कविता ना जाने क्यों May 24, 2014 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- ना जाने क्यों आज-कल खोया-खोया सा रहता हूं, खुद से खफा रहता हूं, बिना हवा के चलने से पेड़ों को हिलते हुए देखता हूं, बिन बारिश के बादलों में इंद्रधनुष को देखता हूं, तो कभी, लहरों की बूंदों को गिनने की कोशिश करता हूं, ना जाने क्यों आज-कल खोया-खोया सा रहता हूं, […] Read more » कविता ना जाने क्यों हिन्दी कविता
कविता कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 3, 2012 / February 3, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव योग्य उम्मीदवार की तलाश पार्टी के सदस्य पदाधिकारी पशोपेश में थे कुछ पद के नशे में थे कुछ होश में थे संसदीय क्षेत्र के लिये जीतने वाले उम्मीदवार का चुनाव होना था कौन कितना ताकत्वर है कितना खर्च करेगा इस बात का भाव ताव तै होना था “घसीटालालजी ठुनठुना क्षेत्र के लिये सर्व श्रेष्ठ उम्मीदवार […] Read more » famous poems Hindi Poem kavita poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविताएं श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता : अलविदा– विजय कुमार January 27, 2012 / January 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment सोचता हूँ जिन लम्हों को ; हमने एक दूसरे के नाम किया है शायद वही जिंदगी थी ! भले ही वो ख्यालों में हो , या फिर अनजान ख्वाबो में .. या यूँ ही कभी बातें करते हुए .. या फिर अपने अपने अक्स को ; एक दूजे में देखते हुए हो …. […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता : देह – विजय कुमार January 26, 2012 / January 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment देह के परिभाषा को सोचता हूँ ; मैं झुठला दूं ! देह की एक गंध , मन के ऊपर छायी हुई है !! मन के ऊपर परत दर परत जमती जा रही है ; देह …. एक देह , फिर एक देह ; और फिर एक और देह !!! देह की भाषा […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता : मेरा होना और न होना – विजय कुमार January 25, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment मेरा होना और न होना …. उन्मादित एकांत के विराट क्षण ; जब बिना रुके दस्तक देते है .. आत्मा के निर्मोही द्वार पर … तो भीतर बैठा हुआ वह परमपूज्य परमेश्वर अपने खोलता है नेत्र !!! तब धरा के विषाद और वैराग्य से ही जन्मता है समाधि का पतितपावन सूत्र […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:जोगन-विजय कुमार January 24, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on कविता:जोगन-विजय कुमार मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे ! तेरे बिन कोई नहीं मेरा रे ; हे श्याम मेरे !! मैं तो तेरी जोगन रे ; हे घनश्याम मेरे ! तेरी बंसुरिया की तान बुलाये मोहे सब द्वारे छोड़कर चाहूं सिर्फ तोहे तू ही तो है सब कुछ रे , हे श्याम मेरे […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:एक स्त्री जो हूँ-विजय कुमार January 23, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment स्त्री – एक अपरिचिता मैं हर रात ; तुम्हारे कमरे में आने से पहले सिहरती हूँ कि तुम्हारा वही डरावना प्रश्न ; मुझे अपनी सम्पूर्ण दुष्टता से निहारेंगा और पूछेंगा मेरे शरीर से , “ आज नया क्या है ? ” कई युगों से पुरुष के लिए स्त्री सिर्फ भोग्या ही रही मैं […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:तुम्हारा आना-विजय कुमार January 22, 2012 / January 21, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment कल खलाओं से एक सदा आई कि , तुम आ रही हो… सुबह उस समय , जब जहांवाले , नींद की आगोश में हो; और सिर्फ़ मोहब्बत जाग रही हो.. मुझे बड़ी खुशी हुई … कई सदियाँ बीत चुकी थी ,तुम्हे देखे हुए !!! मैंने आज सुबह जब घर से बाहर कदम रखा, तो […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:मृत्यु-विजय कुमार January 21, 2012 / January 21, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on कविता:मृत्यु-विजय कुमार ये कैसी अनजानी सी आहट आई है ; मेरे आसपास ….. ये कौन नितांत अजनबी आया है मेरे द्वारे … मुझसे मिलने, मेरे जीवन की , इस सूनी संध्या में ; ये कौन आया है …. अरे ..तुम हो मित्र ; मैं तो तुम्हे भूल ही गया था, जीवन की आपाधापी में !!! […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:तलाश-विजय कुमार January 20, 2012 / January 20, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment कुछ तलाशता हुआ मैं कहाँ आ गया हूँ ….. बहुत कुछ पीछे छूट गया है ….. मेरी बस्ती ये तो नहीं थी ….. मट्टी की वो सोंघी महक … कोयल के वो मधुर गीत … वो आम के पेड़ो की ठंडी ठंडी छांव .. वो मदमाती आम के बौरो की खुशबू … वो खेतो […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:तेरा नाम क्या है मेरे प्रेम?-विजय कुमार January 20, 2012 / January 23, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment अचानक ही ये कैसे अहसास है कुछ नाम दूं इसे या फिर ; अपने मौन के साथ जोड़ दूं इसे किसी मौसम का नया रंग हो शायद या फिर हो ज़िन्दगी की अनजानी आहट एक सुबह हो ,सूरज का नया रूप लिये पता नहीं ….. मेरी अभिव्यक्ति की ये नयी परिभाषा है […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता कविता:आखिरी दिन-खुशबू सिंह January 20, 2012 / January 20, 2012 by खुशबू सिंह | Leave a Comment ये बात उस दोपहर की है जब शहर से भागता हुआ शोर एकाएक गाँव की सरहदों को ताकने लगा था देख रहा था यूं ही जैसे देखते है गली मे टहलते आवारा कुत्ते घरो के खुले दरवाजो को अक्सर फिराक मे ठीक उसी नियत से शहर से खदेड़ा हुआ शोर हाँफता हुआ दाखिल होने को […] Read more » famous hindi poems Hindi Poem कविता कविताएं श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता