बीमार फेफड़े और जिन्दा लाश का कारण है तंबाकू

0
96

विश्व तम्बाकू विरोधी दिवस-31 मई, 2023
– ललित गर्ग –

विश्व की गम्भीर एवं घातक समस्याओं में प्रमुख है तम्बाकू और उससे जुड़े नशीले पदार्थों का उत्पादन, तस्करी और सेवन में निरन्तर वृद्धि होना। नई पीढ़ी इस जाल में बुरी तरह कैद हो चुकी है। आज हर तीसरा व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में तम्बाकू का आदी हो चुका है। आंकड़ों के अनुसार हर साल विश्व में 70 लाख लोग तंबाकू के शिकार होकर मौत का ग्रास बन जाते हैं। विश्व में करीब 2.5 करोड़ कैंसर के मरीज हैं और 2025 तक 3.0 करोड़ होने की सम्भावना है। भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है तथा 17 लाख लोगों की तंबाकू सेवन से मृत्यु होती है। इसी बात की गंभीरता एवं विकरालता को देखते हुए साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पारित किया और हर 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला किया गया।
बीड़ी-सिगरेट के अलावा तम्बाकू के छोटे-छोटे पाउचों से लेकर तेज मादक पदार्थों, औषधियों तक की सहज उपलब्धता इस आदत को बढ़ाने का प्रमुख कारण है। इस दीवानगी को ओढ़ने के लिए प्रचार माध्यमों ने भी भटकाया है। सरकार की नीतियां भी दोगली है। यह विडम्बनापूर्ण है कि सरकारों के लिये यह दिवस कोरा आयोजनात्मक है, प्रयोजनात्मक नहीं। क्योंकि सरकार विवेक से काम नहीं ले रही है। शराबबन्दी का नारा देती है, नशे की बुराइयों से लोगों को आगाह भी करती है और शराब, तम्बाकू का उत्पादन भी बढ़ा रही है। राजस्व प्राप्ति के लिए जनता की जिन्दगी से खेलना क्या किसी लोककल्याणकारी सरकार का काम होना चाहिए?एक नशेड़ी पीढ़ी का देश कैसे आदर्श हो सकता है? कैसे स्वस्थ हो सकता है? कैसे प्रगतिशील हो सकता है? यह समस्या केवल भारत की ही नहीं है, बल्कि समूची दुनिया इससे पीड़ित, परेशान एवं विनाश के कगार पर खड़ी है।
नशे की संस्कृति युवा पीढ़ी को गुमराह कर रही है। अगर यही प्रवृत्ति रही तो सरकार, सेना और समाज के ऊंचे पदों के लिए शरीर और दिमाग से स्वस्थ  व्यक्ति नहीं मिलेंगे। नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण हम एक स्वस्थ नहीं, बल्कि बीमार राष्ट्र एवं समाज का ही निर्माण कर रहे हैं। नशे की जमीन कितने-कितने आसमान खा गई। जीवन का माप सफलता नहीं, सार्थकता होती है। सफलता तो गलत तरीकों से भी प्राप्त की जा सकती है। जिनको शरीर की ताकत खैरात में मिली हो वे जीवन की लड़ाई कैसे लड़ सकते हैं? ये बहुत जरुरी है कि वैश्विक स्तर पर तंबाकू सेवन के प्रयोग पर बैन या इसे रोका जाये क्योंकि ये कई सारी बीमारियों का कारण बनता है जैसे दीर्घकालिक अवरोधक फेफड़ों संबंधी बीमारी (सीओपीडी), फेफड़े का कैंसर, हृदयघात, स्ट्रोक, स्थायी दिल की बीमारी, वातस्फीति, विभिन्न प्रकार के कैंसर आदि। तंबाकू का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है जैसे सिगरेट, सिगार, बीड़ी, मलाईदार तंबाकू के रंग की वस्तु (टूथ पेस्ट), क्रिटेक्स, पाईप्स, गुटका, तंबाकू चबाना, सुर्ती-खैनी (हाथ से मल के खाने वाला तंबाकू), तंबाकू के रंग की वस्तु, जल पाईप्स, स्नस आदि। कितने ही परिवारों की सुख-शांति ये तम्बाकू उत्पाद नष्ट कर रहे हैं । बूढ़े मां-बाप की दवा नहीं, बच्चों के लिए कपड़े-किताब नहीं, पत्नी के गले में मंगलसूत्र नहीं, चूल्हे पर दाल-रोटी नहीं, पर नशा चाहिए। अस्पतालों के वार्ड ऐसे रोगियों से भरे रहते हैं, जो अपनी जवानी नशे को भेंट कर चुके होते हैं। ये तो वे उदाहरणों के कुछ बिन्दु हैं, वरना करोड़ों लोग अपनी अमूल्य देह में बीमार फेफड़े और जिगर लिए एक जिन्दा लाश बने जी रहे हैं पौरुषहीन भीड़ का अंग बन कर। डब्ल्यूएचओ ने पनामा में एक सम्मेलन में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2030 में प्रति वर्ष धूम्रपान की वजह से मारे जाने लोगों की संख्या बढ़कर 80 लाख हो जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 देशों के 2.3 अरब लोगों को धूम्रपान पर किसी न किसी तरह लगाए गए प्रतिबंधों से लाभ हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 में तंबाकू की वजह से होने वाली अनुमानित मौतों में से लगभग 80 प्रतिशत मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में ही होंगी। मतलब साफ है कि आने वाले समय में इनमें से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होने जा रहा है।
सिगरेट या बीड़ी का धुआं किसी मजहब और प्रांत को नहीं पहचानता, किसी आरक्षण या राजनीतिक झुकावों को नहीं जानता। वह किसी अमीर और गरीब में भी भेद नहीं करता, उसका सबके लिए एक ही मेसेज है, और वह है मौत। किन्तु दुर्भाग्यवश इस गलत आदत को स्टेटस सिंबल मानकर अक्सर नवयुवक अपनाते हैं और दूसरों के सामने दिखाते हैं। धूम्रपान दरअसल एक लत है जिससे जब तक व्यक्ति दूर रहता है तब तक तो वह ठीक रहता है लेकिन एक बार यदि इसे प्रारम्भ कर दिया जाए तो इंसान को इस नशे में मजा आने लगता है। कुछ कहने-सुनने से पहले यह जान लें की धूम्रपान हर दृष्टि से हानिकारक है, जानलेवा है। धूम्रपान से रक्तचाप में वृद्धि होती है, रक्तवाहिनियों में रक्त का थक्का बन जाता है। ऐसे लोगों में मृत्यु दर 2 से 3 गुना अधिक पाई जाती है। धूम्रपान से टीबी होता है। कई ऐसे हॉलिवुड सिंगर्स हैं जिन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि अधिक धूम्रपान करने से उनकी आवाज खराब हुई। इससे प्रजनन शक्ति कम हो जाती है। यदि कोई गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो या तो शिशु की मृत्यु हो जाती है या फिर कोई विकृति उत्पन्न हो जाती है। लंदन के मेडिकल जर्नल द्वारा किये गये नए अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास रहने से भी गर्भ में पल रहे बच्चे में विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डॉ. जोनाथन विनिकॉफ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान माता-पिता दोनों को स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए।
बढ़ती तम्बाकू प्रचलन की समस्या विश्व की दूसरी समस्याओं में सबसे देरी से जुड़कर सबसे भयंकर रूप से मुखर हुई है। लगता है विश्व जनसंख्या का अच्छा खासा भाग नशीले पदार्थों के सेवन का आदी हो चुका है। अगर आंकड़ों को सम्मुख रखकर विश्व मानचित्र (ग्लोब) को देखें, तो हमें सारा ग्लोब नशे में झूमता दिखाई देगा। आतंकवाद की तरह नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए भी विश्व स्तर पर पूरी ताकत, पूरे साधन एवं पूरे मनोबल से एक समन्वित लड़ाई लड़नी होगी। वरना कुछ मनुष्यों की धमनियों में फैलता हुआ यह विष विश्व स्वास्थ्य को निगल जाएगा और लाखों-लाखों प्रयोगशालाओं में नई दवाओं का आविष्कार करते वैज्ञानिक समय से बहुत पिछड़ जाएंगे।
मनुष्य अपनी जीवन-विनाशक आदतों को तब बदलने को मजबूर होता है जब दुर्घटना, दुर्दिन या दुर्भाग्य का सामना होता है। तम्बाकू निषेध दिवस के संदेश को समझने व समय रहते जागने होने की जरूरत है। इसमें पाए जाने वाले रसायन मस्तिष्क में दृष्टि को संचालित करने वाले हिस्से को प्रभावित करते हैं जिससे आंखों की रोशनी कम हो जाती है। मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डाइबिटिक रेटीनोपैथी जैसी बीमारियों के लक्षण पाए जाते हैं। तंबाकू के सेवन से तपेदिक ग्रस्त तथा गठिया होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं, प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। इतना ही नहीं, जो लोग इसका सेवन नहीं करते हैं, वह भी तंबाकू के धुएँ से प्रभावित होते हैं, वयस्कों में कैंसर तथा हृदय रोग तथा बच्चों में श्वांस, कान तथा फेफड़ें भी ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते। इस तंबाकू निषेध दिवस पर सभी एक संकल्प लें कि वह कभी भी धूम्रपान व अन्य किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेंगे एवं अपने परिजनों व परिचितों को भी धूम्रपान व अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन न करने के लिए प्रेरित करेंगे। वह अपनी कार्य भूमि को तंबाकू मुक्त रखेंगे और अपने सहयोगियों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा करके ही हम अपने प्रयासों से एक जागरूकता उत्पन्न कर तंबाकू निषेध दिवस को सार्थक बनायेंगे।
प्रेषकः

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,677 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress