शख्सियत धर्मज्ञ महर्षि दयानन्द और हमारा संसार October 24, 2014 | Leave a Comment ओ३म् ‘ईश्वर के सच्चे अद्वितीय पुत्र और सन्देशवाहक वेदज्ञ और धर्मज्ञ महर्षि दयानन्द और हमारा संसार’ ईश्वर ने यह सारा संसार जीवों के कल्याण के लिए और पूर्व जन्मों में उनके द्वारा किये गये शुभ व अशुभ कर्मों के फल प्रदान करने के लिए बनाया है। सभी मनुष्य अपना जीवन सत्य ज्ञान, कर्म व उपासना […] Read more » महर्षि दयानन्द
कला-संस्कृति जन-जागरण “भाषा, भाषा से बनती है और आदि व मूल भाषा ईश्वर से प्राप्त होती है” October 1, 2014 | Leave a Comment आज संसार में जितनी भी भाषायें हैं इनका अस्तित्व अपनी पूर्व भाषा में अपभ्रंशों, विकारों, सुधारों व भौगोलिक कारणों से हुआ है। हम बचपन में जो भाषा बोलते थे उसमें और हमारे द्वारा वर्तमान में बोली जाने वाली भाषा में शब्दों के प्रयोग व उच्चारण की दृष्टि से काफी अन्तर आया है। कुछ भाषायें हमने […] Read more » मूल भाषा ईश्वर से प्राप्त होती है
कला-संस्कृति ‘बौद्ध-जैनमत, स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’ September 29, 2014 | 15 Comments on ‘बौद्ध-जैनमत, स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’ ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद देश-विदेश में सर्वत्र अज्ञान फैल गया था। शुद्ध वैदिक धर्म शुद्ध न रह सका और उसमें अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, कुरीतियां आदि अनेक हानिकारक मत व बातें सम्मिलित हो गयीं। वेद के अनुसार प्रत्येक मनुष्य को पंच-महायज्ञों का करना अनिवार्य था जिसमें प्रथम ईश्वरोपासना तथा उसके पश्चात दैनिक […] Read more » ‘बौद्ध-जैनमत स्वामी शंकराचार्य और महर्षि दयानन्द के कार्य’
जन-जागरण ‘महर्षि दयानन्द की विश्व को सर्वोत्तम देनःवेदों का पुनरूद्धार’ September 25, 2014 / September 26, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य दयानन्द ने अपने जीवनकाल में देश को जो कुछ दिया है वह महाभारत काल के सभी उत्तरवर्ती एवं उनके समकालीन किसी महापुरूष ने नहीं दिया है। मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है? मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता ज्ञान है। सृष्टि के आदि काल में जब ईश्वर ने मनुष्यों को उत्पन्न […] Read more » ‘महर्षि दयानन्द की विश्व को सर्वोत्तम देन वेदों का पुनरूद्धार’
कला-संस्कृति ‘ईश्वर व ऋषियों के प्रतिनिधि व योग्यतम् उत्तराधिकारी महर्षि दयानन्द सरस्वती’ September 18, 2014 / September 18, 2014 | Leave a Comment ओ३म् क्या कोई ईश्वर तथा सृष्टि की आदि व महाभारत काल से सन् 1883 तक हुए ऋषियों का कोई प्रतिनिधि व योग्यतम् उत्तराधिकारी हुआ है? इसका उत्तर है कि हां, इनका उत्तराधिकारी हुआ है और वह केवल महर्षि दयानन्द सरस्वती हैं। इसका क्या प्रमाण है कि महर्षि दयानन्द इन सबके और मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम […] Read more » महर्षि दयानन्द सरस्वती
कला-संस्कृति ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’ September 16, 2014 | 1 Comment on ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’ ओ३म् –सत्यासत्य का विचार व चिन्तन – मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। विकासवाद का सिद्धान्त संसार में ऐसे समय पर आया जब विज्ञान विकासशील अवस्था में था। विकासवाद का सिद्धान्त इंग्लैण्ड में जन्में चार्ल्स राबर्ट डारविन (जन्म 12 फरवरी, 1809 तथा मृत्यु 19 अप्रैल, 1882) ने दिया। इसका आधार क्या था? इसका उत्तर यही है कि […] Read more » ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’
कला-संस्कृति ‘वेद और धर्म’ September 15, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य संसार की अधिकांश जनसंख्या धर्म पारायण या धर्म को मानने वाली है। धर्म क्या है? धर्म सत्य व असत्य के ज्ञान, असत्य को छोड़ने व सत्य को ग्रहण करने, उसका पालन, आचरण व धारण करने को कहते हैं। संसार के सभी धार्मिक ग्रन्थों में धर्म व सत्य का ज्ञान पूर्ण रूप […] Read more » ‘वेद और धर्म’
कला-संस्कृति ‘वेदालोचन के बिना संस्कृत शिक्षा व मनुष्य जीवन व्यर्थ है September 15, 2014 / September 15, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य कहा जाता है कि ज्ञान की पराकाष्ठा वैराग्य है। इसका अर्थ यह लगता है कि जिस व्यक्ति को जितना अधिक ज्ञान होगा वह उतना ही अधिक वैराग्य को प्राप्त होगा। अब विचार करते हैं कि एक व्यक्ति के अन्दर ज्ञान बहुत ही कम है। इस पहली परिभाषा के अनुसार कहना होगा […] Read more »
जन-जागरण “कलियुग में भगवानों का जुलुस” September 11, 2014 | 11 Comments on “कलियुग में भगवानों का जुलुस” कलियुग में एक बार सभी भगवानों का जुलुस निकला। भगवानों के जुलुस में उनके साथ उनके श्रदालु, सेवक अपने अपने इष्ट देव के गुण गान करते हुए निकल रहे थे। दर्शकगण बड़े उत्साह से जुलुस देखने निकले। सबसे आगे परम पिता परमात्मा परमेश्वर थे जिनके साथ बमुश्किल 1-2 श्रद्धालु थे। एक दर्शक ने पूछा भाई […] Read more » “कलियुग में भगवानों का जुलुस”
कला-संस्कृति वेद भाषा का प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य September 10, 2014 / September 10, 2014 | Leave a Comment ‘संसार की भाषाओं में वेद भाषा ईश्वर प्रदत्त होने से सबसे प्राचीन और महान तथा इसका सम्मान, प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य’ मनमोहन कुमार आर्य संसार के सारे शिशु माता से जन्म लेकर जिस भाषा को सीखते व बोलते हैं तथा कुछ काल पश्चात जिस भाषा में व्यवहार करते हैं वह उनकी मातृ-पितृ भाषा का […] Read more » वेद भाषा का प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य
चिंतन ‘क्या हमें अपने साध्य और साधनों का ज्ञान है?’ September 5, 2014 | Leave a Comment यदि हमने साध्य को भुले हैं तो समझिये कि हमारा जीवन बर्बाद हो रहा है- साध्य लक्ष्य या उद्देश्य को कहते हैं। साधन वह है जिसकी सहायता से साध्य या लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि हमें दिल्ली जाना है तो दिल्ली हमारा साध्य कहलायेगा। दिल्ली जाने के लिए […] Read more » ‘क्या हमें अपने साध्य और साधनों का ज्ञान है?’
शख्सियत ’वैदिक मर्यादाओं के पालक स्वामी डा. सत्य प्रकाश सरस्वती’ August 30, 2014 / August 30, 2014 | Leave a Comment अध्यात्म तथा विज्ञान का जीवन में अदभुद् समन्वय- मनमोहन कुमार आर्य आर्य समाज के 10 नियमों में प्रथम नियम है कि ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदि मूल परमेश्वर है।’ यह नियम ईश्वर को सभी पदार्थों एवं विद्याओं का मूल आधार बताता है। स्वामी सत्य प्रकाश सरस्वती […] Read more » स्वामी डा. सत्य प्रकाश सरस्वती’