही […] Read more » Kabir कबीर पुरुषोत्तम अग्रवाल