कविता कविता:छिंदवाड़ा की बात बड़ी है-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 13, 2012 / February 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment छिंदवाड़ा की बात बड़ी है टिक टिक चलती तेज घड़ी है छिंदवाड़ा की बात बड़ी है | साफ और सुथरी सड़कें हैं गलियों में भी नहीं गंदगी यातायात व्यवस्थित नियमित नदियों जैसी बहे जिंदगी लोग यहां के निर्मल कोमल नहीं लड़ाई झगड़े होते हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में मिलजुलकर रहते रातें होती […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:मायाबी रावण बने सब आका-सुरेन्द्र अग्निहोत्री February 13, 2012 / February 13, 2012 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment मायाबी रावण बने सब आका वोटों पर डालने को डाका जमूड़े सबको पहचान लो ? पहचान लिया चारो तरफ घूम जा घूम लिया जो पूछँ वह बतलाऐगा हाँ बतलाऊँगा राजनीति का खेल निराला काले को सफेद कर डाला बन न पाया मुद्दा महँगाई आरपार की शुरू हुई लड़ाई लोकपाल को भूल रहे है लोग […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:यूपी में चुनावी जंग देखिये-विभोर गुप्ता February 12, 2012 / February 12, 2012 by विभोर गुप्ता | Leave a Comment विभोर गुप्ता उत्तर प्रेदश में सियासी योद्धाओं की चुनावी जंग देखिये ऐसे-ऐसे दांव-पेंच कि अपनी-अपनी आँखें दंग देखिये “शाम की दवा” पूछने को “छोटे यादवजी” का ढंग देखिये गिरगिटों की तरह बदलते बागियों के बागी रंग देखिये घर-घर खाना खाने को “युवराज” के मन की उमंग देखिये निर्बलों से वोट मांगने को हाथ जोड़ते दबंग […] Read more » famous poems poem by vibhor gupta poem.poems political poems कविता कवितायें प्रसिद्ध कवितायें
कविता कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 3, 2012 / February 3, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव योग्य उम्मीदवार की तलाश पार्टी के सदस्य पदाधिकारी पशोपेश में थे कुछ पद के नशे में थे कुछ होश में थे संसदीय क्षेत्र के लिये जीतने वाले उम्मीदवार का चुनाव होना था कौन कितना ताकत्वर है कितना खर्च करेगा इस बात का भाव ताव तै होना था “घसीटालालजी ठुनठुना क्षेत्र के लिये सर्व श्रेष्ठ उम्मीदवार […] Read more » famous poems Hindi Poem kavita poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविताएं श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता साहित्य कविता ; हट धर्मिता – लक्ष्मी दत्त शर्मा February 1, 2012 / February 1, 2012 by लक्ष्मी दत्त शर्मा | Leave a Comment हट धर्मिता, दब्बूपन व कायरता अहिंसा व सत्य सभी शस्त्र हैं गांधी के जिससे सुन्दर लगता हैं गुलाब के फूल की तरह कांटों में सजा गांधी गांधी का महात्मा वाला स्वरूप किसे पता है कि इसमें छिपी है पीड़ा, वेदना, सहनशीलता अहिंसा व सत्य की गहरी नींव मां ने की शुरू करवायी थी गांधी को […] Read more » Mahatma Gandhi poem कविता हट धर्मिता
कविता साहित्य कविता ; लेन देन – दीपक खेतरपाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by दीपक खेतरपाल | Leave a Comment लगती थी साथ साथ सीमा गांव और शहर की पर दोनों थे अलग अलग हवा शहर की एक दिन कर सीमा पार पंहुच गई गांव में और छोड़ आई वहां आलस्य फरेब मक्कारी आंकाक्षाएं महत्वआंकाक्षाएं बदले में ले आई निश्छलता निष्कपटता निस्वार्थ व्यव्हार पर इस लेन देन के बाद गांव गांव न रहा और ठुकरा […] Read more » city poem village कविता लेन देन
कविता साहित्य कविता : “विद्या बालन के लिए गीतों को गाना चाहती हूँ” – कृष्णमूर्ति January 28, 2012 / January 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment कविता कृष्णमूर्ति की आवाज में ऐसी कशिश है कि उसे सुन कर कोई भी उनकी आवाज का दीवाना बने हुए नही रह सकता. आज कल कविता फिल्मों में न के बराबर ही गा रही हैं. बहुत दिनों के बाद उनकी आवाज फिल्म “रॉक स्टार” के गीत “तुम हो पास मेरे” में सुनाई दी. पिछले दिनों […] Read more » poem Vidya Balan कविता विद्या बालन
कविता कविता : अलविदा– विजय कुमार January 27, 2012 / January 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment सोचता हूँ जिन लम्हों को ; हमने एक दूसरे के नाम किया है शायद वही जिंदगी थी ! भले ही वो ख्यालों में हो , या फिर अनजान ख्वाबो में .. या यूँ ही कभी बातें करते हुए .. या फिर अपने अपने अक्स को ; एक दूजे में देखते हुए हो …. […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता : देह – विजय कुमार January 26, 2012 / January 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment देह के परिभाषा को सोचता हूँ ; मैं झुठला दूं ! देह की एक गंध , मन के ऊपर छायी हुई है !! मन के ऊपर परत दर परत जमती जा रही है ; देह …. एक देह , फिर एक देह ; और फिर एक और देह !!! देह की भाषा […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता : मेरा होना और न होना – विजय कुमार January 25, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment मेरा होना और न होना …. उन्मादित एकांत के विराट क्षण ; जब बिना रुके दस्तक देते है .. आत्मा के निर्मोही द्वार पर … तो भीतर बैठा हुआ वह परमपूज्य परमेश्वर अपने खोलता है नेत्र !!! तब धरा के विषाद और वैराग्य से ही जन्मता है समाधि का पतितपावन सूत्र […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:जोगन-विजय कुमार January 24, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on कविता:जोगन-विजय कुमार मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे ! तेरे बिन कोई नहीं मेरा रे ; हे श्याम मेरे !! मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे ! तेरी बंसुरिया की तान बुलाये मोहे सब द्वारे छोड़कर चाहूं सिर्फ तोहे तू ही तो है सब कुछ रे , हे श्याम मेरे […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:एक स्त्री जो हूँ-विजय कुमार January 23, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment स्त्री – एक अपरिचिता मैं हर रात ; तुम्हारे कमरे में आने से पहले सिहरती हूँ कि तुम्हारा वही डरावना प्रश्न ; मुझे अपनी सम्पूर्ण दुष्टता से निहारेंगा और पूछेंगा मेरे शरीर से , “ आज नया क्या है ? ” कई युगों से पुरुष के लिए स्त्री सिर्फ भोग्या ही रही मैं […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता