कहानी लघु कथा-स्टाफ July 13, 2013 / July 13, 2013 | 2 Comments on लघु कथा-स्टाफ जग मोहन ठाकन अम्बेडकर चौक । राजस्व विभाग का नाका। हर समय दो प्रहरी तैनात । पद के अनुरूप भारी तोंद वाला हवलदार कुर्सी पर विराजमान । छरहरे बदन वाले सिपाही द्वारा हर आने जाने वाले वाहन को चैकिंग के बहाने रोक कर रिजर्व बैंक द्वारा छापी गर्इ मुद्रा की वसूली कर आगे बढ़ने का […] Read more »
कविता विचार तेरे शहर के July 7, 2013 | Leave a Comment जब भी गये बंद मिले द्वार तेरे शहर के , करते हम कैसे भला दीदार तेरे शहर के । अमुआ के बाग में उल्लुओं का बसेरा है , ठीक नहीं लगते हैं आसार तेरे शहर के। दिलों पर खंजर के निशां लिये मिले लोग , तूं ही बता कैसे करें एतबार तेरे […] Read more » विचार तेरे शहर के
व्यंग्य साहित्य वरिष्ठ जाड़ का दर्द June 21, 2013 | 4 Comments on वरिष्ठ जाड़ का दर्द पिछले कुछ दिनों से ‘‘वरिष्ठ जाड़ ’’ की सन्सटीविटी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी । ठण्डा खाओ तो दर्द,गर्म खाओ तो दर्द । इतनी भारी भरकम गर्मी में शरीर कहता है कि कुछ ठण्डा पिया जाये वर्ना डिहाइडरेसन का खतरा बढ़ जाता है । जीभ कहती है कि कुछ कूल-कूल हो जाये । पर […] Read more » वरिष्ठ जाड़ का दर्द
व्यंग्य बिन ममता सब सून March 26, 2012 / March 26, 2012 | Leave a Comment जग मोहन ठाकन रहिमन ममता राखिये , बिन ममता सब सून । सभी प्राणी अपने बच्चों का तब तक पालन पोषण करते हैं जब तक वे स्वयं भोजन अर्जन एवं अपनी रक्षा करने में समर्थ नहीं हो जाते ।परन्तु बच्चा तो बच्चा होता है, वह बिना समर्थ हुए ही सोचने लगता है कि अब वह […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ कन्या जन्म पर कुआं पूजन February 21, 2012 | Leave a Comment जग मोहन ठाकन हरियाणा में फूटी आशा की किरण हिसार , 21 फरवरी। ” दूधों नहावो ,पूतों फलो वाले सर्वोच्च आर्शीवाद की कामना के लिए प्रसिद्ध हरियाणा राज्य में भी कन्या जन्म पर कुंआ पूजन के समाचार से आशा की एक नर्इ किरण प्रस्फुटित हुर्इ है।प्राप्त समाचार के अनुसार फरवरी की शीत लहर के मध्य […] Read more » girl birth in haryana कन्या जन्म पर कुआं पूजन
व्यंग्य एफ डी आई यानि फेयर डील फार इण्डिया December 9, 2011 / December 9, 2011 | Leave a Comment जग मोहन ठाकन बुजुर्गों का मानना है कि सरकार माई-बाप होती है। मां-बाप कभी अपनी संतान का बुरा नहीं सोचते। और फिर कांग्रेस सरकार तो उस गांधी के नाम पर सत्ता सुख भोगती आ रही है ,जिसके बंदर तक बुरा बोलना, बुरा देखना,यहां तक कि बुरा सोचना भी निषेध मानते हैं । पर क्या करें […] Read more » FDI एफ डी आई फेयर डील फार इण्डिया
व्यंग्य ये पबिलक है–सब जानती है ….. September 30, 2011 / December 6, 2011 | Leave a Comment जग मोहन ठाकन हमारे समय में जब छात्र पढ़ार्इ शुरु करते थे ,तो पहला पाठ अ-अनार और म-मछली का होता था। बाद में जब हम कालेज स्तर पर आये तो अ-अवसरवादिता तथा म-मनीतंत्र जैसे शब्दों से सामना हुआ । परन्तु आज बचपन में ही नवपीढ़ी को अ-अन्ना व म-मनमोहन के नारे लगाते बीच बाजार जुलूस […] Read more »
कविता हिन्दी दिवस …(14 सितम्बर पर विशेष) September 12, 2011 / December 6, 2011 | Leave a Comment जग मोहन ठाकन बिन्दी-बिन्दी खरोंच रहा हूँ अपना ही मुख नोंच रहा हूँ जितना सोचूं उतना उलझूं, उलझ-उलझ कर सोच रहा हूँ । तुम भी सोचो,मैं भी सोचूं, आओ मिलकर सारे सोचें- अपने ही घर विवश हुई क्यों हिन्दी ‘‘दिवस‘‘ मनाने को ?? माता छोड़ विमाता पूजें, छोड़ आसमा छाता पूजें , दूर कहीं से […] Read more » Hindi Diwas हिन्दी दिवस
व्यंग्य व्यंग्य/ कांग्रेस और गांधी जी की बकरी September 4, 2011 / December 6, 2011 | 1 Comment on व्यंग्य/ कांग्रेस और गांधी जी की बकरी जग मोहन ठाकन महात्मा गांधी ने जो भी आंदोलन किये , अहिंसा व शांति के बलबुते पर कामयाबी पाई । गांधी जी की नीतियों व सिद्धान्तों पर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी गांधीवादी रास्ते से पाई हुई स्वसता का रसास्वादन मजे से बैठ कर करती रही है। कांग्रेस ने ऐसा पाठ पढ़ लिया है […] Read more »