प्रवक्ता न्यूज़ मजहब वही, जो बताया जाए April 25, 2016 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डा. वेद प्रताप वैदिक बांग्लादेश में प्रो. रिजाउल करीम और पाकिस्तान में सिख नेता सूरनसिंह की हत्या क्या दर्शाती है? क्या यह नहीं कि हमारे दक्षिण एशिया के लगभग सभी प्रमुख देशों में हिंसा का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। अफगानिस्तान तो इस मामले में सबसे आगे है। वहां थोक वारदातें होती हैं। दर्जनों लोग […] Read more » Featured मजहब
जरूर पढ़ें विविधा मजहब और तस्लीमा नसरीन April 16, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment तस्लीमा नसरीन मुस्लिम कट्टरपंथ के विरूद्घ आवाज उठाने के लिए प्रसिद्घ रही हैं। उन्होंने इस्लाम के कथित भ्रातृत्व के कितने ही मिथकों को तोडक़र लोगों के सामने नंगा करने का साहस किया है। वह नारी के बराबरी के अधिकारों के लिए इस्लाम के भीतर भी और बाहर भी संघर्ष करने के लिए जानी जाती रही […] Read more » Featured तस्लीमा नसरीन मजहब मजहब और तस्लीमा नसरीन
समाज इंसानियत है मज़हब सबसे बड़ा जहां में March 17, 2016 by निर्मल रानी | 1 Comment on इंसानियत है मज़हब सबसे बड़ा जहां में निर्मल रानी इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत सहित पूरे विश्व में मानवता को शर्मसार करने वाली तमाम घटनाओं की ख़बरें सुनने को मिलती रहती है। चारों ओर संकीर्णता,कट्टरपंथी वैचारिकता,स्वार्थ,लालच,धर्म व जाति आधारित वैमनस्य जैसी सामाजिक बुराईयों का बोलबाला है। धर्मांधता व जातिवाद जैसे संकीर्ण विचार रखने वाले लोग मानवता को तिलंाजलि देकर अपने-अपने नापाक […] Read more » Featured humanity is the best religion इंसानियत मजहब सबसे बड़ा मज़हब
धर्म-अध्यात्म उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं October 20, 2012 / October 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं आशुतोष शर्मा 1947 के विभाजन के दौरान मुजफ्फराबाद (पाक अधिकृत कश्मीर) के एक गांव में करीब डेढ़ साल का बच्चा एक मुर्दा शरीर से लिपटा रो रहा था। तभी वहां से गुजर रही एक मुस्लिम महिला की नजर उस पर पड़ी। वह नर्मदिल औरत उस बच्चे को अपने घर ले आयी और बेटे की तरह […] Read more » इंसानियत मजहब
समाज मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना October 11, 2011 / December 5, 2011 by निर्मल रानी | 2 Comments on मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना निर्मल रानी भारत वर्ष में सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक सौहार्द्र जैसी बुनियादी प्रकृति को उजागर करने वाले अल्लामा इकबाल की यह पंक्तियां-मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना-हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदोस्तां हमारा, गत 6 अक्तूबर को हरियाणा के बराड़ा कस्बे में साक्षात रूप से चरितार्थ होते देखी गर्इं। यह अवसर था विश्व के […] Read more » मजहब
धर्म-अध्यात्म मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना October 4, 2010 / December 21, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 4 Comments on मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना -फ़िरदौस ख़ान मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा… हिंसा किसी भी सभ्य समाज के लिए सबसे बड़ा कलंक हैं, और जब यह दंगों के रूप में सामने आती है तो इसका रूप और भी भयंकर हो जाता है। दंगे सिर्फ जान और माल का ही नुक़सान नहीं […] Read more » Violence मजहब हिंसा