बोतल से फिर बाहर आया अलक़ायदा का जिन्न

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तनवीर जाफ़री

terrorismअमेरिका पर हुए विश्व के अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले अर्थात् 9/11 के बाद ओसामा बिन लादेन के नेतृतव में जिस आतंकी संगठन अलक़ायदा ने आतंक की दुनिया में अपने संगठन का नाम विश्व के सबसे बड़े आतंकी संगठन के रूप में दर्ज करा लिया था तथा इसी संगठन को समाप्त किए जाने के बहाने अफगानिस्तान और इराक आज खंडहर बने दिखाई दे रहे हैं। यह अलक़ायदा 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अपने प्रमुख ओसामा बिन लाडेन की अमेरिकी सील कमांडो के हाथों हुई मौत के बाद हाशिए पर चला गया था। रही-सही कसर अलक़ायदा के ही पूर्व कमांडर रहे अबु बकर अल बग़दादी ने पूरी कर दी जिसने कि अलकायदा छोडक़र इराक व सीरिया के जेहादी लड़ाकों को बड़े पैमाने पर अपने साथ जोडक़र आईएसआईएस अर्थात् इस्लामिक स्टेट आफ इराक़ एंड सीरिया नामक दूसरा आतंकी संगठन खड़ा कर लिया । गत् पांच महीनों से सीरिया व इराक में आतंक की दुनिया में अब तक सबसे बड़ा इतिहास लिखने वाला अबु बकर अल बगदादी जिसने कि इराक व सीरिया के काफी बड़े क्षेत्र पर कब्ज़ा कर उसे स्वयंभू रूप से इस्लामिक स्टेट का नाम भी दे डाला है,इन दिनों विश्व के आतंकियों की सूची में सबसे प्रमुख आतंकी संगठन के रूप में शामिल हो गया है। ज़ाहिर है ऐसे में अलक़ायदा के वर्तमान प्रमुख एमन-अल-जवाहिरी को अपने संगठन को ज़िन्दा रखने के लिए कोई नया शिगूफ़ा छोडऩे की ज़रूरत महसूस हुई।

और पिछले दिनों काफ़ी लंबे अंतराल के बाद अपने इसी मक़सद के तहत जवाहिरी ने  55मिनट का एक वीडियो टेप यू टयूब तथा सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। अपने इस ताज़ातरीन वीडियो टेप में एमन-अल-जवाहिरी को यह कहते देखा जा रहा है कि ‘अलक़ायदा की नई शाखा राष्ट्रीय सीमाओं को तोडक़र दक्षिण एशिया में मुसलमानों को एकजुट करेगी’। जवाहिरी के अनुसार अलकायदा भारत में इस्लामी हुकूमत चाहता है। और यहां अपनी पैठ मज़बूत करना चाहता है। उसने भारत में जेहाद की घोषणा करते हुए कहा कि ‘मैं भारत में अलक़ायदा की शाखा का एलान करता हूं। भारतीय उपमहाद्वीप एक ज़माने में इस्लामी हुकूमत का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन इसपर काफिरों का कब्ज़ा हो गया और इसे विभाजित कर दिया गया’। उसने अपने वीडियो टेप में कश्मीर,आसाम,गुजरात,बर्मा और बंगलादेश का जि़क्र करते हुए कहा कि वह ‘इन क्षेत्रों के मुसलमानों की रक्षा करेगा तथा भारत में इस्लामी राज्य की वापसी सुनिश्चित की जाएगी’। जवाहिरी ने अपने इस मिशन के लिए क़वायद अल-जेहाद नामक उपसंगठन की घोषणा भी की है। पाकिस्तान के चरमपंथी आसिफ उमर को इस शाखा का प्रमुख बनाया गया है। ज़ाहिर है जवाहिरी के इस वीडियो के सामने आने के बाद भारत में सरकार तथा सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह चौकस हो गई हैं। केंद्रीय गृहमंत्री ने वरिष्ठ ख़ुफ़िया अधिकारियों के साथ इस विषय पर चर्चा करने के बाद प्रधानमंत्री से भी बातचीत की है।
परंतु जवाहिरी के काफी लंबे समय के बाद इस वीडियो टेप को लेकर पुन: ‘अवतरित’ होने को लेकर आतंकी गतिविधियों पर नज़र रखने वाले विशेषकों द्वारा तरह-तरह के कय़ास लगाए जा रहे है। अधिकांश विश्लेषकों का यही मत है कि अल जवाहिरी स्वयं का तथा अपने संगठन अलकायदा का अस्तित्व बचाए रखने के लिए इस प्रकार की घोषणा कर रहा है। जवाहिरी यह बात बखूबी समझ रहा है कि अबु बकर अल बग़दादी के नेतृतव में कथित इस्लामी स्टेट की घोषणा के बाद तथा इससे जुड़े  लड़ाकों की इन दिनों चल रही व्यापक हिंसात्मक गतिविधियों के पश्चात अलक़ायदा हाशिए पर चला गया है। लिहाज़ा उसके लिए अपने-आपको जीवित रखने के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह अपने किसी ताज़ातरीन लक्ष्य की घोषणा करे ताकि उसके लड़ाकों को ख़ाली बैठे रहने के बजाए कुछ ‘काम’ मिल सके। जवाहिरी को दूसरा अंदेशा इस बात का भी है कि इस्लामिक स्टेट के जेहादी कहीं सीरिया और इराक के बाद दक्षिण एशिया की ओर अपना रुख न कर दें। ऐसी किसी संभावना से पूर्व ही जवाहिरी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपना जेहादी मिशन शुरु करने की घोषणा बहुत सोच-समझ कर की है। अब यदि जवाहिरी की धमकी तथा वीडियो टेप में ज़ाहिर किए गए उसके नापाक इरादों को गंभीरता से लिया जाए तो भी इसके कई पहलुओं पर नज़र डालनी ज़रूर होगी।

अलक़ायदा का यदि पिछला इतिहास पलटकर देखा जाए तो हमें यही नज़र आता है कि इस आतंकी संगठन ने जिन-जिन देशों में अपना पांव जमाया है वहां-वहां उसने स्थानीय आतंकियों अथवा आतंकी संगठनों को अपने साथ जोडक़र ही अपने जेहादी मिशन को आगे बढ़ाया है। मिसाल के तौर पर सर्वप्रथम जब अलक़ायदा ने ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में अफगानिस्तान में नजीब सरकार के विरुद्ध विद्रोह किया तो उसे अफगानिस्तान के मुजाहिदीन जो आगे चलकर तालिबान के नाम से जाने गए, का भरपूर साथ मिला। मुल्ला मोहम्मद उमर जोकि तालिबानी प्रमुख था न केवल जेहादी मिशन में लादेन का सहयोगी बना रहा बल्कि बाद में लाडेन से उसने रिश्तेदारी भी कायम कर ली। इस प्रकार पाकिस्तान में अलकाययदा को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान तथा दूसरे कई आतंकी संगठनों से काफी सहयोग व उनका सहारा मिल रहा है। गोया हम कह सकते हैं कि अलकायदा अपने स्तर पर कोई ऐसा व्यापक आतंकी संगठन नहीं रह गया है जिसके पास कि लड़ाकों की अपनी निजी फौज हो। जैसाकि इस्लामिक स्टेट के जेहादी लडक़ों की देखी जा रही है। वैसे भी गत् पांच महीनों से ज़ुल्म और बर्बरता की इबारत लिखने में आईएसआईएस ने अलकायदा सहित पूरी दुनिया के सभी आतंकी संगठनों को इतना पीछे छोड़ दिया है कि आतंकवाद की दुनिया में उसका मुकाबला करना शायद किसी आतंकी संगठन के लिए संभव नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि जवाहिरी के नेतृत्व वाले मृतप्राय: अलकायदा की बुरी नज़रें दक्षिण ऐशिया के भारत,बंगलादेश तथा बर्मा जैसे देशों पर पड़ी हैं तो क्या उसे इन देशों से किसी स्थानीय सक्रिय आतंकी संगठन का साथ मिल सकेगा?

जहां तक अलक़ायदा से जुड़े आतंकियों का प्रश्र है तो प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक इस संगठन के साथ कई अरब देशों,इराक़ ,जार्डन,चेचेनिया,उज़्बेकिस्तान,अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान जैसे और कई देशों के नागरिकों के नाम जुड़ चुके हैं। परंतु अब तक भारत,बंगलादेश व बर्मा के किसी भी व्यक्ति का नाम अलकायदा के सदस्य के रूप में सामने नहीं आया। ज़ाहिर है जब व्यक्तिगत स्तर पर इन देशों का कोई व्यक्ति अब तक अलक़ायदा से जुड़ा नहीं पाया गया तो इन्हीं देशों में स्थानीय स्तर पर आतंकी गतिविधियों में लगे किसी भी संगठन के अलकायदा से संबद्ध होने की बात फ़िलहाल कैसे सोची जा सकती है? हां इतना ज़रूर है कि अलक़ायदा,बर्मा,गुजरात,आसाम या कश्मीर में नाराज़ मुसलमानों की नब्ज़ को टटोलने का प्रयास  ज़रूर कर सकता है। परंतु उसे अपने इस मिशन में भी कोईसफलता मिलने की कतई उम्मीद नहीं है। हां पाकिस्तान में बैठे उसके सहयोगियों की सहायता से तथा कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों से सहयोग मिलने की स्थिति में सीमांत प्रदेश होने के नाते कश्मीर में वह अपनी गतिविधियां ज़रूर शुरु कर सकता है। वैसे जहां तक कुल मिलाकर भारतीय मुसलमानों का प्रश्न है तो स्थानीय स्तर पर भले ही इनमें से कुछ आतंकी संगठन सक्रिय हों परंतु इन स्थानीय संगठनों द्वारा आतंकवाद के ‘आयात-निर्यात’ के अभी तक कोई प्रमाण नहीं हैं। वैसे भी स्वभावत: भारतीय मुसलमान अन्य देशों के मुसलमानों की तुलना में कहींअधिक शांतिप्रिय,सहनशील,उदारवादी तथा सहअस्तित्व पर विश्वास करने वाले मुसलमान हैं।
अल जवाहिरी द्वारा ‘भारत राग’ अलापने से पूर्व ओसामा बिन लादेन भी यही राग अलाप चुका है। परंतु इस विशाल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में अब तक किसी भी अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन की दाल नहीं गल सकी है। जवाहिरी भी इस तथ्य से भलीभांति वाक़िफ़ है। परंतु जानकारों का यही मानना है कि अल जवाहिरी की दक्षिण एशियाई देशों को निशाना बनाते हुए जारी की गई उसकी वीडियो टेप इन देशों को धमकाने के मक़सद से कम तथा अपने संगठन व अपने-आप को आतंक की दुनिया में जीवित रखने के मकसद से अधिक की गई है। जवाहिरी यह भलीभांति जानता है कि अपनी आक्रमाकता के बल पर बगदादी की इस्लामिक स्टेट ने जिस प्रकार सीरिया व इराक में अपनी धमाकेदार उपस्थिति से वहां अलकायदा को शून्य कर दिया है कहीं ऐसा न हो कि इस्लामिक स्टेट भारतीय उपमहाद्वीप में भी वैसी ही सक्रियता से अपने आतंकी अभियान की शुरुआत कर दे और अलक़ायदा यहां भी मुंह देखता रह जाए। समझा जा रहा है कि इसी दूरदृष्टि के मद्देनज़र अल जवाहिरी द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने हेतु यह वीडियो टेप जारी किया गया है। बहरहाल,जवाहिरी की इस चेतावनी के पीछे मकसद जो भी हो भारतीय उपमहाद्वीप की सरकारों को तथा इस क्षेत्र के मुसलमानों को पूरी तरह चौकस व सचेत रहने की ज़रूरत है।

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