मासमीडिया में अपने-अपने राम
Updated: December 24, 2011
आधुनिक-काल के पहले रामचरित मानस लोकधुन,लोक-मन और लोक-पाठ का हिस्सा था।आधुनिक काल में मुद्रण की तकनीक ने उसे किताब बनाया,रामचरित मानस के किताब बनते ही…
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कहां गए मानवाधिकार के नुमाइंदे
Updated: December 24, 2011
देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला पूरी तरह से शांत हो चुका है, जहां हमला हुआ था वो ‘चिंतलनार ‘ भी शांत हो गया है।…
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अब चुप क्यों हैं मानवाधिकार कार्यकर्ता?
Updated: December 24, 2011
छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में हुए बर्बर माओवादी हमले की निंदा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छोड़ कर सारा देश कर चुका है। आज जब इस बर्बर…
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लड़े बिना युद्ध जीतने की वाह-वाह लूटना चाहती है यूपीए
Updated: December 24, 2011
आतंकवादी माओवादी नक्सलिये देश के शत्रु ”भारत युद्धग्रस्त है”। ”भारत पर सब से बड़ा हमला”। यह हैं कल के कुछ समाचारपत्रों की सुर्खियां, जिनमें उन्होंने छत्तीसगढ़ में…
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नक्सलवाद को कुचलना ही होगा – आशुतोष
Updated: December 24, 2011
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवादियों ने चिंतलनार और टारमेटला गांव के बीच घने जंगलों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 76 जवानों की हत्या…
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यह कैसी विचारधारा है जो खून मांगती है…?
Updated: December 24, 2011
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों की हिंसा के कारण ७८ से ज़्यादा लोगों की जानें चली गयी. बेशक नक्सली अपनी सफलता का जश्न मना रहे…
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शिक्षा का अधिकार : ख़ामियां को दूर करने की
Updated: December 24, 2011
देश में एक अप्रैल से देश के 6-14 उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का क़ानून लागू हो गया है. केंद्र सरकार ने पिछले साल…
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अब पुरुष विमर्श पर हो विचार – सुजाता मिश्र
Updated: December 24, 2011
पिछले काफी समय से भारत में नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में महिला जाग्रति को लेकर क्रान्तिकारी कदम उठाये गये हैं जिनके कई मामलो में बहुत अच्छे…
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इंटरनेट तटस्थता के करारा झटका
Updated: December 24, 2011
इंटरनेट की स्वतंत्रता को अब तक सर्वसत्तावादी समाजों में ही राजनीतिक दबाब झेलने पड़ रहे थे लेकिन कल अमेरिका में वाशिंगटन डीसी की निचली अदालत…
Read moreलोकतांत्रिक आलोचना का परिवेश
Updated: December 24, 2011
आंतरिक गुलामी से मुक्ति के प्रयासों के तौर पर तीन चीजें करने की जरूरत है, प्रथम, व्यवस्था से अन्तर्ग्रथित तानेबाने को प्रतीकात्मक पुनर्रूत्पादन जगत से…
Read moreव्यंग्य/ क्या बोलूं क्या बकवास करूं
Updated: December 24, 2011
जबसे दुनियादारी को समझने लायक हुआ था थोड़ा-थोड़ा करके मरता तो रोज ही था पर माघ शुक्ल द्वितीय को, चार सवा चार के आसपास सरकारी…
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परिचर्चा: ‘नक्सलवाद’ के बारे में आपका क्या कहना है…
Updated: April 9, 2014
एक तरफ दिल्ली में 7 फरवरी, 2010 को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कहते हैं, ‘नक्सलवाद आंतरिक सुरक्षा के…
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