गजल हिंदी गजल July 24, 2019 / July 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार नेताजी हो गए अजागर। जनतंत्र है देश का नागर।। उफना रही सरिता अगर है, ढूंढ़ो यहाँ सुरक्षित बागर। तुम सदियों की प्यास बनो तो, मै भी अब हो जाऊँ छागर। जीवन है इक नाव सरीखा, ठौर ठिकाना होता पागर। तन्हा तन्हा इस कस्बे से, चला गया सुख का सौदागर। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट […] Read more » hindi hindi gazal hindi literature literature
गजल हिंदी ग़ज़ल July 11, 2019 / July 11, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment शहर तो है नींद से जागा। मुंडेरों पर बोले कागा।। दिनचर्या चालू होते ही, वो दफ्तर को सरपट भागा। होने लगी मुनादी गर तो, पीट रहा है डुग्गी डागा। आपस में अनबन होते ही, टूट गया रिश्तों का तागा। न खाए परसी हुई थाली, उससे बड़ा कौन दोहागा। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर Read more » hindi hindi gazal literature
गजल हिंदी ग़ज़ल July 9, 2019 / July 9, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार तूफाँ की अलामत है। फिर भी सब सलामत है।। बदगोई का अक्स औ, उसकी ही जसामत है। वे तो मतलब धन्य हैं, ईश्वर की नियामत है। जिस पर भी भरोसा था, वह करता हजामत है। लाड़ प्यार की जगह पर, होती अब मलामत है। लुब्ध करता ताजमहल, आखिर में क़दामत है। नौबहार बाग […] Read more » gazal hindi gazal literature
साहित्य सूरज है रूठा: नवगीत July 2, 2019 / July 2, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार वर्षा की पहली फुहार है। और हवा के आर पार है।। डाली में कोंपल फूटी है। आज तपन लगती झूठी है।। हरितिमा की साज सँवार है। नहा रहा है बूटा बूटा। बादल से सूरज है रूठा।। घूंघट काढ़ेगी बयार है। मंजर दिखता रहा बाढ़ का। स्वागत बारिश में अषाढ़ का।। मेह बरसते धुन […] Read more » hindi literature Nature newsong poem poem on nature
चिंतन “ईश्वर का सत्यज्ञान वेद एवं वैदिक साहित्य में ही उपलब्ध है” July 1, 2019 / July 1, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम जन्म लेने के बाद जब कुछ-कुछ समझना आरम्भ कर देते हैं तो इस संसार को देखकर आश्चर्यचकित होते हैं। हममें यह जिज्ञासा होती है कि यह वृहद संसार कैसे व किससे बना? इसका उत्तर हमें नहीं मिलता। माता-पिता से यदि पूछें तो एक पंक्ति का उत्तर होता है कि यह […] Read more » God literature true knowledge ved and vedic
गजल मुक्तिका/हिंदी गजल May 25, 2019 / May 25, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हर बशर बदगुमान नजर आता है।भटका हुआ जवान नजर आता है।।प्यून है घूस से अर्श पर पहुंचा,देखिए साहिबान नजर आता है।जीभ फेरिए जरा सूखे होंठ पर,रचा रचाया पान नजर आता है।लग रही है मेनका सुंदरता में,कलेवर तो कमान नजर आता है।लतीफे की किताबें पढ़कर लगा कि,इस तरह संविधान नजर आता है। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट […] Read more » genere of hindi hindi hindi gajal literature