साहित्‍य राजभाषा हिंदी – अनुवाद एवं तकनीकी समावेश की सार्थकता

राजभाषा हिंदी – अनुवाद एवं तकनीकी समावेश की सार्थकता

दिलीप कुमार पांडेय, संयुक्त सचिव, राजभाषा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार स्वातंत्र्योत्तर भारत में स्वाधीनता और स्वावलम्बन के साथ-साथ स्वभाषा को भी आवश्यक माना गया। स्वतंत्रता…

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साहित्‍य हिन्दी दिवस पर विशेष- इंटरनेट के भाषाखेल का सामाजिक प्रभाव

हिन्दी दिवस पर विशेष- इंटरनेट के भाषाखेल का सामाजिक प्रभाव

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी कम्प्यूटर युग में भाषायी असंतुष्ट हाशिए पर हैं। अब हम भाषा बोलते नहीं हैं बल्कि भाषा में खेलते हैं। ‘बोलने’ से ‘खेलने’ की…

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साहित्‍य हिन्दी दिवस पर विशेष- साइबर युग में हिन्दी का नया भाषायी ठाट और ठसक

हिन्दी दिवस पर विशेष- साइबर युग में हिन्दी का नया भाषायी ठाट और ठसक

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी साइबर युग में हिंदी दि‍वस का वही महत्‍व नहीं है जो आज से बीस साल पहले था। संचार क्रांति‍ ने पहलीबार भाषा वि‍शेष…

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साहित्‍य राष्ट्रभाषाओं को बचाएं, भारतीय संस्कृति बचाएं

राष्ट्रभाषाओं को बचाएं, भारतीय संस्कृति बचाएं

-विश्व मोहन तिवारी १४ सितंबर राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह सरकार को याद दिलाने के लिये नहीं वरन सरकारी कर्मचारियों को…

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साहित्‍य हिन्दी की शताब्दियां

हिन्दी की शताब्दियां

-आशुतोष फोन की घंटी बजी। दूसरी ओर हिन्दी के एक बड़े साहित्यकार थे। पहले वाक्य में उन्होंने मेरे हाल ही में लिखे गये एक लेख…

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राजनीति दिल्ली विवि छात्रसंघ ने राहुल गांधी के लांचिंग अभियान की निकाल दी हवा

दिल्ली विवि छात्रसंघ ने राहुल गांधी के लांचिंग अभियान की निकाल दी हवा

-डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री राहुल गांधी को लोंच करने के लिए पिछले कुछ अर्से से एक अभियान चलाया जा रहा है । आजकल सारा मेनेजमैट…

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राजनीति जब सरकार करे अपना काम, कोर्ट की फिर क्या दरकार

जब सरकार करे अपना काम, कोर्ट की फिर क्या दरकार

-अमलेन्दु उपाध्‍याय हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के अनाज बांटने के फैसले पर बहुत ही विनम्र शब्दों में असहमति जताई है…

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विविधा अयोध्या पर टिकीं सबकी नजरें

अयोध्या पर टिकीं सबकी नजरें

-डा. सुभाष राय इतिहास केवल बीता हुआ भर नहीं होता, उसकी समग्रता का प्रतिफलन वर्तमान के रूप में उपस्थित होता है। वर्तमान की भी पूरी…

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राजनीति ब्रह्मवादिनी अरूंधती राय का माओवादी ब्रह्म

ब्रह्मवादिनी अरूंधती राय का माओवादी ब्रह्म

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी इन दिनों फंड़ामेंटलिस्टों के बयानों की मीडिया में बयार बह रही है। हर दल के पास एक या एकाधिक फंडामेंटलिस्ट हैं। वे विचारों…

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राजनीति बहुलतावाद के शत्रु हैं माओवादी

बहुलतावाद के शत्रु हैं माओवादी

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी भारत में एक तबका है जो माओवादियों के नृशंस कर्मों पर इन दिनों फिदा है और आए दिन मीडिया और इंटरनेट में माओवादियों…

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साहित्‍य साहित्य / विवाद:चिप्स के चार पैकेट या सौ रुपये में दस किताबें हंगामा क्यों है बरपा?

साहित्य / विवाद:चिप्स के चार पैकेट या सौ रुपये में दस किताबें हंगामा क्यों है बरपा?

– चण्डीदत्त शुक्ल एक सवाल का जवाब देंगे आप? चिप्स के दो बड़े पैकेट ख़रीदने के लिए कितने पैसे ख़र्च करने पड़ते हैं? चालीस रुपये…

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विविधा सड़ते अनाज की आग में जलती जनता

सड़ते अनाज की आग में जलती जनता

-सतीश सिंह लगता है कि विवाद और शरद पवार के बीच चोली-दामन का रिश्ता कायम हो गया है। दरअसल इधर कुछ सालों से कृषि एवं…

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