प्रवक्ता न्यूज़ लेख कुलपति बनाने वालों की जबावदेही भी तय हो November 8, 2019 / November 8, 2019 | Leave a Comment 1948 में डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृश्णन की अध्यक्षता में गठित ‘विश्वविद्यालय शैक्षिक आयोग’ की अनुशंसा पर विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थिति की जाॅच करने, उन्हें अनुदान देने एवं उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु 1956 में ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना की गई। इस आयोग का प्रमुख कार्य विश्वविद्यालयीन शिक्षा की अभिवृद्वि, एकसूत्रता, अध्यापन, परीक्षा तथा अनुसंधान के […] Read more » यूजीसी विश्वविद्यालय शैक्षिक आयोग
विविधा उच्च शिक्षा की चुनौतियां: स्वायत्तता, एकरूपता एवं गुणवत्ता February 5, 2018 | Leave a Comment भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में जिन विषयों को रखा गया है उन विषयों पर संघ एवं राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। शिक्षा के समवर्ती सूची में होने के कारण कुछ विषयों पर शिक्षा से संबंधित नियमों में कभी-कभी केन्द्र एवं राज्य दोनों में एकरूपता नजर नहीं आती है, जिसकी परिणति कई […] Read more » Autonomy Challenges of higher education Featured Net qualified quality UGC uniformity उच्च शिक्षा की चुनौतियां एकरूपता गुणवत्ता स्वायत्तता
विविधा बहुत जरूरी हैं शिक्षा में बदलाव September 28, 2016 | Leave a Comment हमें सफलता, मूल्यांकन एवं आकलन के वर्तमान आधारों पर पुनर्विचार करना होगा। हमारे मूल्यांकन की इससे बड़ी विसंगति और क्या हो सकती है कि जिन्होंने कभी गाॅव नहीं देखा, जो कभी गाॅव में नहीं रहे, वे ‘ग्रामीण विकास‘ एवं ‘गाॅव‘ के बारे में अधिकारपूर्वक लिख रहे हैं, एवं बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रहे हैं। Read more » ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 Featured शिक्षा शिक्षा में बदलाव
विधि-कानून विविधा समाज उच्च शिक्षा में स्वायत्तता एवं एकरूपता February 23, 2016 | 1 Comment on उच्च शिक्षा में स्वायत्तता एवं एकरूपता अभी हाल ही में तेलंगाना सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कुलपति की नियुक्ति के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित योग्यताओं में परिवर्तन किया है। विश्वविद्यालय प्रणाली में प्रोफेसर अथवा ख्याति प्राप्त शोध/अकादमिक प्रशासनिक संगठन में समतुल्य पद पर 10 वर्ष केअनुभव के स्थान पर तेलंगाना सरकार ने यह 5 वर्ष कर दिया […] Read more » Featured उच्च शिक्षा में स्वायत्तता एवं एकरूपता
जन-जागरण शिक्षक नहीं बनना चाहते ये विदेशप्रेमी युवा March 23, 2015 | 1 Comment on शिक्षक नहीं बनना चाहते ये विदेशप्रेमी युवा कुछ समय पहले देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के निदेशक ने अपनी पढ़ाई पूरी करके जाने वाले छात्रों से दो प्रश्न किये, पहला, कि आप में से कितने लोग अपने बच्चों को इस संस्थान में पढ़ाना चाहेंगे। लगभग सभी छात्रों ने अपने हाथ ऊपर कर दिये। इसके बाद उन्होंने दूसरा प्रश्न किया, कि […] Read more » foreign lovers youngsters don't want to become teacher students don't want to become teacher विदेशप्रेमी युवा शिक्षक शिक्षक नहीं बनना चाहते
जन-जागरण विवादों में नोबेल विजेता February 25, 2015 / February 25, 2015 | Leave a Comment नोबेल पुरस्कार को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार के रूप में माना जाता है। यह स्वीडन के निवासी एवं डायनामाईट के अविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की याद में प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को दिया जाता है। किसी अच्छे एवं अद्भुत कार्य का प्रतिनिधित्व एवं उसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता इस पुरस्कार की अनिवार्यता एवं […] Read more » नोबेल विजेता
विविधा स्वार्थ के खिलाफ हैं ये जनादेश February 21, 2015 | Leave a Comment एक वर्ष से कम अन्तराल में देश की जनता ने दो ऐसे अद्भुत जनादेश दिये हैं, जिन्हें अविश्वसनीय एवं अकल्पनीय कहा जा सकता है। यदि लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत अविश्वसनीय थी, तो दिल्ली विधानसभा में ‘आप’ को मिला प्रचण्ड बहुमत निश्चित तौर पर अकल्पनीय है। यह चुनाव परिणाम सभी राजनीतिक दलों के लिए […] Read more » जनादेश स्वार्थ के खिलाफ
विविधा यू.जी.सी नहीं रख सका उच्च शिक्षा में एकरूपता October 2, 2014 / October 4, 2014 | Leave a Comment सम्बद्धता से प्रभावित प्रादेशिक विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता भारतीय विश्वविद्यालयीन शिक्षा में सुधार, विस्तार तथा भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर 1948 में डा. एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शैक्षिक आयोग (यूनिवर्सिटी एज्यूकेशन कमीशन) का गठन किया गया था। इस आयोग की अनुशंसा के आधार पर नवम्बर 1956 में ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग‘ की स्थापना […] Read more » यू.जी.सी नहीं रख सका उच्च शिक्षा में एकरूपता
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख निजी विश्वविद्यालय: विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह September 9, 2014 | Leave a Comment प्रो. एस. के. सिंह पिछले वर्षं मेघालय में एक निजी विश्वविद्यालय (सी.एम.जे. विश्वविद्यालय) द्वारा यू.जी.सी के नियमों की अनदेखी करते हुए एक वर्ष में 434 पी-एच. डी उपाधियां देने एवं 490 पंजीकृत करने का मामला प्रकाश में आया था। मेघालय के तत्कालीन राज्यपाल श्री आर एस मुशहरी ने इस निजी विश्वविद्यालय को भंग (विघटन) करने […] Read more » निजी विश्वविद्यालय
सार्थक पहल रैगिंग : प्रभुत्व स्थापित करने की विकृत मानसिकता September 3, 2014 / September 3, 2014 | Leave a Comment प्रो. एस. के. सिंह सिंधिया स्कूल में घटित रैगिंग की घटना से देश में एक नई बहस प्रारंभ हो गई है, कि अब उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों की तरह स्कूलों में भी रैगिंग को लेकर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। सूचनाओं के तेज प्रवाह एवं समय से पहले युवा होने एवं दिखने वाले बच्चों पर […] Read more » रैगिंग