डा. राधेश्याम द्विवेदी

डा. राधेश्याम द्विवेदी

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लेखक - डा. राधेश्याम द्विवेदी - के पोस्ट :

समाज

बृद्धावस्था बोझ नहीं, परिवार व समाज के उद्धारक बनें

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दादा दादी , नाना नानी के संरक्षण में बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षित होने की भावना बढ़ती है। जिन घरों में गृहणियां बाहर नहीं जातीं , वहां भी वरिष्ठ सदस्यों की प्रासंगिकता रहती है। पति पत्नी एक मर्यादा में रहते हैं। बात बात में आपे से बाहर नहीं होते।बुढ़ापे को बेकार मत समझिए। इसे सार्थक दिशा दीजिए। तन में बुढ़ापा भले ही आ जाए, पर मन में इसे मत आने दीजिए। आप जब 21 के हुए थे तब आपने शादी की तैयारी की थी, अब अगर आप 51 के हो गए हैं तो शान्ति की तैयारी करना शुरू कर दीजिए। सुखी बुढ़ापे का एक ही मन्त्र हैं। दादा बन जाओ तो दादागिरी छोड़ दो और परदादा बन जाओ तो दुनियादारी करना छोड़ दो।

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धर्म-अध्यात्म

भगवान शिव के अनेक अवतार

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डा.राधेश्याम द्विवेदी हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। जिस प्रकार विष्णु के 24 अवतार हैं उसी प्रकार शिव के भी 28 अवतार हैं। वेदों में शिव का नाम ‘रुद्र’ रूप में आया है। रुद्र संहार […]

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