ये कैसा स्वर्ग लोक जन्नत कश्मीर है?

—विनय कुमार विनायक
ये कैसा स्वर्ग लोक जन्नत कश्मीर है?
बहुत बहाया इसने मानव का रुधिर है!

आरंभ में कश्मीर था जनपद गांधार का,
गांधार, कम्बोज था जंबूद्वीप भारत का
सोलह महाजनपद में सम्मिलित हिस्सा!

कश्मीर पश्चिमोत्तर में शारदा मठ से लेकर
वनिहाल तक केशर की धरती का अंत छोर,
शारदा पीठ स्थित मधुमती नदी के तीर पर,
आज शारदा पीठ है पाक अधिकृत कश्मीर!

पंजाब के उत्तर पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला आती,
जो वनशाला या बाणशाला बनिहाल कहलाती,
कश्मीरघाटी की दक्षिण पश्चिम सीमा बनाती,
बनिहाल के पश्चिम नौबन्धन त्रिदेव संबंधित!

आज कश्मीर के पश्चिम में है पाकिस्तान,
उत्तर पश्चिम में गांधार ही अफगानिस्तान,
कश्मीर के उत्तर पूर्व में चीन का शिंजियांग,
पूरब में तिब्बत, कश्मीर के सीमा से सटा
तुर्कमेनिस्तान, चीन और अफगानिस्तान!

कश्मीर घाटी था एक बेसीन झील सरोवर का,
कश्यप ऋषि ने झील सुखा कश्यपमेरु बनाया,
अपनी संतति; आर्य नाग पिशाच यक्ष बसाया,
अनंतनाग वेरीनाग नीलनाग स्थान नागों का!

कश्मीर हिमाद्रि कुक्षि में स्थित होते हर मन्वन्तर,
जल प्रलय में सती नाव बनती ‘नौबंधनशिखर’ पर,
मनु बीज संजोते, सृष्टि बचाते श्रीविष्णु मीनावतार,
मां सती के नाम पर कश्मीर कहलाता है सतीसर!

सती का देह विसर्जित हुआ जिस सरोवर में,
उसी का सतीसर नाम पड़ गया कालांतर में,
आरंभ में जलमग्न था उमा शरीर उठा ऊपर
कश्मीरा बनकर,सती शरीर की संज्ञा कश्मीर!

हिमालय की देवभूमि स्वर्ग ये कश्मीर,
पंच खण्ड हिमालय के नेपाल,कूर्मांचल;
कुमाऊं,केदार; गढ़वाल, जालंधर; रुचिर
शिमला-कांगड़ा व कश्मीर सबसे सुंदर!

कश्मीर की अधिष्ठात्री देवी शारदा के
ललाट पर ज्यों केसर, वैसे ये कश्मीर
भारत के माथे पर कुमकुम कहे शंकर,
जम्मू कश्मीर लद्दाख इसी भूमि पर!

नीलमत पुराण का कहना है सतीसर में था,
एक जलोद्भव दैत्य; नागों द्वारा पाला गया,
जिसने अत्याचारी होकर के नाग,मानव और
पिशाचों को सतीसर से विस्थापित कर दिया,
तो नीलनाग ने पिता कश्यप से गुहार किया!

त्रिदेव के सहयोग से अनंतनाग बलराम ने
हलायुध से वराहमूल; बारामूला पहाड़ी चीर,
जलोद्भव को मार दिया सतीसर सुखा कर,
कश्यप ने ऐसे विस्थापित लोगों को बसाया,
श्रीनगर के पास ‘हारीपर्वत’ में निवास कर!

महाभारत, पुराणों व शास्त्रों में कही गई है कि
मानव की उत्पत्ति हिमालय स्थित क्षेत्रों में हुई,
आर्य घोटक सैंधव कश्मीर कंबोज की उपलब्धि!

कश्मीर कश्यपगोत्री मनुवंशी आर्यों की मूलभूमि,
कश्यप से दक्ष की तेरह कन्याएं ब्याही गई थी,
अदिति से आदित्य, दिति से दैत्य,दनु से दानव,
अरिष्ठा से गंधर्व,कद्रू से नाग, क्रोधा से पिशाच,
खशा से यक्ष-राक्षस आदि जाति कश्यप संतति!

काष्ठा से अश्व, सुरभि से गौ,इरा से वनस्पति,
ताम्रा से पक्षी,सरमा से सरीसृप,तिमि से जलज!
मेरु से ऐरावती,देविका,वेरीनाग से वितस्ता नदी!

कश्मीर में नागों और पिशाचों में प्रतिस्पर्धा थी,
नाग पहाड़ी जनजाति, पिशाच भी अनार्य जाति,
तीसरी जाति मनुवंशी मानव जो आर्य कहलाती!

यक्षराज कुबेर ने दैत्य पक्षधर पिशाचों के ऊपर
स्थापित किए निकुंभ को पिशाचों के धर्मशासक,
नीलनाग कश्यप के सुपुत्र बने कश्मीर अधिपति!

कश्यप ने कश्यपमेरु यानि कश्मीर में पिशाचों को
छह माह तक रहने कहे और नागों को छ: महिने
मानवों व छः माह पिशाचों के साथ रहने को कहे!

आज लद्दाख में बौद्ध नाग, जम्मू में आर्य हिन्दू,
कश्मीर में पहाड़ी पिशाच विधर्मी मजहबी हो गए!

कश्यप के आदेश से मानव अन्न व धान्य संग्रहकर,
छः माह बाद चैत्र पूर्णिमा में घाटी से आते थे बाहर!

नीलमत पुराण की कथा है कि एक बार पिशाचों से
कश्यपगोत्री ब्राह्मण बहुत पीड़ा पाए घाटी में फंसकर!

अंततः पिशाचराज निकुंभ, नागराज नीलनाग के बीच
निर्णय से नाग मानव पिशाच रहने लगे साथ वर्षभर!

आज घाटी में फिर हिन्दू सिख बौद्ध की वही स्थिति,
गोत्रपिता कश्यप ऋषि की सम्मिलित संतति मूढ़मति,
एक दूसरे को मरने-मारने पर तुले कहां गई सद्बुद्धि?

अपने देश धर्म संस्कृति को पहचानो कोई नहीं विदेशी,
मजहब बदल गया तो क्या सब संतान कश्यपऋषि की!
—-विनय कुमार विनायक

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