कविता वो चली गयीं September 29, 2019 / September 29, 2019 | Leave a Comment वो चली गयीं ठहरी थी वो , मेरे दिल के शहर में , अभी कुछ दिनों पहले मुलाकात हुई थी मगर न जाने बातों ही बातों में, क्या बात हुई थी किस बात का बुरा लगा उन्हें , जो कल चली गयी दोपहर में | जाने का गम है , मगर थोडा कम है वो […] Read more »
कविता शिक्षक कौन है ? September 6, 2019 / September 6, 2019 | Leave a Comment शिक्षक कौन है ? राही सा मन को, राह दिखा दे जिसे चलना न आये, उसे चलना सिखा दे जिसे हँसना न आये , उसे हँसाना सिखा दे जिसे रोना न आये , उसे रोना सिखा दे जिसे खो कर पाना न आये, उसे पाना सिखा दे भूले भटके को , घर का पता बता […] Read more »
कविता एक अनुभव August 28, 2019 / August 28, 2019 | Leave a Comment माँ तुम बिन सब अधूरी है जीना तो चाहता नहीं , मगर तेरे सपनों के लिये जीना जरुरी है माँ तुम बिन सब अधूरी है | ओ चाँद जिसे तुम ने मामा बताया उस मामा और मेरे बीच जाने कितने मीलों की दुरी है माँ तुम बिन सब अधूरी है | लौटता हूँ घर को […] Read more » Hindi Poem poem poem on experience
कविता सफ़र लम्बा है | August 26, 2019 / August 26, 2019 | Leave a Comment सफ़र लम्बा है मगर जाना तो पड़ेगा | टूटी है चप्पल , मगर पांव को पहनना तो पड़ेगा | भूख है जोरो की और चावल बासी है , मगर खाना तो पड़ेगा | धुप है तेज और फटी है पोषक , मगर काया को पहनना तो पड़ेगा | नींद है जोरों की कुछ पाना है […] Read more » Hindi Poem path
कविता पैसों से रिश्ते August 9, 2019 / August 9, 2019 | Leave a Comment आज रिश्ते खिलौने हुऐ है, और इसके बाजार लगते है पैसे वाले इसके व्यापारी, और हम खरीदार लगते है। पैसा पैसे का रिश्तेदार लगता है पैसे से चाचा चाची ,मामा मामी, नाना नानी , मौसा मौसी आज पैसा पैसे का प्यार लगता है। आज रिश्ते खिलौने हुऐ है, और इसके बाजार लगते है पैसो से […] Read more » Money money with relation
कविता बचपन की शाम March 29, 2018 | Leave a Comment बचपन की शाम बचपन की हर शाम होती थी हमारे नाम स्कूल से छुट्टी पाकर आँगन में शोर गुल हल्ला मचाकर किसी और की न मिले तो अपने कपड़े फाड़कर कुछ उपहास के साथ कोई टूटी फूटी गीत गाकर हर शाम बीतता था शोर गुल हल्ला मचा कर किसी की कलम चोरी करके लाये होते […] Read more » Featured बचपन की शाम
कविता साहित्य तुम याद आये January 28, 2018 / January 30, 2018 | Leave a Comment जब हवाओं का रुख मेरी तरफ हुआ उड़ते गुलाल ने आसमान को छुआ तब तुम याद आये , हल्की तपती दोपहरी में कोयल ने कोई गीत सुनायी सरसों की फूलों ने भ्रमर को पास बुलयी तब तुम याद आये, स्वच्छ चांदनी रातों में तारे टिमटिमाने लगे सरोवर की झिलमिलाती चंद्र छाया में किसी आभा समाने […] Read more » Featured तुम याद आये
कविता बचपन की यादें December 26, 2017 | Leave a Comment सोचता हूॅ फिर से एक बार बचपन में चले जाते न कभी समय की चिंता होती न कभी घडी देखते जब बजती स्कूल की घंटी तब किताब, कलम काॅपी समेटते निकल जाते रास्ते पर किसी दोस्त को हंसाते तो किसी को चिढाते जब बजती प्रार्थना की घंटी तब दौड कर आते कतार में सामने वाले […] Read more » Childhood memories
कविता रफ का वो कापी July 29, 2017 | Leave a Comment रफ का वो कापी थोडी फटी सी, थोडी पुरानी । किसी की यादें किसी की बातें थी उसमें कई कहानी रफ का वो कापी थोडी फटी सी ,थोडी पुरानी । किसी पन्ने पर चुटकुले लिखाते तो किसी पर कविता ,कहानी कहीं पर प्रेम को छुपाते तो कहीं गनित बनाते कई पन्नों को फूलों से सजाते […] Read more » रफ रफ का वो कापी कापी
कविता साहित्य वो पीपल July 14, 2017 | Leave a Comment उनके वो हरे पत्ते जिसके छाॅंव पर हम बनते थे। मिटटी के गत्ते चैरहे पर अकेला ही तो था किसी अनाथ की तरह परोपकार में चढा मानव के हत्थे । दोपहरी में होते हम उसके परिवार दादा देते , हम सबको दुलार चुन्नू, मन्नू, रानू सखियों की होती पुकार और इनमें उनकी वो शीतल छाया […] Read more » पीपल
कविता साहित्य मेरी बेटी July 11, 2017 | Leave a Comment खुशबू है मेरी आंगन की जो सारे घर को महकाती है। लोरी है मेरी दामन की जो खुद को और मुझे सुलाती है। कोयल है एक डाली की जो सारे बाग को चहकाती है कली है एक फुल की जो बेरंग दुनिया में रंग भर जाती है। एक बुंद है सागर की जो मेरी प्यास […] Read more » मेरी बेटी
कविता साहित्य एक गाँव है मेरा | July 6, 2017 / July 10, 2017 | Leave a Comment एक गाँव है मेरा | ( किसी की यादें ) एक गाँव है मेरा जहाँ शाम है , और है सबेरा जहाँ ठंडी हवाओ में उड़ती होंगी तितलियाँ यादों की स्वर में गूंजता होगा घर आंगन मेरा एक गाँव है मेरा जहाँ शाम है और है सबेरा गाँव में लगें मेले होंगे मिठाईयां और होंगे […] Read more » एक गाँव है मेरा