हर नदी के पास वाला घर तुम्हारा
आसमां में जो भी तारा, हर तुम्हारा
बाढ़ आई तो हमारे घर बहे बस
बन गई बिजली तो जगमग घर तुम्हारा
तुम अभी भी आँकड़ों को गढ़ रहे हो
देश भूखा सो गया है पर तुम्हारा
कोई भी तुमको मदारी क्यों कहेगा
छोड़कर जाएगा जब बन्दर तुम्हारा
ये ज़मीं इक दिन उसी के नाम पर थी
वो जिसे कहते हो तुम नौकर तुम्हारा
दूर उस फुटपाथ पर जो सो रहा है
उसके कदमों में झुकेगा सर तुम्हारा