समाज सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं November 22, 2018 / November 22, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- धूप और छांव की तरह जीवन में कभी दुःख ज्यादा तो कभी सुख ज्यादा होते हैं। जिन्दगी की सोच का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि जिन्दगी में जितनी अधिक समस्याएं होती हैं, सफलताएं भी उतनी ही तेजी से कदमों को चुमती हैं। बिना समस्याओं के जीवन के कोई मायने नहीं हैं। समस्याएं […] Read more » ईष्र्या क्रोध घृणा भय मन मनुष्य वाणी शरीर सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं
कविता जीवन के कुछ कटु अनुभव September 25, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पैर की मोच और छोटी सोच हमे आगे बढ़ने नहीं देती टूटी कलम दूसरो से जलन खुद को लिखने नहीं देती आलस्य और पैसो का लालच हमे महान बनने नहीं देता हम है उच्च दूसरे है नीच ये हमे इंसान नहीं बनने देता मिल जाती है दुनिया की सब चीजे पर अपनी गलती नहीं मिलती […] Read more » जीवन के कुछ कटु अनुभव शरीर साँसों
कविता ‘क्या मौन में छुपा है कोई हल’ September 6, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment प्रीति सुराना आजमा के देख ये भी कुछ पल क्या मौन में छुपा है कोई हल हल न भी मिले तो लाभ ही है क्रोध की आग हो कुछ शीतल कुछ घड़ी शरीर को दे विश्राम कुछ घड़ी क्लेश ही जाए टल दे आराम भावों के आवेग को आवेश हो जाए शायद विफल क्षमा, चिंतन […] Read more » 'क्या मौन में छुपा है कोई हल' क्षमा चिंतन शरीर
धर्म-अध्यात्म आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” May 2, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” मनमोहन कुमार आर्य हम अपने पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि में जो […] Read more » Featured अत्याचार आत्मा तम्बाकू का सेवन धूम्रपान प्रति अन्याय बुद्धि व आत्मबल भ्रष्टाचार मछली मन मस्तिष्क शरीर शोषण
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-87 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि संसार में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कि दम्भी और अहंकारी होते हैं। ऐसे लोग अन्धश्रद्घा वाले होते हैं और शारीरिक कष्ट उठाने को ही मान लेते हैं कि इसी प्रकार भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। यद्यपि ऐसे […] Read more » Featured अर्जुन ऐषणाओं यज्ञ वैभव-ऐश्वर्य शरीर श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” April 4, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “हमारा यह जन्म हमारे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म है और मृत्यु के बाद हमारा पुनर्जन्म अवश्य होगा” मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं और लगभग 7 दशक पूर्व हमारा जन्म हुआ था। प्रश्न है कि जन्म से पूर्व हमारा अस्तित्व था या नहीं? यदि नहीं था तो फिर यह अभाव से भाव अर्थात् अस्तित्व न होने से हुआ कैसे? विज्ञान का सिद्धान्त है कि किसी भी पदार्थ का रूपान्तर तो किया जा […] Read more » featuerd जन्म जन्मान्तरों पुनर्जन्म मनुष्य शरीर संस्कार