हिंद स्वराज हिंदी शासकीय संज्ञाएं July 23, 2014 by डॉ. मधुसूदन | Leave a Comment -डॉ. मधुसूदन- (एक) आज का उद्देश्य। आज का उद्देश्य है यह दिखाना कि, हिंदी में संस्कृत द्वारा कितनी सारी संज्ञाएं रची जा सकती हैं। यह प्रत्यक्ष उदाहरणों से दिखाना; चाहता हूँ; किसी और के कथन या उद्धरण से नहीं। जब पाठक इन शब्दों को अंग्रेज़ी के शब्दों के आमने सामने देख कर तुलना करेगा, तो […] Read more » हिंदी शासकीय संज्ञाएं हिन्दी
गजल क्या करूं की तू मेरा हो जाये June 24, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -नेहा राजोरा- क्या करूं की तू मेरा हो जाये, काश एक दिन ऐसा भी आये, रोऊं तो मैं तब भी पर आंसू तुझे पाने की खुशी के हो, क्या करूं की तू मेरा हो जाये, काश एक दिन ऐसा भी आये, झूठ तो मुझसे तब भी बोलेगा, फितरत मुझे पता है तेरी, पर वो झूठ […] Read more » क्या करूं की तू मेरा हो जाये गजल जीवन ग़ज़ल हिन्दी
विविधा हिंदी मुद्दा: अडिग रहें मोदी, पीछे न हटें June 24, 2014 by प्रवीण गुगनानी | 8 Comments on हिंदी मुद्दा: अडिग रहें मोदी, पीछे न हटें -प्रवीण गुगनानी- नरेन्द्र मोदी ने जब कहा कि वे विदेश यात्राओं के दौरान और अन्य राजनयिक अवसरों पर वैश्विक नेताओं से हिंदी में ही करेंगे तो देश में हिंदी को लेकर गौरव भाव और प्रतिष्ठित हो चला था. किन्तु हाल ही में गृह मंत्रालय ने जब द्रविड़ नेताओं के अनावश्यक और लचर दबाव में आते […] Read more » नरेंद्र मोदी मोदी सरकार मोदी हिन्दी हिन्दी हिन्दी भाषा हिन्दी मुद्दा
विविधा हिंदी प्रचार-प्रसार : एक कड़वा सच June 24, 2014 by बी एन गोयल | 3 Comments on हिंदी प्रचार-प्रसार : एक कड़वा सच -बीएन गोयल- प्रवक्ता में प्रकाशित डॉ. मधुसूदन के लेख और उस पर हुई प्रतिक्रिया स्वरूप डॉ. महावीर शरण जैन की टिप्पणी हिंदी के प्रचार प्रसार के सन्दर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है। यह एक प्रकार से दो विद्वानों के बीच एक साहित्यिक शास्त्रार्थ है। इसी दौरान भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अपना काम काज हिंदी […] Read more » भाषा हिंदी प्रचार हिन्दी हिन्दी प्रसार हिन्दी भाषा
विविधा भारतीय भाषाओं के विकास का अपेक्षित विकास June 24, 2014 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 1 Comment on भारतीय भाषाओं के विकास का अपेक्षित विकास -प्रोफेसर महावीर सरन जैन- -भारत में एक ओर बहुभाषिकता दूसरी ओर भिन्न भाषा परिवारों की भारतीय भाषाओं की भाषिक समानता तथा भारतीय भाषाओं के विकास का अपेक्षित विकास न होने के मूल कारण की विवेचना- भारत में भाषाओं, प्रजातियों, धर्मों, सांस्कृतिक परम्पराओं एवं भौगोलिक स्थितियों का असाधारण एवं अद्वितीय वैविध्य विद्यमान है। विश्व के इस […] Read more » भारत में भाषा भारतीय भाषा भाषा भाषा का विकास हिन्दी हिन्दी भाषा
हिंद स्वराज हिंदी शासकीय संज्ञाएं June 21, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 6 Comments on हिंदी शासकीय संज्ञाएं -डॉ, मधुसूदन- (एक) आज का, उद्देश्य। आज का, उद्देश्य है, यह दिखाना कि, हिंदी में संस्कृत द्वारा कितनी सारी संज्ञाएँ रची जा सकती है। यह प्रत्यक्ष उदाहरणों से दिखाना; चाहता हूँ; किसी और के कथन या उद्धरण से नहीं। जब पाठक इन शब्दों को अंग्रेज़ी के शब्दों के आमने सामने देख कर तुलना करेगा, तो […] Read more » हिन्दी हिन्दी शासकीय संज्ञाएं
विविधा राजभाषा हिन्दी: दशा एवं दिशा June 20, 2014 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 30 Comments on राजभाषा हिन्दी: दशा एवं दिशा -प्रोफेसर महावीर सरन जैन- राजकाज के प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी का प्रयोग होता रहा है। राम बाबू शर्मा के अनुसार यह प्रयोग बारहवीं सदी से होता रहा है। (बारहवीं सदी से राजकाज में हिन्दी, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, (1980)। राजभाषा हिन्दी में हिन्दी भाषा-क्षेत्र की जिस खड़ीबोली को भारतीय संविधान द्वारा स्वतंत्रता के बाद प्रशासनिक महत्त्व […] Read more » राजभाषा हिन्दी हिन्दी दशा हिन्दी दिशा
प्रवक्ता न्यूज़ बस यूं ही दिल से… June 16, 2014 / June 16, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -लक्ष्मी जायसवाल- कुछ अनजाने से ख्वाब अब इन आंखों में बसने लगे हैं। किसके अरमान हैं ये जो अब मेरे दिल में पलने लगे हैं।। अरमानों के इस मेले में तन्हा हैं मेरी अपनी ख्वाहिशें। दिल को बेकरार कर रही हैं न जाने किसकी हसरतें।। हसरतों के इस समंदर में क्यों डूब रहा है दिल […] Read more » बस यूं ही दिल से हिन्दी हिन्दी कविता
प्रवक्ता न्यूज़ “वर्धा हिन्दी शब्दकोश के बहाने से हिन्दी के विकास के संबंध में विचार” June 16, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 14 Comments on “वर्धा हिन्दी शब्दकोश के बहाने से हिन्दी के विकास के संबंध में विचार” -डॉ. मधुसूदन- प्रो. महावीरजी जैन का आलेख पढ़ने पर, उसी आलेख के एक बिंदू पर ही लक्ष्य़ केंद्रित कर, यह अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता हूं। मात्र तर्क के आधार पर यह प्रस्तुति रहेगी। (एक) प्रो. जैन कहते हैं। प्रो. जैन: “स्वाधीनता के बाद हमारे राजनेताओं ने हिन्दी की घोर उपेक्षा की। पहले यह तर्क दिया […] Read more » वर्धा हिन्दी वर्धा हिन्दी शब्दकोष हिन्दी हिन्दी का विकास
परिचर्चा “वर्धा हिन्दी शब्दकोश” पर प्राप्त विद्वानों की प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में पुनः विचार June 14, 2014 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 1 Comment on “वर्धा हिन्दी शब्दकोश” पर प्राप्त विद्वानों की प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में पुनः विचार -प्रोफेसर महावीर सरन जैन- मेरे लेख पर जिन विद्वानों ने प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं, उन सबके प्रति मैं यथायोग्य स्नेह, आदर, अत्मीय भाव व्यक्त करता हूं। हम सबका एक ही लक्ष्य है- हिन्दी का विकास हो। हम सबके रास्ते अलग हो सकते हैं। हम सबकी सोच भिन्न हो सकती है। मैंने अपने अब तक के […] Read more » वर्धा हिन्दी वर्धा हिन्दी शब्दकोश शब्दकोष हिन्दी
हिंद स्वराज वर्धा हिन्दी शब्दकोश के बहाने से हिन्दी के विकास के संबंध में कुछ विचार June 12, 2014 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | 40 Comments on वर्धा हिन्दी शब्दकोश के बहाने से हिन्दी के विकास के संबंध में कुछ विचार -प्रोफेसर महावीर सरन जैन- मैं दस पंद्रह दिन पहले अमेरिका से भारत लौटा तो मेरे अनेक मित्रों ने मुझे टेलिफोन करके यह सूचना दी कि महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा ने ´वर्धा हिन्दी शब्दकोश’ का प्रकाशन किया है। मैंने कहा कि यह तो अच्छी सूचना है। मगर उनका कहना था कि यह कोश हिन्दी की […] Read more » वर्धा वर्धा हिन्दी वर्धा हिन्दी शब्दकोश हिन्दी हिन्दी विकास
जन-जागरण हिंदी हैं हम वतन हैं… June 9, 2014 by बी एन गोयल | Leave a Comment – बी एन गोयल- नरेद्र मोदी के सन्दर्भ में हिंदी की पुनर्स्थापना ‘हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तां हमारा हम बुलबुले हैं इस की, यह गुलिस्तां हमारा।’ सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा ये पंक्तियां हैं- हमारे यानी भारतीय क़ौमी तराने की जो पाकिस्तान के संस्थापक डॉ. अल्लामा इक़बाल ने कभी पाकिस्तान की अवधारणा से […] Read more » नरेंद्र मोदी हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दी