आर्थिकी माओवादी नहीं आदिवासी January 9, 2012 / January 9, 2012 | 4 Comments on माओवादी नहीं आदिवासी अविनाश कुमार चंचल यदि आप विदेशी हैं और केवल दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों तक घूमे हैं तो मुमकिन है आप इस देश को विकसित राष्ट्र के श्रेणी में आराम से रख सकते हैं।जैसा कि पिछले दिनों ओबामा ने भी माना। कभी सांप और जंगलों के लिए मशहूर भारत में आज जंगल शब्द के मायने ही बदल […] Read more » adiwasi basic problems of adiwasis Maoist आदिवासी माओवादी
कविता हे राष्ट्र पिता ! January 8, 2012 / January 8, 2012 | 1 Comment on हे राष्ट्र पिता ! राजकुमार ”हिन्दुस्तानी“ हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे , फैली है लाचारी क्यों ? निर्धन को हैं ठग रहे सभी ,समता की सूखी क्यारी क्यों ? निर्धन न आज तलक समझे, कि हमने पायी आजादी । चिंता हर वक्त इन्हें रहती, बस रोटी मिल जाये आधी ।। सरकारें करके घोटाले , है […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ पाबंदी के साये में ज़िंदगी जीना बंदगी है या फिर गंदगी है। January 7, 2012 | 3 Comments on पाबंदी के साये में ज़िंदगी जीना बंदगी है या फिर गंदगी है। संदीप कुमार सिंह भारत पाकिस्तान का अद्वितीय संगम इलाहाबाद, संगम की सरज़मीन जहां दरिया का संगम हेाता है, जहां हिन्दी और उर्दू जुब़ान एक साथ खेलती है। उसी सरज़मीन पर बीते दिनों संगम हुआ हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के अवाम का। पाकिस्तानी अवाम जैसे ही इलाहाबाद में दाखिल हुए उनका वो ज़ोरदार स्वागत हुआ, जिसने पाकिस्तानियों […] Read more »
जन-जागरण नई दिल्लीःसौ बरस का सफर(100 years of Delhi) January 6, 2012 / January 6, 2012 | Leave a Comment नलिन चौहान किसी भी भारतीय को यह जानकर हैरानी होगी कि आज की नई दिल्ली किसी परंपरा के अनुसार अथवा स्वतंत्र भारत के राजनीतिक नेताओं की वजह से नहीं, बल्कि एक सौ साल (1911) पहले आयोजित तीसरे दिल्ली दरबार में ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज पंचम की घोषणा के कारण देश की राजधानी बनी. इस […] Read more » 100 years of Delhi Delhi completes its 100 years नई दिल्ली के सौ बरसों का सफर नई दिल्लीःसौ बरस का सफर
लेख वर्तमान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता January 4, 2012 / January 4, 2012 | 1 Comment on वर्तमान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता राजेन्द्र चड्ढा गर्व से कहो हिंदू हैं-इस मंत्र के दृष्टा थे, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के “सप्तर्षि मण्डल के महर्षि” स्वामी विवेकानन्द, जो हमेशा कहा करते थे जब मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे तो सोच लो की उनका अन्त आ गया है। मैं हिन्दू हूँ, मुझे अपनी जाति पर गर्व है, अपने […] Read more » swami vivekanand and todays world thoughts of swami vivekanand वर्तमान में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता
लेख स्वामी रामदेव जी ठग या फ़कीर December 30, 2011 / December 29, 2011 | 10 Comments on स्वामी रामदेव जी ठग या फ़कीर निज आर्या पिछले दिनों खबर आयी कि मुकेश भाई अम्बानी अपने 5000 करोड़ के घर में शिफ्ट नहीं हो रहे ……कुछ वास्तु दोष रह गया है शायद…..कमबख्त 5000 करोड़ रुपया खर्च के भी दोष रह गया ??? 27 मंजिला घर बनवाया है 6 लोगों के रहने के लिए .168 कारें खड़ी हो सकती हैं …….8 […] Read more » Baba Ramdev
लेख शख्सियत वीर भगतसिंह का समाजवाद व राष्ट्र-प्रेम December 29, 2011 / December 29, 2011 | Leave a Comment राजेश आर्य ’रत्नेश’ प्रिय पाठकवृन्द ! वर्तमान में वैज्ञानिक सुख-सुविधाओं का उपभोग करता हुआ मानव उनके आविष्कारक वैज्ञानिकों का गुणगान करता हुआ यह भूल जाता है कि उनमें से बहुत से वैज्ञानिक नास्तिक थे अर्थात् संसार को प्रकाश व सुविधा देने के कारण ही उसका सम्मान किया जाता है, नास्तिक होने के कारण नहीं। अपने […] Read more » Bhagat Singh freedom fighter राष्ट्र-प्रेम वीर भगतसिंह
प्रवक्ता न्यूज़ दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव 10 – 12 जनवरी 2012 December 27, 2011 / December 27, 2011 | Leave a Comment आदरणीय महोदय/ महोदया सादर नमस्कार, पिछले 10 वर्षों से अक्षरम , प्रवासी मीडिया समूह के सहयोग से हिंदी का सबसे बड़ा वार्षिक वैश्विक आयोजन अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव के रूप में करती रही है। इसमें हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान , साहित्यकार, बुद्धिजीवी, प्रवासी साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी आदि भाग लेते हैं। इस कार्यक्रम को प्रत्येक वर्ष भारतीय […] Read more » दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव 10 – 12 जनवरी 2012
प्रवक्ता न्यूज़ राघव रेड्डी बने विहिप के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष December 19, 2011 / December 19, 2011 | Leave a Comment नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कोषाध्यक्ष श्री राघव रेड्डी को विहिप का नया अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। वे श्री अशोकजी सिंहल का स्थान लेंगे। यह बदलाव कोच्चि में चल रही विहिप के प्रन्यास मंडल की बैठक में लिया गया। अब श्री अशोक सिंहल एवं परिषद के कार्याध्यक्ष श्री एस. वेदान्तम विहिप के […] Read more » champat rai rahgav reddy चंपत राय राघव रेड्डी विश्व हिंदू परिषद विहिप
महिला-जगत लेख ‘उर्वशी’ होना नारी का अपमान है: डा. धर्मवीर December 4, 2011 / December 4, 2011 | 4 Comments on ‘उर्वशी’ होना नारी का अपमान है: डा. धर्मवीर कैलाश दहिया रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘उर्वशी’ में नारी चेतना और नारीवाद का नामोनिशान नहीं है। उर्वशी वेश्या थी और वेश्या होना नारी के लिए अपमान है। दिनकर ने अपनी द्विज परम्परा में ‘उर्वशी’ नामक प्रबंध काव्य लिखा है। इसमें जहाँ कविता थी-अच्छी लगी, जहाँ पुराण था, वहाँ यह खराब ही होनी थी। दिल्ली विश्वविद्यालय […] Read more » ‘उर्वशी’ Urvashi नारी का अपमान
लेख अपने देश में पराया होने का दर्द December 2, 2011 / December 6, 2011 | 2 Comments on अपने देश में पराया होने का दर्द विजय क्रांति पीओके के शरणार्थी आज भी पहचान के मोहताज आज़ाद हिंदुस्तान की हवा में सांस लेने के आदी हो चुके लोगों को इस बात पर शायद विश्वास नहीं होगा कि इस देश में बीस लाख से ज्यादा लोगों का एक ऐसा शरणार्थी समाज भी है जो 1947 में भारत विभाजन के 64 साल बाद […] Read more » POK अपने देश में पराया होने का दर्द पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पीओके के शरणार्थी रिसेटलमेंट एक्ट-1982 शरणार्थी
प्रवक्ता न्यूज़ लोक कला महोत्सव November 24, 2011 / November 28, 2011 | Leave a Comment प्रमोद कुमार बर्णवाल लोक विधाओं के महत्व का अभिज्ञान इसलिए आवश्यक है क्योंकि लोक-साहित्य लोकजीवन का अभिलेखागार है। किन्तु यह विडम्बना ही कही जायगी कि लोक कलाओं और कलाकारों को कभी वैसी प्रतिष्ठा नहीं मिली जैसी शास्त्रीय कलाओं और कलाकारों को मिली। बाजारीकरण ने तो इसके अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया। आज की […] Read more » Creative Festival लोक कला महोत्सव