
राजभाषा हिंदी – अनुवाद एवं तकनीकी समावेश की सार्थकता
Updated: December 22, 2011
दिलीप कुमार पांडेय, संयुक्त सचिव, राजभाषा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार स्वातंत्र्योत्तर भारत में स्वाधीनता और स्वावलम्बन के साथ-साथ स्वभाषा को भी आवश्यक माना गया। स्वतंत्रता…
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हिन्दी दिवस पर विशेष- इंटरनेट के भाषाखेल का सामाजिक प्रभाव
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी कम्प्यूटर युग में भाषायी असंतुष्ट हाशिए पर हैं। अब हम भाषा बोलते नहीं हैं बल्कि भाषा में खेलते हैं। ‘बोलने’ से ‘खेलने’ की…
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हिन्दी दिवस पर विशेष- साइबर युग में हिन्दी का नया भाषायी ठाट और ठसक
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी साइबर युग में हिंदी दिवस का वही महत्व नहीं है जो आज से बीस साल पहले था। संचार क्रांति ने पहलीबार भाषा विशेष…
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राष्ट्रभाषाओं को बचाएं, भारतीय संस्कृति बचाएं
Updated: December 22, 2011
-विश्व मोहन तिवारी १४ सितंबर राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह सरकार को याद दिलाने के लिये नहीं वरन सरकारी कर्मचारियों को…
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हिन्दी की शताब्दियां
Updated: December 22, 2011
-आशुतोष फोन की घंटी बजी। दूसरी ओर हिन्दी के एक बड़े साहित्यकार थे। पहले वाक्य में उन्होंने मेरे हाल ही में लिखे गये एक लेख…
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दिल्ली विवि छात्रसंघ ने राहुल गांधी के लांचिंग अभियान की निकाल दी हवा
Updated: December 22, 2011
-डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री राहुल गांधी को लोंच करने के लिए पिछले कुछ अर्से से एक अभियान चलाया जा रहा है । आजकल सारा मेनेजमैट…
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जब सरकार करे अपना काम, कोर्ट की फिर क्या दरकार
Updated: December 22, 2011
-अमलेन्दु उपाध्याय हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के अनाज बांटने के फैसले पर बहुत ही विनम्र शब्दों में असहमति जताई है…
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अयोध्या पर टिकीं सबकी नजरें
Updated: December 22, 2011
-डा. सुभाष राय इतिहास केवल बीता हुआ भर नहीं होता, उसकी समग्रता का प्रतिफलन वर्तमान के रूप में उपस्थित होता है। वर्तमान की भी पूरी…
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ब्रह्मवादिनी अरूंधती राय का माओवादी ब्रह्म
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों फंड़ामेंटलिस्टों के बयानों की मीडिया में बयार बह रही है। हर दल के पास एक या एकाधिक फंडामेंटलिस्ट हैं। वे विचारों…
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बहुलतावाद के शत्रु हैं माओवादी
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में एक तबका है जो माओवादियों के नृशंस कर्मों पर इन दिनों फिदा है और आए दिन मीडिया और इंटरनेट में माओवादियों…
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साहित्य / विवाद:चिप्स के चार पैकेट या सौ रुपये में दस किताबें हंगामा क्यों है बरपा?
Updated: December 22, 2011
– चण्डीदत्त शुक्ल एक सवाल का जवाब देंगे आप? चिप्स के दो बड़े पैकेट ख़रीदने के लिए कितने पैसे ख़र्च करने पड़ते हैं? चालीस रुपये…
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सड़ते अनाज की आग में जलती जनता
Updated: December 22, 2011
-सतीश सिंह लगता है कि विवाद और शरद पवार के बीच चोली-दामन का रिश्ता कायम हो गया है। दरअसल इधर कुछ सालों से कृषि एवं…
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