शहीद होने का मतलब क्या है?

शहीद पिता की पार्थिव देह के सामने फफक उठी बेटी ने अपने पापा को वही आवाज दी थी…जिस वीरता की कहानियां सुनाकर पापा ने लाडली को पाला था..। जाने कितनी रातों में कितनी बार गोद में बेटी को बताया था पापा ने, रण में गोरखा रेजीमेंट की हुंकार भी बतायी थी..सैनिकों जीत होगी या नहीं, होगी या नहीं…। तो ना का अब सवाल कहां। बेटी की हुंकार पर फौजियों ने भी अपने शहीद कर्नल को वायदा दे दिया..’होकर ही रहेगा, कश्मीर से आतंकवाद का सफाया होकर ही रहेगा।’ बेटी अलका ने पापा को सलामी दी और पूछा कि ‘होबे के होइबे ना’, फौजियों का जवाब आया, ‘होकर ही रहेगा’। इस गर्जना का संकेत साफ है, जिसे सेना से लेकर भारत की संसद ने बार बार दोहराया है कि ‘भारत कश्मीर के मुद्दे पर कभी पीछे नहीं हटेगा। गुलाम कश्मीर भी भारत में मिलेगा, पाकिस्तान नहीं माना तो धरती के नक्शे से मिटेगा।’

राजनीति के रण के अपने सवाल हैं और अपने वायदे। ये वक्त ही था रोने का और हौंसला देने का। शहीद की चिता सज चुकी थी इसलिए बुजुर्ग पिता की आंखों से झरते आंसुओं के साथ सैनिकों के फौलादी चेहरे भी सिसक उठे थे। तस्वीर ही कंपा देने वाली थी, रुला देने वाली थी…एक बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे की अर्थी के बोझ का जवाब कोई फौजी दे भी तो कैसे दे..।

शहीद कर्नल मुनींद्र नाथ राय के पिता नागेंद्र राय को फख्र है कि बेटे ने देश के लिए जिंदगी कुर्बान कर दी लेकिन पिता की उन यादों से आंसू बहने तो लाजिमी हैं जो बार बार जिदंगी भर दिल को रुलाते रहेंगे कि मेरा नन्हा-मुन्ना एमएन जो मेरी गोदी में खेला था..जो खेल खेल पर मेरी पीठ पर चढ़ता था..जब वो बड़ा हुआ तो उसे मैंने हिमालय पर चढ़ने भेजा था, तिलक लगाकर कश्मीर के रण में रवाना किया था, आज मेरे उसी मुन्ना को उसी का मुन्ना मुखाग्नि देगा तो दिल जार जार पूछेगा ही, भगवान कुछ दिन और ठहर जाते, ये दिन दिखाने के लिए ही क्यों जीवित रखा।

तीन भाईयों में सबसे छोटे थे कर्नल मुनींद्र राय। दोनों बड़े भाई आज हर आंसू को लुढ़कने से रोकते हैं, पिता को समझाते हैं, मां को चुप कराते हैं, लेकिन शहीद की विधवा को कौन दिलासा देगा..जिसके संग फूलों की सेज पर जिंदगी के सपने देखे, उसे आखिरी फूल ये हाथ चढ़ाएं भी तो कैसे…मांग का सिंदूर शहादत की आग में मिल गया है, एक रंग दोनों के…जो आग जिंदगी में है..पति धर्म का वही सुहाग शहीद की चिता की आग में आज धूं धूं कर हमेशा के लिए कहीं खो जाएगा.।

दोस्तों के दिलों में याद बनकर हमेशा के लिए सो गए शहीद मुनींद्र नाथ राय। लेकिन अब पापा की गोद में कब सोएगा ये मासूम…शहीद का ये बेटा, बहन से पूछ रहा होगा पापा क्या स%