कला-संस्कृति वैदिक साहित्य का एक प्रमुख ग्रन्थ – संक्षिप्त महाभारत August 29, 2014 | 1 Comment on वैदिक साहित्य का एक प्रमुख ग्रन्थ – संक्षिप्त महाभारत -मनमोहन कुमार आर्य- महाभारत विश्व में आज से 5115 वर्ष से पूर्व घटित इतिहास विषयक घटनाओं की प्रसिद्ध पुस्तक है। इसके मूल लेखक महर्षि वेद व्यास थे। आर्य जाति एवं विश्व का सौभाग्य है कि विगत अवधि में घटी वैदिक ज्ञान विरोधी घटनाओं के बावजूद महाभारत पूर्णतः नष्ट होने से बच गया और हमारे पास […] Read more » ग्रन्थ महाभारत वेद वैदिक साहित्य
कला-संस्कृति वैदिक संस्कृति विश्व में प्रथम व श्रेष्ठ है – ‘विश्ववरणीय हमारी संस्कृति’ August 29, 2014 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- विश्व के सभी मानवों की संस्कृति क्या है? इसका उत्तर है कि संसार की सबसे प्राचीन एवं सब सत्य विद्याओं सहित जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश डालने वाली ईश्वर प्रदत्त दिव्य ज्ञान की पुस्तक ‘वेद’ सारे विश्व की धर्म, संस्कृति, शिक्षा, संस्कार व सभ्यता का मूल है। वेदों के अनुरूप कार्य, […] Read more » वेद वेद श्रेष्ठ वैदिक संस्कृति श्रेष्ठ वेद संस्कृति
कला-संस्कृति महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि और इससे जुड़े कुछ प्रकरण August 27, 2014 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि और इससे जुड़े कुछ प्रकरण -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि 12 फरवरी सन् 1825 है। इस दिन शनिवार था। हिन्दी तिथि के अनुसार इस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी थी। इस तिथि के निर्धारण में ऋषि भक्त डॉ. ज्वलन्त कुमार शास्त्री का प्रमुख योगदान है। यद्यपि पूर्व तिथियों में पं. भीमसेन जी शास्त्री द्वारा […] Read more » दयानंद सरस्वती महर्षि दयानन्द
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख ‘महर्षि दयानन्द और आर्य समाज का हिन्दी के प्रचार प्रसार में योगदान’ August 25, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अहिन्दी भाषी गुजराती होते हुए पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी, जिसे स्वामी दयानन्द […] Read more »
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार ‘श्रावणी पर्व और हमारा समाज’ August 10, 2014 / August 11, 2014 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य श्रावणी पूर्णिमा 10 अगस्त, 2014 को है और यह दिवस श्रावणी पर्व के रूप में आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन को भाई व बहिन के परस्पर अटूट पवित्र प्रेम बन्धन के रूप में रक्षा बन्धन के नाम सें भी मनाया जाता है। इस दिन पुराने यज्ञोपवीत […] Read more » श्रावणी पर्व और हमारा समाज’
जन-जागरण ‘आर्य समाज क्या है?’ August 7, 2014 | 1 Comment on ‘आर्य समाज क्या है?’ मनमोहन कुमार आर्य इस लेख में हम कुछ प्रश्नों पर अति संक्षेप में विचार करना चाहते हैं जो आर्य समाज के अस्तित्व से जुड़े हैं। यह प्रश्न हमें अपने एक विद्वान मित्र से इमेल पर प्राप्त हुए हैं। पहला प्रश्न है कि आर्य समाज हवन को मानता है और आर्य समाजी हवन करते भी हैं […] Read more » ‘आर्य समाज क्या है?’
जरूर पढ़ें ‘गोरक्षा राष्ट्र-रक्षा व गोहत्या राष्ट्र-हत्या है’ August 4, 2014 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- संसार में तीन पदार्थ अनादि हैं, ईश्वर, जीव व सृष्टि। जीवात्मा का स्वरूप सत्य, चेतन, अल्पज्ञ, एकदेशी, सूक्ष्म, आकार रहित, जन्म-मरण धर्म, शरीर को धारण करना, अपने ज्ञान व अज्ञान के अनुसार अच्छे व बुरे कर्म करना, ईश्वर उपासना, अग्निहोत्र करना, माता-पिता-आचार्यों व अतिथियों की सेवा, सत्कार, आज्ञा पालन आदि का करना […] Read more » गोरक्षा गोरक्षा राष्ट्र-रक्षा व गोहत्या राष्ट्र-हत्या है गोहत्या
धर्म-अध्यात्म ‘महर्षि दयानन्द सरस्वती को चार वेद कब, कहां, कैसे व किससे प्राप्त हुए?’ July 22, 2014 | 2 Comments on ‘महर्षि दयानन्द सरस्वती को चार वेद कब, कहां, कैसे व किससे प्राप्त हुए?’ -मनमोहन कुमार आर्य- हर अध्येता व स्वाध्याय करने वाले को सभी शंकाओं व प्रश्नों के उत्तर सरलता से प्राप्त नहीं होते, परन्तु प्रयास व पुरूषार्थ करने से कुछ के उत्तर मिल जाते हैं और अन्यों के बारे में अनुमान व संगति लगा कर काम चलाना पड़ता है। हम भी स्वामी दयानन्द के सभी ग्रन्थों सहित […] Read more » चार वेद महर्षि दयानन्द सरस्वती
विविधा माता-पिता की सम्मान के साथ सेवा करना प्रत्येक सन्तान का कर्तव्य July 8, 2014 / July 8, 2014 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य की जीवन यात्रा का आरम्भ जन्म से होता है और समाप्ति मृत्यु पर होती है। जन्म के समय वह प्रायः पूर्ण रूप से अज्ञानी होता है। मात्र उसके पास स्वाभाविक ज्ञान होता है और पूर्व जन्म का प्रारब्ध वा संस्कार। पूर्व जन्म के संस्कारों से उसकी प्रवृति बनती हैं जिसे माता-पिता […] Read more » माता पिता संतान का कर्तव्य
विविधा ‘सृष्टि और आध्यात्मिक विज्ञान का मूल-आधार: वेद’ July 4, 2014 | 1 Comment on ‘सृष्टि और आध्यात्मिक विज्ञान का मूल-आधार: वेद’ -मनमोहन कुमार आर्य- इससे पूर्व कि सृष्टि और आध्यात्मिक विज्ञान की चर्चा की जाये, संक्षेप में यह जानना आवष्यक है कि वेद क्या हैं? वेद एक शब्द है जिसका अर्थ जानना व ज्ञान होता है। संसार में वेद नाम की अन्य कोई पुस्तक नहीं है जिसका कि कोई इतिहास न हो अर्थात् वेद-नामेतर सभी पुस्तकों […] Read more » आध्यात्मिक विज्ञान आर्य वेद सृष्टि
विविधा प्रेम क्या है तथा जीवों में प्रेम की उत्पत्ति किस तरह होती है? June 16, 2014 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- दिल्ली के एक पाठक ने हमें लिखा कि ‘हमें आपका लेख ‘विवाह और इसकी कुछ विकृतियां’ हमें बहुत अच्छा लगा। हम अपने आर्य समाज मन्दिर में विवाह सम्पन्न कराते हैं और हमारी अपनी मन्दिर की वेबसाइट है। हमें इस तरह के लेख बहुत पसन्द आते हैं क्योंकि हमें विवाह से सम्बन्धत ही […] Read more » जीव प्रेम जीवन प्रेम प्रेम प्रेम की उत्पत्ति प्रेम क्या है
कला-संस्कृति विवाह और इसकी कुछ विकृतियां June 14, 2014 | 1 Comment on विवाह और इसकी कुछ विकृतियां -मनमोहन कुमार आर्य- वैदिक व्यवस्था में मनुष्य के जीवन को चार आश्रमों में समयोजित किया गया है। यह आश्रम हैं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास हैं जिनमें प्रत्येक आश्रम की अवधि सामान्यतः 25 वर्ष निर्धारित है। पहले आश्रम ब्रह्मचर्य में 8-12 वर्ष की अवस्था तक, अथवा कुछ पहले अपने बालक व बालिकाओं को माता-पिता को […] Read more » विवाह विवाह विकृति