हिन्दू का दुश्मन जातिवाद है

—विनय कुमार विनायक
हिन्दू विश्व में
बेशक सबसे अधिक सहिष्णु धर्म है
किन्तु हिन्दू का
पहला और आखिरी दुश्मन जातिवाद है!

जातिवाद ने हिन्दू समुदाय को
अस्तित्वहीन कर खोखला कर दिया,
यद्यपि सनातन वर्णाश्रमी वैदिकों का
हिन्दू नाम इस्लाम पूर्व पारसियों ने दिया,

जो एक मुलम्मा मात्र है
हिन्दू के हिय अंत:स्थल में
चार वर्ण और हजारों जातियां बसती!

हिन्दुओं का सबकुछ जाति तय करती
हिन्दुओं की रिश्तेदारी जाति में होती
हिन्दुओं की पहली पसंद अपनी स्वजाति हीं है!

सोरी घर से चिता तक हिन्दू जातिबद्ध है
सोरी घर में किहूं-किहूं की आवाज देनेवाला शिशु
एक जाति के स्वजाति जोड़ी से जन्म लेता!

मृत हिन्दू श्मशान तक जाता
पुत्र, पौत्र,भ्राता व स्वजाति रिश्तेदारों के कंधे पर!

यद्यपि हिन्दू शांतिप्रिय, ईमानदार जाति समूह है
पर हिन्दुओं की ईमानदारी जातिवाद में खो जाती!

पाई-पाई के ईमानदार हिन्दुओं को
जाति के नाम पर भ्रष्ट होते देखा जा सकता!

जबकि हिन्दू की जातियां शुद्ध नहीं होती
हिन्दू की सभी जातियां मिश्रित वर्ण संकरित होती!

जो जाति जितना अधिक
शुद्ध होने की दावेदारी करती,
वह उतना अधिक रक्तमिश्रित होती!

अगर कोई ब्राह्मण है
तो वैध तरीके से उनके पूर्वजों ने
चारों वर्णों में अनुलोम विवाह किया होगा!

अगर कोई क्षत्रिय है तो उनके पूर्वजों ने
ब्राह्मण छोड़ तीनों वर्णों में विवाह किया होगा,
वैश्य ने निचले एक वर्ण से विवाह किया होगा!

और चौथा वर्ण सिर्फ अपने वर्ण से
अस्तु शूद्र व जनजाति है सर्वाधिक शुद्ध जाति!

आज भी कद, काठी, रंग, रूप में
किरात,संथाल,कोल, पहाड़िया,मुंडा, उरांव,हो जनजाति
वर्णाश्रमियों से अलग दिखाई पड़ती!

जबकि ब्राह्मण है
सर्वाधिक अनुलोमज मिश्रित जाति,
चारों वर्णों की चयनित
सुन्दर कन्या से विवाह करने वाला!

अगर हिन्दू धर्म के अस्तित्व को बचाना है
तो जातिवाद के खोखलेपन को मिटाना होगा!

हिन्दू धर्म की सभी जातियों को
सभी जातियों में विवाह करना ही होगा,
अन्यथा हिन्दू के मिट जाने का खतरा है!
—विनय कुमार विनायक

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