विकासमूलक संचार की तलाश में
Updated: December 24, 2011
विकासमूलक सम्प्रेषण का लक्ष्य है शोषण से मुक्ति दिलाना। व्यक्तिगत और सामुदायिक सशक्तिकरण। इस अर्थ में विकासमूलक सम्प्रेषण सिर्फ संदेश देने का काम नहीं करता…
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जनता के पैसे का तबियत से दुरूपयोग करते हैं जनसेवक
Updated: December 24, 2011
आजाद भारत में जनता को दो महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया है, एक है वोट देने का, और दूसरा है कर देने का। वोट देकर वह…
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कहां गई गौरैया की चहचहाहट
Updated: December 24, 2011
याद है, जब छोटे थे, तब स्कूल जाने के लिए अलह सुबह उठाया जाता था, यह कहकर देखो चिडिया आई, देखो कौआ आया, वो देखो…
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गौ आधारित ग्रामीण विकास – हेमंत दुबे
Updated: December 24, 2011
कृषि में रसायनों का अनियंत्रित उपयोग मानव जगत के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य हेतु हानिकारक है। अनुसंधानों के तथ्य यह बताते हैं कि रासायनिक उर्वरकों…
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शांति का आधार: शिक्षा – डॉ रामजी सिंह
Updated: December 24, 2011
शांति जीवन की आधारभूत अशंका है, लेकिन विडंबना है, वह आदिकाल से इसके लिए अशांति के आयोजन में लगा रहा है। यही कारण है अशांति…
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सफ़ेद दूध का काला कारोबार
Updated: December 24, 2011
उपभोक्तावादी संस्कृति के चलते धन की चाहत ने लोगों को संवेदनहीन बना दिया है। वे पैसा कमाने के लिए खाद्य पदार्थों में भी मिलावट करने…
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बातचीत नहीं करना क्रूरता एवं तलाक का आधार!
Updated: December 24, 2011
हिन्दू विवाह अधिनियम में क्रूरता को तलाक का आधार माना गया है, लेकिन क्रूरता की परिभाषा को लेकर शुरू से ही निचली अदालतों में मतैक्य…
Read moreछोटे प्रांत समस्या ही समस्या – मृत्युंजय दीक्षित
Updated: December 24, 2011
केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रोसैया के बीच दो दौर की वार्ता और कांग्रेसाध्यक्षा सोनिया गांधी…
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सपा से अमर अलगाव – संतोष कुमार मधुप
Updated: December 24, 2011
पिछडों, दलितों, अल्पसंख्यकों की पार्टी को ग्लैमराइज कर पूँजीपतियों के संपर्क में लाने वाले अमर सिंह की सपा से विदाई भले ही हो चुकी हो…
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‘भक्ति’ की शक्ति से टूटा था सत्ता का अहं : डॉ कृष्णगोपाल
Updated: December 24, 2011
कोई भी व्यवस्था अपने उद्गम स्थल पर कितनी ही अच्छी क्यों न हो, आगे चलकर विकृत होती है, टूटती है और बिखरती है। तब समाज…
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मीडिया वर्चस्व का विभ्रम और यथार्थ
Updated: December 24, 2011
यह मीडिया वर्चस्व का युग है। सामाजिक,राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक वर्चस्व का यह मूलाधार है। मीडिया हमारे जीवन की धड़कन है। मीडिया के बिना कोई…
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देह प्रदर्शन का पर्याय बनते विज्ञापन
Updated: December 24, 2011
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी / आंचल में है दूध् और आंखों में पानी। हिन्दी कविता की ये पंक्तियां पारंपरिक भारतीय समाज में महिलाओं…
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