यही ज़िन्दगी है

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कभी लगता है ,
मुट्ठी में है दुनिया,
कभी जिंदगी रेत-सी,
मुट्ठी से फिसल जाती है।

कभी जीत जाते हैं,
सब कुछ हार कर भी ,
कभी जीत कर भी,
सब कुछ हार जाते हैं।

यह जिंदगी है दोस्तों ,
यह कभी,
सीधी रेखा में नहीं चलती।

टेढ़े -मेढ़े ,उल्टे- सीधे,
घुमावदार ,सांंस जोड़ते,उखाड़ते
हैं जिंदगी के उलझन भरे रास्ते।

उसका मिलना भी,
क्या मिलना ,
जो सीधे ,सरल रूप में
बिना जान की बाजी लगाए,
सहज ही मिल जाए।

अपनी सामर्थ्य ,कमियों का ,
तभी है पता चलता ,
जब जीवन में,
कोई चुनौती मिल जाए,
तलवार की धार पर दौड़ते हम,
अपने लक्ष्य को पा जायें ।।

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