मिलन सिन्हा

मिलन सिन्हा

लेखक के कुल पोस्ट: 74

स्वतंत्र लेखन
अब तक धर्मयुग, दिनमान, कादम्बिनी, नवनीत, कहानीकार, समग्रता, जीवन साहित्य, अवकाश, हिंदी एक्सप्रेस, राष्ट्रधर्म, सरिता, मुक्त, स्वतंत्र भारत सुमन, अक्षर पर्व, योजना, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, जागरण, आज, प्रदीप, राष्ट्रदूत, नंदन सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित ।

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लेखक - मिलन सिन्हा - के पोस्ट :

समाज

लोगों की मौत और हिंसक प्रदर्शन से आगे क्या ?

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जरा सोचिये, समाज में अशांति फैलाने के लिए पेड उपद्रवियों (यानि पैसे के लिए कुछ भी करेगा टाइप उपद्रवी) और उनके पीछे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से खड़े कतिपय राजनीतिक नेताओं को छोड़ कर ऐसा असामाजिक कृत्य कोई कैसे कर सकता है. फिर सोचने वाली बात यह भी है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से आम कर दाताओं का ही जेब ढीला होता है. ट्रक, बस आदि जलाने से बीमा कंपनियों द्वारा क्षति का भुगतान करना पड़ता है, जो प्रकारांतर से हमें और देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है. ऐसे भी, कुछ लोगों के गैरकानूनी हरकतों के कारण हजारों–लाखों लोग आए दिन बेवजह मुसीबत झेलें.

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आर्थिकी विविधा

मोटिवेशन : ‘नोट बंदी’ का नाजुक दौर और हम

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कहना न होगा, डाक व बैंक कर्मियों पर इस वक्त बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसका निर्वहन उन्हें अत्यधिक तन्मयता, दक्षता, संवेदनशीलता, इमानदारी एवं संयम के साथ करने की आवश्यकता है. बड़े डाकघरों तथा बैंक शाखाओं में पुराने नोट बदलनेवालों, वरीय नागरिक, दिव्यांग और महिलाओं, बड़ी जमा राशि को अपने खाते में जमा करने वाले ग्राहकों आदि के लिए अलग-अलग काउंटर खोलने की जरुरत तो है ही. संबंधित विभागों के वरीय अधिकारियों द्वारा इस कार्य की सतत मॉनिटरिंग भी अपेक्षित है. सिविल सोसाइटी के जाने -माने लोगों को भी अपनी भूमिका दर्ज करने की जरुरत है.

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