व्यंग्य खास की तो बात क्या, आम ही बौरा गये! March 30, 2015 / April 4, 2015 | Leave a Comment संवत 71 के पूर्वार्द्ध के माधव मास में देश के ‘आम’ ने बौरेपन से उबर कर परिपक्वता का परिचय देते हुए खास को घूल चटाकर फलराज होने का परिचय दिया, और नमो-नमो का जाप करते हुए आम समर्पण भक्ति का परिचायक बना। अभी पूरा वर्ष भी नहीं बीता था 71 के हेमन्त में पतझड़ ने […] Read more » -देवेश शास्त्री Featured खास की तो बात क्या आम ही बौरा गये
राजनीति हम हार नहीं मानेंगे! हम लड़ना नहीं छोड़ेंगे! March 30, 2015 / April 4, 2015 | Leave a Comment 25 मार्च को दिल्ली में मज़दूरों पर जो लाठी चार्ज हुआ वह दिल्ली में पिछले दो दशक में विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस के हमले की शायद सबसे बर्बर घटनाओं में से एक था। ध्यान देने की बात यह है कि इस लाठी चार्ज का आदेश सीधे अरविंद केजरीवाल की ओर से आया था, जैसा कि […] Read more » Featured अभिनव सिन्हा अरविंद केजरीवाल ठेका प्रथा खत्म करना; दिल्ली में मज़दूरों पर जो लाठी चार्ज मीडिया चैनलों और अखबारों ने मजदूरों महिलाओं छात्रों पर हुए बर्बर दमन लाठी चार्ज
मीडिया पत्रकारिता के विविध आयामों पर लखनऊ में व्यापक विमर्श October 9, 2014 / October 9, 2014 | Leave a Comment लखनऊ. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के नोएडा परिसर के निदेशक और इण्डिया टुडे के पूर्व सम्पादक श्री जगदीश उपासने का कहना है कि मीडिया आज अपने व्यावसायिक धर्म और उसके संकट के बीच समन्वय और सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. एक ओर जहां उसने अपने लिये खुद ही लक्षमण रेखा […] Read more »
मीडिया आकांक्षा और टेकचंद को मिला राजेंद्र यादव कथा सम्मान September 5, 2014 | Leave a Comment नई दिल्ली। पिछले दिनों युवा कथाकार आकांक्षा पारे काशिव और टेकचंद को राजेन्द्र यादव कथा सम्मान दिया गया। यह पुरस्कार हंस में प्रकाशित कहानियों में से ही किसी एक कहानी को चुन कर दिया जाता है। इस साल संयुक्त रूप से आकांक्षा की कहानी ‘शिफ्ट कंट्रोल अल्ट डिलीट’ और टेकचंद की कहानी ‘मोर का पंख’ […] Read more » आकांक्षा पारे काशिव टेकचंद राजेंद्र यादव कथा सम्मान
कविता सुबह या शाम ? September 5, 2014 | Leave a Comment -मनु कंचन- अभी आँख खुली है मेरी, कुछ रंग दिखा आसमान पे, लाली है तो चारों ओर, पर पता नहीं दिन है किस मुकाम पे, दिशाओं से मैं वाक़िफ़ नहीं, ऐतबार करूँ तो कैसे मौसमों की पहचान पे, चहक तो रहे हैं पंछी, पर उनके लफ़्ज़ों का मतलब नहीं सिखाया, किसी ने पढ़ाई के नाम […] Read more » कविता सुबह या शाम ? हिन्दी कविता
कविता कक्षा अध्यापक September 5, 2014 / September 5, 2014 | 1 Comment on कक्षा अध्यापक भारतेंदु मिश्र- -शिक्षक दिवस की पूर्व सन्ध्या पर शिक्षक बन्धुओं के लिए एक गीत- मेरी कक्षा में पढ़ते हैं बच्चे पूरे साठ मेरे लिए सभी बच्चे हैं नई तरह के पाठ। कुछ पाठों में भावसाम्य है कुछ पाठों में कठिनाई है एक पाठ बिल्कुल सीधा है एक पाठ बिल्कुल उलझा है इनमें कुछ सीधे […] Read more » कक्षा अध्यापक शिक्षक दिवस
जन-जागरण धर्म की रक्षा और धार्मिक आस्थाओं में कुठाराघात August 30, 2014 | 2 Comments on धर्म की रक्षा और धार्मिक आस्थाओं में कुठाराघात मनोज मर्दन ‘त्रिवेदी’ परम पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वारूपानंद जी महाराज का आज ९१र्वा जन्म दिवस है । धर्म की रक्षा और धार्मिक आस्थाओं में कुठाराघात या विकृती पर समाज को जगाना धर्मादेश देने के वे अधिकारी है । हिन्दु धर्म में शंकराचार्य के आदेश को ईश्वरीय आदेश मानने की परंपरा रही है । वर्तमान समय […] Read more » धर्म की रक्षा और धार्मिक आस्थाओं में कुठाराघात
जन-जागरण बिहार को बैराज से बचाओ August 29, 2014 | Leave a Comment -अरुण तिवारी- महाराष्ट्र और गुजरात ऐसे राज्य हैं, जहां किसी भी तीसरे राज्य की तुलना में सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा बांध बने। इन दोनो राज्यों ने आजादी से अब तक भारत के कुल सिंचाई बजट का सबसे ज्यादा हिस्सा पाया; बावजूद इसके इनके बांधों में फरवरी आते-आते पानी नहीं रहता। मार्च आते-आते महाराष्ट्र के […] Read more » उत्तर प्रदेश बिहार बिहार को बैराज से बचाओ बैराज महाराष्ट्र
परिचर्चा आज़ादी ? August 28, 2014 | 1 Comment on आज़ादी ? -प्रियंका सिंह- बीते माह हम सभी ने अपना 68वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है और हर बार की तरह इस बार भी देश-भक्ति के गीत गाते-गुनगुनाते रहे, लड्डू बांटते रहे, सरकारी कार्यालयों में गोष्ठियां करते रहे, यहां वहां पंडाल लगा कर देश-ओ-जूनून के नारे लगाते रहे, कसमें खाते रहे, रेलियाँ निकाली गयी, नाटक-नाटिकाएं रखी गयीं और […] Read more » आज़ादी आजादी अर्थ आजादी का मतलब
कविता इतना तो आसान नहीं August 27, 2014 | 1 Comment on इतना तो आसान नहीं -दीपक शर्मा ‘आज़ाद’- पंछियों के जैसे पर फैलाना, इतना तो आसान नहीं; खुले आसमान में मंजिल पा जाना, इतना तो आसान नहीं ; ( 1 ) मुझे सबने अपनी उम्मीद का एक जरिया माना है , सबकी निगाहों से छिप जाना, इतना तो आसान नहीं ; ( 2 ) सच पाने की जिद में आशियाँ […] Read more » इतना तो आसान नहीं हिन्दी कविता
टॉप स्टोरी मोदीराज के तीन माह August 27, 2014 | 1 Comment on मोदीराज के तीन माह -जगदीश- लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनके टीम को जानदार सफलता मिली, इसमें कोई दो राय नहीं होना चाहिए। ऐसे में एनडीए सरकार ने मंगलवार को तीन माह पूरा कर लिया है। बीते तीन महीने में मोदी सरकार के द्वारा तमाम घोषणाएं की गई। घोषणाओं को कैसे हकीकत में बदला जाय, यह मोदी […] Read more » एनडीए सरकार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री मोदीराज के तीन माह
महत्वपूर्ण लेख मीडिया चुप क्यों ? August 27, 2014 | 1 Comment on मीडिया चुप क्यों ? -मूलचंद सूथर- एक वर्ष पहले तक शंकराचार्य व संत समुदाय हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म का राग अलापते थे। अटल बिहारी जी को प्रधानमंत्री बनाने की शक्ति भी हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म का राग अलापते, दिलाई थी।यह तो धन्यवाद दो अधिष्ठाता, प्रकृति शक्ति पीठ के भगवान प्रजापति को जिन्होंने खेजड़ा एक्सप्रेस से धुंआधार सत्य का धर्म युद्ध शुरू किया -सनातन धर्म -संस्कृति […] Read more » इंडिया भारत मीडिया चुप क्यों