धर्म-अध्यात्म ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ November 28, 2018 / November 28, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, परमात्मा ने इस सृष्टि और मनुष्य आदि प्राणियों को बनाया है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति का अखिल विश्व में स्वतन्त्र अस्तित्व है। यह तीनों सत्तायें मौलिक, अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी गुणों वाली हैं। परमात्मा ने यह सृष्टि जीवों के कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल प्रदान करने के लिये बनाई है। […] Read more » ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ अध्ययन-अध्यापन अर्थ उपाय काम बन्धन भक्ष्य व अभक्ष्य मनुष्य धर्म मोक्ष शिक्षा
समाज दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व October 14, 2018 / October 14, 2018 by ललित गर्ग | 2 Comments on दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व -ललित गर्ग- दशहरा-विजयदशमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आश्विन शुक्ल दशमी को यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक प्रतीक पर्व है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो, इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। भगवान राम ने इसी […] Read more » अहंकार आलस्य काम क्रोध तर्क हो दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व न जल्दबाजी हो न सन्देह हो मत्सर मोह मद लोभ हिंसा
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य” June 26, 2018 / June 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम मनुष्य हैं। हमारा अस्तित्व सत्य व यथार्थ है। हमारी आत्मा अनादि, अनुत्पन्न, अल्पज्ञ, एकदेशी, ससीम, जन्म-मरण धर्मा और शुभ व अशुभ करने वाली व ईश्वरीय व्यवस्था से उसका फल भोगने वाली है। आत्मा की दो अवस्थायें कह सकते हैं जो बन्धन व मोक्ष हैं। बन्धन का तात्पर्य है कि आत्मा के […] Read more » “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना Featured अर्थ ओ३म् व गायत्री काम धर्म मनुष्य मनुष्य का मुख्य कर्तव्य”
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” May 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ संसार में सुविख्यात ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने संसार में विद्यमान पदार्थों के सत्य स्वरूप का प्रकाश किया है। यह ग्रन्थ चौदह समुल्लासों में है। प्रथम दस समुल्लास ग्रन्थ पूर्वाद्ध कहलाते हैं और बाद के चार समुल्लास […] Read more » Featured अर्थ-अनर्थ आचार्य आर्य-दस्यु आर्यावर्त्त व आर्य उपाध्याय काम गुरु तीर्थ देव-असुर-राक्षस-पिशाच देवपूजा न्यायकारी पुराण पुरुषार्थ प्रारब्ध से बड़ा पुरोहित प्रजा बन्ध मनुष्य मुक्ति मुक्ति के साधन यज्ञ राजा वर्णाश्रम शिक्षा शिष्टाचार शिष्य सकर्तृक संस्कार
व्यंग्य हम काम से नहीं डरते October 11, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी बहुत दुखी हैं। बेटे का विवाह सिर पर है और मोहल्ले की सड़क है कि ठीक ही नहीं हो रही। छह महीने पहले पानी की लाइन टूट गयी। सारा पानी सड़क पर बहने लगा। भीषण गरमी के मौसम में पूरे मोहल्ले में तीन दिन तक हाहाकार मचा रहा। छुट्टियों के कारण अधिकांश लोगों […] Read more » Featured काम काम से नहीं डरते
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का धर्म सद्ज्ञान व विवेक की प्राप्ति और उसके अनुसार आचरण कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति है’ February 4, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों को अपने कर्तव्यों का ज्ञान कहां से प्राप्त हो सकता है? क्या मत-मतान्तरों की शिक्षा से कर्तव्यों का यथार्थ ज्ञान मिलता है कि जिससे मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूरा होता हो? ऐसा नहीं है। यदि ऐसा होता तो फिर सभी मनुष्य आपस में प्रेम से रहते और उनकी धार्मिक, आत्मिक, मानसिक, […] Read more » अर्थ आचरण कर धर्म काम मनुष्य का धर्म मनुष्य का धर्म विवेक की प्राप्ति मनुष्य का धर्म सद्ज्ञान मोक्ष की प्राप्ति